अगर आप खेती से अच्छा मुनाफा कमाने का सपना देख रहे हैं, तो यह खबर आपके लिए बेहद खास है। अदरक की एक खास किस्म इन दिनों किसानों के बीच काफी लोकप्रिय हो रही है, जो ना सिर्फ बंपर उत्पादन देती है, बल्कि बाजार में इसकी भारी मांग के चलते इससे मोटी कमाई भी होती है।
हम बात कर रहे हैं ‘सुप्रभा’ किस्म की अदरक की खेती की, जिसे खेती की दुनिया में “पैसा छापने वाली फसल” तक कहा जा रहा है।

क्या है खास सुप्रभा किस्म में?
‘सुप्रभा’ अदरक की एक उन्नत और बेहतर उपज देने वाली किस्म है, जो अपने उच्च गुणवत्ता, सुगंध और चमकदार सफेद छिलके के लिए जानी जाती है। यह किस्म मृदु विगलन जैसे रोगों के प्रति भी प्रतिरोधक होती है, जिससे फसल को नुकसान होने की संभावना बेहद कम होती है।
इस किस्म की एक और बड़ी खासियत यह है कि इसकी थोड़ी सी मात्रा ही किसी भी भोजन में बेहतरीन स्वाद और खुशबू जोड़ देती है, इसलिए बाजार में इसकी डिमांड पूरे साल बनी रहती है।
कैसे करें सुप्रभा अदरक की खेती?
अगर आप भी इस लाभकारी अदरक किस्म की खेती शुरू करना चाहते हैं, तो इसके लिए मई का महीना सबसे उपयुक्त होता है। खेती की तैयारी कुछ इस प्रकार करें:
- खेत की तैयारी: सबसे पहले खेत की गहरी जुताई करें और उसमें अच्छी तरह सड़ी हुई गोबर की खाद मिलाएं।
- बीज की बुवाई: सुप्रभा किस्म की बुवाई बीज या कंद के जरिए की जाती है। इन्हें 30-40 सेमी की दूरी पर कतारों में बोया जाता है।
- फसल की अवधि: फसल की परिपक्वता में बुवाई के बाद लगभग 220 से 230 दिन का समय लगता है। इस दौरान यदि सिंचाई, निराई-गुड़ाई और देखभाल सही तरीके से की जाए तो फसल की गुणवत्ता और उपज में काफी सुधार होता है।
कितनी होगी कमाई?
यदि आप एक हेक्टेयर जमीन पर सुप्रभा किस्म की अदरक की खेती करते हैं, तो इससे आपको करीब 200 से 230 क्विंटल तक की उपज प्राप्त हो सकती है। बाजार में इस किस्म की अदरक की कीमत आमतौर पर ₹80 से ₹100 प्रति किलो तक होती है, ऐसे में आप एक ही सीजन में ₹20 से ₹23 लाख रुपये तक की आमदनी कर सकते हैं। कम खर्च में ज्यादा मुनाफा देने वाली यह फसल आज के समय में किसानों के लिए एक बेहद फायदे का सौदा बनकर उभर रही है।
बाजार में भारी डिमांड, रिस्क कम, मुनाफा ज्यादा
सुप्रभा किस्म की सबसे बड़ी ताकत इसकी सालभर बनी रहने वाली बाजार में मांग है। चाहे छोटे कस्बों के बाजार हों या बड़े शहरों के सुपरमार्केट हर जगह इस किस्म की अदरक की जरूरत रहती है। इसके अलावा यह किस्म रोग प्रतिरोधक भी है, जिससे नुकसान की संभावना कम होती है।