MP के अतिथि शिक्षकों के लिए जरुरी खबर, इन्हे नहीं मिलेगा रिजर्वेशन का फायदा

मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने 2022 की असिस्टेंट शिक्षक भर्ती में अतिथि शिक्षकों द्वारा 25% आरक्षण की मांग वाली याचिका खारिज कर दी। कोर्ट ने कहा कि आरक्षण लागू करने से भर्ती प्रक्रिया में विघ्न उत्पन्न होता और पहले से चयनित उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन होता। अतिथि शिक्षकों को इस भर्ती में आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।

Srashti Bisen
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मध्य प्रदेश के अतिथि शिक्षकों को हाईकोर्ट से झटका लगा है। राज्य में 2022 की असिस्टेंट शिक्षक भर्ती में 25 प्रतिशत आरक्षण की मांग को लेकर दायर याचिका को हाईकोर्ट ने खारिज कर दिया। कोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि यदि याचिकाकर्ताओं के दावे सही माने जाते हैं तो भर्ती प्रक्रिया को फिर से शुरू करना होगा, जिससे साक्षात्कार में चयनित उम्मीदवारों पर प्रतिकूल असर पड़ेगा। इसलिए, 2022 की भर्ती में अतिथि शिक्षकों को 25 प्रतिशत आरक्षण का लाभ नहीं मिलेगा।

क्या था मामला?

दरअसल, मध्य प्रदेश लोक सेवा आयोग (MPPSC) ने असिस्टेंट प्रोफेसर भर्ती के लिए विज्ञापन जारी किया था। इस भर्ती प्रक्रिया में अतिथि शिक्षकों को कुछ विशेष राहतें दी गई थीं, जैसे कि आयु सीमा में छूट, लेकिन 25 प्रतिशत आरक्षण की कोई व्यवस्था नहीं की गई थी। इसके बावजूद, अतिथि शिक्षकों ने कोर्ट में याचिका दायर की थी, जिसमें 25 प्रतिशत सीटों पर आरक्षण की मांग की गई थी।

पीएससी और राज्य शासन का तर्क

हाईकोर्ट में मामले की सुनवाई के दौरान राज्य शासन और पीएससी ने अपना पक्ष रखा। पीएससी के वकील रवींद्र दीक्षित ने तर्क दिया कि 2022 की भर्ती में पहले से ही आरक्षण का लाभ नहीं था, और अब इसे लागू करना भर्ती प्रक्रिया में बदलाव कर देगा, जो कि अनुचित होगा। कोर्ट ने इस तर्क को सही माना और याचिका खारिज कर दी।

भर्ती में बदलाव नहीं

कोर्ट ने सभी पक्षों को सुनने के बाद अतिथि शिक्षकों की याचिका को खारिज कर दिया। उच्च न्यायालय ने स्पष्ट किया कि 2022 की भर्ती में आरक्षण की कोई नई व्यवस्था लागू नहीं की जा सकती है। इसके साथ ही, कोर्ट ने यह भी कहा कि अगर आरक्षण को इस भर्ती में लागू किया जाता, तो इससे प्रक्रिया में विघ्न उत्पन्न होता और पहले से चयनित उम्मीदवारों के अधिकारों का उल्लंघन होता।

क्यों था यह मुद्दा विवादित?

यह मामला इसलिए संवेदनशील था क्योंकि राज्य सरकार और पीएससी ने पहले अतिथि शिक्षकों के लिए आयु सीमा में छूट तो दी थी, लेकिन आरक्षण के मामले में कोई विशेष कदम नहीं उठाया था। अतिथि शिक्षकों ने इसे अपने अधिकारों का उल्लंघन मानते हुए कोर्ट में चुनौती दी थी। इस निर्णय से जहां एक ओर अतिथि शिक्षक नाराज हैं, वहीं दूसरी ओर कई चयनित उम्मीदवार राहत महसूस कर रहे हैं, क्योंकि अब उनकी नियुक्ति पर कोई प्रतिकूल प्रभाव नहीं पड़ेगा।