एक खुशहाल परिवार की छुट्टियां मातम में तब्दील हो गईं। एलआईसी अफसर सुशील नथानियल अपने परिवार के साथ कश्मीर की खूबसूरत वादियों में छुट्टियां बिताने गए थे, लेकिन उन्हें क्या पता था कि ये सफर उनकी जिंदगी का आखिरी सफर बन जाएगा। आतंकियों ने न सिर्फ उन्हें मौत के घाट उतार दिया, बल्कि उनके बच्चों और पत्नी को भी खौफनाक मंजर दिखा दिया।
इंदौर में रहने वाले संजय कुमरावत ने बताया कि उन्हें इस हादसे की जानकारी उनके भतीजे ऑस्टिन से मिली। रोते हुए उसने बताया कि उसके पिता सुशील को गोली मार दी गई है। आवाज इतनी कांप रही थी कि कुछ पल तो समझ ही नहीं आया कि क्या हुआ है। “तीसरी बार कॉल करने पर उसने बताया कि पापा नहीं रहे…”

“कलमा पढ़ सकते हो?” का जवाब नहीं दिया तो चला दी गोली
परिवार की बहू जैमा विकास ने बताया कि आतंकियों ने पहले सुशील से पूछा कि वो किस धर्म के हैं। फिर कहा, “कलमा पढ़ सकते हो?” जब उन्होंने मना किया, तो उन्हें घुटनों के बल बैठने को कहा। वो वैसे नहीं बैठ सके, जैसे मुसलमान नमाज पढ़ते हैं। जब उन्होंने बताया कि वे ईसाई हैं, तो आतंकी ने उन्हें गोली मार दी। एक गोली बेटी आकांक्षा के पैर में भी लगी।
इजरायल जाना था, छुट्टी न मिली तो कश्मीर चले गए
सुशील की बुआ इंदु डावर ने बताया कि उनका प्लान इजरायल जाने का था, लेकिन पत्नी जेनिफर को छुट्टी नहीं मिली, तो कश्मीर का रुख किया। उन्होंने बताया कि सुशील हर साल परिवार के साथ कहीं न कहीं घूमने जाते थे। इस बार भी ऐसा ही एक ट्रिप था, लेकिन यह उनकी जिंदगी का आखिरी ट्रिप बन गया।
“जीवन में कुछ अच्छा करना है”
सुशील के करीबी बताते हैं कि वो हमेशा कहते थे, “इस जीवन में कुछ अच्छा कर जाना चाहिए।” वे मेहनती, समर्पित और परिवार के बेहद करीब थे। उनके पिता, जो अब 87 वर्ष के हैं, कम सुनते हैं, इसलिए सुशील हमेशा उनके साथ रहते थे। पिछले साल 22 अप्रैल को उनके पिता का निधन हुआ था, और इस साल वही तारीख उनके खुद के लिए काल बन गई।
परिवार में शोक की लहर, विधायक पहुंचे घर
इस दर्दनाक हादसे की जानकारी मिलते ही इंदौर-2 के विधायक रमेश मेंदोला और एमआईसी सदस्य राजेंद्र राठौर पीड़ित परिवार से मिलने पहुंचे। उन्होंने हरसंभव मदद का भरोसा दिलाया और कहा कि पूरा शहर इस दुख की घड़ी में उनके साथ खड़ा है।
सुशील नथानियल के परिवार बारे में
सुशील नथानियल आलीराजपुर एलआईसी ब्रांच में मैनेजर पद पर कार्यरत थे। उनकी पत्नी जेनिफर इंदौर के खातीपुरा सरकारी स्कूल में अध्यापिका हैं। बेटी आकांक्षा सूरत में बैंक ऑफ बड़ौदा में कार्यरत हैं, जबकि बेटा ऑस्टिन एक उभरता हुआ बैडमिंटन खिलाड़ी है। मूल रूप से यह परिवार जोबट (आलीराजपुर) का रहने वाला है।
संजय ने बताया कि अगर सूर्यास्त से पहले शव पहुंचता है, तो आज ही अंतिम संस्कार कर देंगे, वरना कल सुबह किया जाएगा। परिवार में अब शोक का माहौल है, और हर आंख नम है।
15 मिनट पहले ही निकले थे सुमित शर्मा
मध्य प्रदेश के महू के किशनगंज निवासी और होटल व प्रॉपर्टी व्यवसायी सुमित शर्मा अपने परिवार के साथ उस स्थान पर मौजूद थे जहां आतंकी हमला हुआ। सौभाग्य से वे हमले से महज 15 मिनट पहले ही वहां से निकल चुके थे। सुमित ने बताया कि वे अब उस जगह से लगभग तीन किलोमीटर दूर सुरक्षित स्थान पर रुके हुए हैं। हमला होते ही सुरक्षा एजेंसियों ने वहां मौजूद सभी पर्यटकों को श्रीनगर भेज दिया और सभी होटल खाली करा लिए गए।
लास्ट टाइम शेड्यूल में हुआ बदलाव
इंदौर से 75 वरिष्ठ नागरिकों का एक दल 22 और 23 अप्रैल को पहलगाम जाने वाला था। उनकी योजना के अनुसार वे 21 अप्रैल को इंदौर से रवाना होकर सीधे पहलगाम पहुंचने वाले थे और दो दिन वहीं ठहरने का कार्यक्रम था। लेकिन होटल में जगह न मिलने की वजह से अंतिम क्षणों में यात्रा का कार्यक्रम बदलना पड़ा।
ग्रुप से जुड़े महेश डाकोलिया ने कहा कि यह किसी ईश्वरीय कृपा से कम नहीं कि हमने अंतिम समय में पहलगाम की बजाय श्रीनगर और सोनमर्ग का रूट चुना। अब आतंकी हमले की खबर के बाद समूह ने पहलगाम जाने की योजना पूरी तरह रद्द कर दी है। वे मंगलवार को श्रीनगर से सोनमर्ग होते हुए वापस लौटेंगे।