राजभवन के सांदीपनि सभागार में ‘कर्मयोगी बनें’ कार्यशाला के शुभारंभ पर राज्यपाल मंगुभाई पटेल ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत एक महत्वपूर्ण मोड़ पर पहुंच चुका है, जहां यह स्पष्ट है कि 21वीं सदी भारत की होगी। उन्होंने कर्मयोगी भाव को प्रतिबद्ध प्रयास और भावनात्मक समर्पण का प्रतीक बताते हुए इसे विकसित भारत के निर्माण के लिए आवश्यक बताया।
राज्यपाल ने कहा कि कर्मयोगी पथ वह मार्ग है, जो न केवल व्यक्तिगत उन्नति को प्रेरित करता है बल्कि समाज सुधार और सेवा का प्रभावी साधन भी बन सकता है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि देश ने ज्ञान, विज्ञान और अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति की है, जिससे भारत को वैश्विक स्तर पर एक नई पहचान मिली है।

उन्होंने राष्ट्र निर्माण में एकजुट प्रयासों की महत्ता पर बल देते हुए कहा कि कर्मयोगी बनने के लिए कार्य की प्रकृति चाहे जो भी हो, निरंतरता, सकारात्मक दृष्टिकोण, समय प्रबंधन और कर्तव्यपरायणता आवश्यक हैं।
अन्य वक्ताओं ने भी साझा किए अपने विचार
कार्यशाला में कई प्रतिष्ठित वक्ताओं ने अपने विचार साझा किए। उच्च शिक्षा मंत्री इंदर सिंह परमार ने कहा कि कर्मयोग का सिद्धांत केवल राष्ट्र निर्माण के लिए ही नहीं, बल्कि शिक्षा प्रणाली में व्यापक परिवर्तन लाने में भी सहायक होगा। प्रोफेसर बाला सुब्रह्मण्यम ने कर्मयोग के सिद्धांतों के माध्यम से कर्मचारियों की कार्यक्षमता बढ़ाने पर जोर देते हुए इस दिशा में किए गए प्रयासों की सराहना की।
आईआईटी कानपुर के अध्यक्ष, पद्मश्री के. राधाकृष्णन ने शिक्षकों से आह्वान किया कि वे केवल शिक्षक ही नहीं, बल्कि सच्चे गुरु बनकर युवाओं को कर्मयोग की ओर प्रेरित करें। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि भगवद गीता के सिद्धांतों को छात्रों में जागरूक करने के प्रयास किए जाने चाहिए।
सीएम का संकल्प, तमिल और तेलुगू विद्यार्थियों को मिलेगा बढ़ावा
इस अवसर पर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि मध्य प्रदेश राष्ट्र नीति के संकल्प पथ पर निरंतर आगे बढ़ रहा है, जहां राज्य की विविधता, भाषाएं, बोलियां और संस्कृति इसकी पहचान और गौरव हैं। उन्होंने घोषणा की कि प्रदेश में तमिल और तेलुगू जैसी भाषाओं का अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों को प्रोत्साहित किया जाएगा।
साथ ही, मिशन कर्मयोगी के तहत राष्ट्रीय विशेषज्ञों की एक समिति गठित की जाएगी। मुख्यमंत्री ने इस कार्यशाला को एक सराहनीय पहल बताते हुए कहा कि इसका उद्देश्य समाज में कर्मयोग के सिद्धांतों को प्रभावी रूप से स्थापित करना है। उन्होंने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को कर्मयोगी परंपरा का प्रेरणास्रोत बताते हुए कहा कि मिशन कर्मयोगी का मकसद उनके मार्गदर्शन में सुशासन को प्रत्येक स्तर पर सुदृढ़ करना है। उन्होंने यह भी उल्लेख किया कि भारतीय संस्कृति की व्यापकता संपूर्ण ब्रह्मांड के कल्याण की भावना को समाहित करती है।