जल जीवन मिशन की बुधवार को हुई समीक्षा बैठक में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि राज्य के प्रत्येक नागरिक को सुरक्षित और गुणवत्तापूर्ण पेयजल उपलब्ध कराना सरकार की शीर्ष प्राथमिकता है। उन्होंने निर्देश दिए कि किसी भी परिस्थिति में सीवरेज का दूषित पानी जल स्रोतों में न पहुंचे और इसके लिए ठोस कार्ययोजना तैयार की जाए। मुख्यमंत्री ने बताया कि जहाँ केंद्र सरकार ने मिशन की समयसीमा दिसंबर 2028 निर्धारित की है, वहीं मध्यप्रदेश इसे मार्च 2027 तक पूर्ण कर देश के लिए एक उदाहरण प्रस्तुत करेगा।
जल उपलब्धता के अनुसार तय होगा वितरण का समय
मिशन के संचालन और रखरखाव के लिए एक मजबूत प्रणाली विकसित की जाएगी, ताकि जल आपूर्ति किसी भी स्थिति में बाधित न हो। उन्होंने कहा कि जल जीवन मिशन में उल्लेखनीय कार्य करने वाले सरपंचों और महिला समूहों को राज्य, संभाग, जिले और ग्राम स्तर पर सम्मानित किया जाएगा। पिछले दस वर्षों में जल संकट झेलने वाले गांवों की रिपोर्ट तैयार कर उन क्षेत्रों में विश्वसनीय जल आपूर्ति सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। जल उपलब्धता के आधार पर जल वितरण का समय तय किया जाएगा। साथ ही, मिशन के प्रभाव का मूल्यांकन अटल बिहारी वाजपेयी सुशासन एवं नीति विश्लेषण संस्थान के माध्यम से कराया जाएगा।
एकल नल-जल योजनाएँ 93% पूर्ण, कार्य तेजी पर
लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारियों ने बताया कि अब तक 80 लाख से अधिक ग्रामीण परिवारों को नल-जल कनेक्शन उपलब्ध कराए जा चुके हैं और मिशन की कुल प्रगति 72.54 प्रतिशत तक पहुँच गई है। वर्ष 2024-25 में 8.19 लाख कनेक्शन का लक्ष्य पूरा किया गया, जबकि 2025-26 में अब तक 5.50 लाख कनेक्शन प्रदान किए गए हैं। प्रदेश बोरवेल दुर्घटनाओं की रोकथाम लागू करने वाला पहला राज्य बन गया है और “स्वच्छ जल से सुरक्षा अभियान” में देशभर में प्रथम स्थान प्राप्त किया है।
एकल नल-जल योजनाओं में 93 प्रतिशत कार्य पूरा हो चुका है। डिजिटल मॉनिटरिंग, NABL मान्यता प्राप्त प्रयोगशालाओं और सौर ऊर्जा परियोजनाओं के माध्यम से जल जीवन मिशन को तकनीकी और ऊर्जा सुरक्षा के साथ संचालित किया जा रहा है।
अगले तीन वर्षों में हर ग्रामीण घर तक सुरक्षित नल-जल का लक्ष्य
बैठक में बताया गया कि आगामी तीन वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों के हर घर तक सुरक्षित नल-जल पहुँचाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। नए गांवों, स्कूलों, आंगनवाड़ियों और स्वास्थ्य केंद्रों में जल सुविधाओं का विस्तार किया जाएगा। इस योजना के पूर्ण होने पर मध्यप्रदेश जल आपूर्ति व्यवस्था में देश के अग्रणी राज्यों में शामिल होगा।









