सरकारी अफसरों की नहीं चलेगी मनमानी, अब देना होगा हर काम का हिसाब, परफॉर्मेंस तय करेगी रेटिंग

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By Srashti BisenPublished On: May 1, 2025
MP News

मध्यप्रदेश शासन प्रशासन में एक बड़ा बदलाव होने जा रहा है। अब अगर किसी विभाग में अपर मुख्य सचिव (ACS), प्रमुख सचिव (PS) या सचिव की नियुक्ति में फेरबदल होता भी है, तो विभाग की प्राथमिकताएं नहीं बदलेंगी। यानी जनता से जुड़े जो भी कार्य योजना में शामिल हैं, उन्हें हर हाल में पूरा करना ही होगा।

मुख्य सचिव अनुराग जैन ने पहली बार विभागीय कामकाज और प्राथमिकताओं का स्पष्ट खाका तैयार किया है, जिससे प्रशासनिक निरंतरता बनी रहेगी और योजनाओं का क्रियान्वयन समयबद्ध ढंग से हो सकेगा।

हर विभाग को देना होगा पिछले साल का लेखा-जोखा

मुख्य सचिव ने निर्देश दिए हैं कि अब प्रत्येक विभाग को न केवल पिछले साल की उपलब्धियों का ब्यौरा देना होगा, बल्कि आने वाले साल के लिए रणनीति भी पेश करनी होगी। इसके अलावा, विभाग को अपने कार्यों का मूल्यांकन भी करना होगा, कौन-सा काम कितना सफल रहा, कहां सुधार की जरूरत है, और किन योजनाओं को प्राथमिकता दी जानी चाहिए।

‘जितना अच्छा काम, उतनी बेहतर सीआर’

सूत्रों की मानें तो आने वाले समय में अधिकारियों की गोपनीय रिपोर्ट (CR) तैयार करते समय इस ढांचे का अहम रोल हो सकता है। जिन अफसरों के विभागों की योजनाएं परिणाममूलक होंगी और जिनका फोकस जनता की समस्याओं के समाधान पर होगा, उनकी सीआर में विशेष सुधार देखा जा सकता है। ये फॉर्मेट सीधे परफॉर्मेंस को दर्शाने का आधार बन सकता है।

अब नहीं बदलेगी दिशा, 50% योजनाएं पहले बदल जाती थीं

अब तक देखा गया था कि जैसे ही किसी विभाग का सचिव बदला, प्राथमिकताएं भी बदल जाती थीं। करीब 50% योजनाएं या तो ठंडे बस्ते में चली जाती थीं या फिर पूरी तरह से नए सिरे से शुरू होती थीं। इससे न केवल आमजन और राज्य को नुकसान होता था, बल्कि विभागीय कर्मचारियों को भी नई दिशा में काम करने की परेशानी उठानी पड़ती थी। अब इस अस्थिरता पर विराम लगेगा।

इन बिंदुओं पर होगी विभागों की परख

सरकार ने यह भी तय किया है कि किन बिंदुओं के आधार पर विभागों का मूल्यांकन किया जाएगा:

  • बीते वर्ष में किए गए खास कार्य और आगामी योजनाएं
  • विजन 2047 के लिए विभाग की रणनीति
  • गरीब, किसान, युवा और महिलाओं के लिए बन रही योजनाएं
  • मुख्यमंत्री की प्राथमिकताओं से जुड़ी योजनाओं की स्थिति और भविष्य की रणनीति
  • बीते साल के लक्ष्यों की पूर्ति और अगले साल के लिए निर्धारित लक्ष्य
  • विभागीय संकल्पों की स्थिति और उन्हें पूरा करने की कार्य योजना
  • केंद्रीय योजनाओं की प्रगति और भविष्य की रूपरेखा
  • केंद्र से प्राप्त पत्रों की संख्या और उनके निराकरण की स्थिति