मुख्यमंत्री कन्या विवाह योजना में बड़ा बदलाव, टाइगर बफर जोन को 145 करोड़ की सौगात

कैबिनेट ने मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना में संशोधन को मंजूरी दी, जिससे अब लाभ केवल बीपीएल पोर्टल पर सत्यापित परिवारों को मिलेगा। साथ ही, टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्रों के विकास हेतु 145 करोड़ रुपये की नई योजना को सैद्धांतिक स्वीकृति दी गई।

Abhishek Singh
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मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में आयोजित कैबिनेट बैठक में दो प्रमुख प्रस्तावों को मंजूरी प्रदान की गई। गरीब परिवारों की बेटियों के विवाह हेतु संचालित मुख्यमंत्री कन्या विवाह/निकाह योजना में संशोधन को स्वीकृति दी गई, वहीं राज्य के टाइगर रिजर्व से सटे बफर क्षेत्रों के समग्र विकास के लिए 145 करोड़ रुपये की नई योजना को सैद्धांतिक मंजूरी मिली।

कैबिनेट द्वारा कन्या विवाह/निकाह योजना को अधिक प्रभावी और पारदर्शी बनाने के उद्देश्य से महत्वपूर्ण बदलाव किए गए हैं। अब इस योजना का लाभ केवल उन्हीं परिवारों को मिलेगा जो गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन कर रहे हैं और जिनकी जानकारी बीपीएल पोर्टल पर सत्यापित होगी।

संशोधित प्रावधानों के अनुसार, प्रत्येक वधू को 55,000 रुपये की सहायता राशि प्रदान की जाएगी। इसमें से 49,000 रुपये डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) के माध्यम से वधू को अकाउंट पेयी चेक के जरिये दिए जाएंगे, जबकि शेष 6,000 रुपये आयोजन व्यय हेतु संबंधित स्थानीय निकाय को प्रदान किए जाएंगे।

सामूहिक विवाह कार्यक्रमों की व्यवस्था को लेकर भी नए दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। अब प्रत्येक कार्यक्रम में कम से कम 11 और अधिकतम 200 जोड़ों का विवाह कराया जा सकेगा। इन आयोजनों का संचालन संभागवार वार्षिक कैलेंडर के अनुसार किया जाएगा।

आवेदनों की जांच संबंधित स्थानीय निकाय स्तर पर की जाएगी, और सभी वर-वधू के लिए आधार आधारित ई-केवाईसी अनिवार्य होगी। सरकार ने इन कार्यक्रमों को सामाजिक सहभागिता से जोड़ते हुए जनप्रतिनिधियों एवं सामाजिक संगठनों की सक्रिय भागीदारी सुनिश्चित करने के निर्देश भी जारी किए हैं।

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कैबिनेट ने वित्तीय वर्ष 2025-26 से 2027-28 तक के लिए ‘टाइगर रिजर्व के बफर क्षेत्रों के विकास’ नामक एक नई योजना को सैद्धांतिक रूप से मंजूरी प्रदान की है, जिसके अंतर्गत कुल 145 करोड़ रुपये व्यय किए जाएंगे। इस योजना के तहत प्रदेश के 9 टाइगर रिजर्व से सटे बफर क्षेत्रों में वन्यजीव संरक्षण से जुड़े विभिन्न कार्य किए जाएंगे, जिनमें चेन लिंक फेंसिंग, अग्नि सुरक्षा उपाय, चारागाहों और जल स्रोतों का संवर्धन, तथा वन्य प्राणियों के स्वास्थ्य परीक्षण शामिल हैं।

इसके साथ ही, स्थानीय निवासियों के कौशल विकास के लिए प्रशिक्षण कार्यक्रम भी संचालित किए जाएंगे, जिससे न केवल क्षेत्र में रोजगार के अवसर सृजित होंगे, बल्कि वन्यजीवों के प्रति जागरूकता भी बढ़ेगी।

उल्लेखनीय है कि पिछले चार वर्षों में प्रदेश में बाघों की संख्या 526 से बढ़कर 785 हो गई है, जो वन्यजीव संरक्षण के क्षेत्र में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि के रूप में देखा जा रहा है।