दिग्विजय सिंह का बड़ा आरोप, इन भाजपा नेताओं का ISI से संबंध, जारी की 10 नामों की सूची

वक्फ बोर्ड विधेयक पर सियासत के बीच कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने बड़ा आरोप लगाते हुए 10 भाजपा नेताओं को ISI एजेंट बताया है।

Srashti Bisen
Published:

मध्य प्रदेश सहित देशभर में वक्फ बोर्ड से जुड़े विधेयक को लेकर सियासी घमासान तेज हो गया है। इसी राजनीतिक तूफान के बीच कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और मध्य प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह ने एक ऐसा आरोप लगाया है, जिसने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है।

दिग्विजय ने न सिर्फ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) पर सीधा निशाना साधा, बल्कि अपने सोशल मीडिया हैंडल ‘X’ (पूर्व ट्विटर) पर 10 भाजपा नेताओं को ISI का एजेंट बताते हुए उनके नाम तक सार्वजनिक कर दिए हैं।

दिग्विजय सिंह का बड़ा आरोप

कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने भाजपा के कुछ नेताओं पर गंभीर आरोप लगाते हुए कहा है कि वे पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े हुए हैं और देशविरोधी गतिविधियों में शामिल रहे हैं। उन्होंने दावा किया कि ये नेता पाकिस्तान से आर्थिक मदद प्राप्त कर भारत के खिलाफ काम कर रहे थे। सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए उन्होंने भाजपा, भाजपा युवा मोर्चा और RSS को टैग कर सवाल भी उठाया, “आप इन्हें क्या कहेंगे?” हालांकि भाजपा की ओर से इस मामले में अब तक कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी गई है।

जारी की ISI एजेंट बताई गई भाजपा नेताओं की सूची

दिग्विजय सिंह द्वारा पोस्ट की गई सूची में भोपाल, सतना, जबलपुर, ग्वालियर और देहरादून जैसे शहरों से जुड़े भाजपा से जुड़े नेताओं और कार्यकर्ताओं के नाम शामिल हैं। ये हैं वे नाम:

  • बलराम सिंह – बजरंग दल, सतना
  • मनीष गांधी – भोपाल
  • त्रिलोक सिंह – भोपाल
  • ध्रुव सक्सेना – भाजपा आईटी सेल, भोपाल
  • मोहित अग्रवाल – भोपाल
  • मोहन भारती – जबलपुर
  • संदीप गुप्ता – जबलपुर
  • कुश पंडित – देहरादून
  • जितेंद्र ठाकुर – ग्वालियर (भाजपा पार्षद वंदना ठाकुर के देवर)
  • रितेश कुल्लर

इसके साथ ही उन्होंने एक और नाम रज्जन तिवारी का उल्लेख किया, जिन पर आरोप है कि उन्होंने बलराम सिंह को ‘दीक्षा’ दी और पाकिस्तान से फंडिंग दिलाने में मदद की। दावा किया गया कि इन लोगों ने वॉयस ओवर इंटरनेट (VoIP) कॉल्स के माध्यम से पाकिस्तानी एजेंट्स से संपर्क साधा।

क्या है वक्फ बिल विवाद?

गौरतलब है कि हाल ही में केंद्र सरकार द्वारा लाए गए वक्फ संपत्तियों से जुड़े विधेयक को लेकर देशभर में बहस छिड़ी हुई है। विपक्ष इस बिल को अल्पसंख्यक समुदायों के अधिकारों से जोड़कर देख रहा है, वहीं सरकार इसे संपत्ति प्रबंधन को व्यवस्थित करने का कदम बता रही है।