इंदौर। राष्ट्रीय हरित प्राधिकरण (एनजीटी) के प्रिंसिपल सदस्य डॉ.अफरोज अहमद ने कहा है कि पर्यावरण सुधार, संरक्षण एवं वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में इंदौर देश का मॉडल शहर बन गया है। इंदौर में पर्यावरण सुधार, संरक्षण एवं वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में बेहतर कार्य हो रहे हैं। इंदौर में इससे वायु गुणवत्ता में भी सुधार दिखाई दे रहा है। डॉ. अहमद ने कहा कि इंदौर में अब भूजल स्तर सुधार के कार्यों की बड़ी जरूरत है। एनजीटी के प्रिंसिपल सदस्य डॉ. अफरोज अहमद आज यहां कलेक्टर कार्यालय में संपन्न हुई जिला स्तरीय एनवायरमेंट कमेटी की बैठक को संबोधित कर रहे थे।
![पर्यावरण सुधार, संरक्षण और वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में इंदौर बना देश का मॉडल शहर](https://ghamasan.com/wp-content/uploads/2024/02/ghamasan-19829503-e1706955390224.jpeg)
बैठक में कलेक्टर आशीष सिंह, नगर निगम आयुक्त हर्षिका सिंह, जिला पंचायत के मुख्य कार्यपालन अधिकारी सिद्धार्थ जैन सहित संबंधित विभागों के अधिकारी मौजूद थे। बैठक में डॉ. अहमद ने इंदौर जिले के एनवायरमेंट प्लान के तहत किए गए कार्यों की प्रगति की जानकारी ली। उन्होंने कहा कि एनवायरमेंट प्लान के तहत इंदौर जिले में बेहतर कार्य हो रहे हैं। उन्होंने बताया कि पर्यावरण सुधार, संरक्षण तथा वेस्ट मैनेजमेंट के क्षेत्र में जिला स्तरीय एनवायरमेंट प्लान की अहम भूमिका है। इस प्लान के अंतर्गत अब शहरों के साथ में ग्राम पंचायतों को भी जोड़ा गया है।
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ग्राम पंचायत में भी इस प्लान के अंतर्गत कार्य होंगे। उन्होंने कहा कि यह पर्यावरण संरक्षण की दिशा में एक समग्र प्रयास है। उन्होंने कहा कि पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में इंदौर में अच्छे कार्य हो रहे हैं। उन्होंने कहा कि पर्यावरण सुधार के क्षेत्र में कोई भी समझौता नहीं किया जाना चाहिए। पर्यावरण हमारी साझी विरासत है। पर्यावरण संरक्षण से समझौता एक गुनाह है। उन्होंने कहा कि तालाबों की निगरानी के लिए समिति बनाई जाए। यह तय किया जाए कि तालाबों की भूमि पर किसी भी तरह का अतिक्रमण नहीं हो। भू-जल स्तर को बनाए रखना हमारे लिए सबसे बड़ी चुनौती है।
उन्होंने कहा कि भूजल स्तर में सुधार के लिए लगातार कार्य होते रहना चाहिए। उन्होंने नई कॉलोनियों में ग्रीन बेल्ट को अनिवार्य रूप से डेवलप करने के निर्देश भी दिए। उन्होंने कहा कि ग्रीन बेल्ट में उपयोगी पौधों का रोपण होना चाहिए। पराली नहीं जले यह ध्यान रखा जाए। नए भवनों में वाटर रिचार्जिंग की व्यवस्था होना चाहिए। यह प्रयास किया जाए की नए बनने वाले भवनों के सामने वृक्षारोपण भी हो।