प्रदेश भाजपा में संगठनात्मक बदलाव के बाद अब राजनीतिक नियुक्तियों को लेकर सरगर्मी बढ़ गई है। नई प्रदेश कार्यकारिणी के गठन के पश्चात वे नेता, जो सूची में स्थान नहीं पा सके, अब निगम-मंडलों और आयोगों में पद हासिल करने की उम्मीद लगाए बैठे हैं। संगठनात्मक संतुलन स्थापित करने के बाद पार्टी का फोकस अब इन नियुक्तियों पर केंद्रित हो गया है।
सूत्रों के मुताबिक, भाजपा नेतृत्व दिसंबर में बिहार चुनाव संपन्न होने के बाद राजनीतिक नियुक्तियों पर निर्णय लेगा। संभावना है कि ऐसे नेताओं को निगम-मंडलों में अवसर दिया जाएगा, जो लंबे समय से संगठन में सक्रिय हैं लेकिन इस बार कार्यकारिणी में शामिल नहीं हो सके। नई प्रदेश कार्यकारिणी में पुराने और नए दोनों तरह के चेहरों को स्थान मिला है। वहीं, कुछ वरिष्ठ नेताओं को फिलहाल प्रतीक्षा सूची में रखा गया है ताकि उन्हें आगे अन्य जिम्मेदार भूमिकाओं से जोड़ा जा सके। पार्टी सूत्रों का कहना है कि संगठन ने अनुभव और क्षेत्रीय संतुलन दोनों को ध्यान में रखकर यह संरचना तैयार की है।
पार्टी सूत्रों के अनुसार, संगठन में जगह न पाने वाले कई सक्रिय नेताओं को अब निगम-मंडलों में जिम्मेदारी दी जा सकती है। इनमें ऐसे वरिष्ठ नेता भी शामिल हैं, जो लंबे समय से पार्टी और सरकार दोनों में सक्रिय भूमिका निभा रहे हैं। इन पदों को लेकर आंतरिक स्तर पर चर्चा शुरू हो गई है, हालांकि अंतिम निर्णय केंद्रीय नेतृत्व की स्वीकृति से ही लिया जाएगा। सरकारी निकायों में कई नियुक्तियां पहले से लंबित हैं, और अब जबकि संगठनात्मक ढांचा लगभग तैयार है, संभावना जताई जा रही है कि नवंबर के अंत या दिसंबर की शुरुआत तक राजनीतिक नियुक्तियों की पहली सूची जारी हो सकती है।
भाजपा संगठन अब 2028 के विधानसभा चुनावों को ध्यान में रखते हुए संगठन और सरकार के बीच बेहतर तालमेल स्थापित करने तथा अनुभवी नेताओं को जिम्मेदारी देकर संगठन को और सशक्त बनाने की दिशा में काम कर रहा है।









