आम आदमी को टोल पर बड़ी राहत, सिर्फ 3000 में सालभर के लिए पास, FASTag को लेकर नई शर्त लागू

सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर टोल शुल्क में 50% तक की छूट देने और 3,000 रुपये में वार्षिक पास की सुविधा प्रदान करने के लिए नई टोल नीति प्रस्तावित की है। इस नीति में फास्टैग के माध्यम से शुल्क का भुगतान होगा, और इसका लक्ष्य टोल गेटों को समयसीमा के भीतर हटाना भी है।

Abhishek Singh
Published:

सरकार ने राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे पर टोल से जुड़ी दिक्कतों को कम करने के लिए एक नई टोल नीति का प्रस्ताव रखा है। इस नीति के तहत लोगों को टोल शुल्क में औसतन 50% तक की छूट मिलेगी। साथ ही, 3,000 रुपये की एकमुश्त राशि चुकाकर वार्षिक पास प्राप्त किया जा सकेगा। यह पास न सिर्फ राष्ट्रीय राजमार्गों और एक्सप्रेसवे, बल्कि राज्यों द्वारा संचालित एक्सप्रेसवे पर भी वैध रहेगा।

इसके लिए किसी अलग पास की आवश्यकता नहीं होगी, क्योंकि शुल्क का भुगतान सीधे फास्टैग अकाउंट के माध्यम से किया जा सकेगा। नई टोल नीति लगभग अंतिम चरण में है और जल्द ही इसकी आधिकारिक घोषणा की जा सकती है। इस नीति में निर्धारित समयसीमा के भीतर टोल गेटों को हटाने का लक्ष्य भी शामिल है।

क्षति पूर्ति के लिए अपनाया जाएगा यह तरीका

इस योजना के क्रियान्वयन में सबसे बड़ी बाधा कंसेशनरों और ठेकेदारों के मौजूदा अनुबंध थे, जिनमें इस प्रकार की सुविधा का उल्लेख नहीं था। सूत्रों के मुताबिक, उनकी आपत्तियों को दूर करने के लिए सड़क परिवहन और राजमार्ग मंत्रालय ने क्षतिपूर्ति देने पर सहमति जताई है। इसका अर्थ यह है कि कंसेशनर अपने टोल प्लाजा से गुजरने वाले वाहनों का डिजिटल डेटा संकलित करेंगे और सरकार, निर्धारित फॉर्मूले के तहत, उनके दावों और वास्तविक वसूली के अंतर की भरपाई करेगी।

अब महज 3000 रूपए में मिलेगा सालभर का टोल पास

नई टोल नीति टोल प्लाजाओं की व्यवस्थाओं के बजाय प्रति किलोमीटर निर्धारित शुल्क पर आधारित होगी। उदाहरण के तौर पर, सौ किलोमीटर की यात्रा करने वाली कार को पचास रुपये का टोल शुल्क देना पड़ेगा। इस नीति से जुड़े सूत्रों के अनुसार, वर्तमान में मासिक पास जारी किए जाते हैं, जो स्थानीय नागरिकों को एक टोल प्लाजा पार करने में सुविधा प्रदान करते हैं। लेकिन नई नीति के तहत, 3,000 रुपये का वार्षिक पास प्राप्त कर कोई भी वाहन पूरे साल के लिए असीमित किलोमीटर यात्रा कर सकेगा, और उसे किसी भी एक्सप्रेसवे या हाइवे पर टोल शुल्क नहीं देना होगा।

नई सुविधा की शुरुआत कहां से होगी?

नई टोल नीति के निर्माण में सलाहकारों ने मंत्रालयों और बैंकों को साइड एमेनिटीज के स्वामित्व में हिस्सेदारी रखने की सिफारिश की है। इस नीति की शुरुआत दिल्ली-जयपुर हाईवे से होने की संभावना जताई जा रही है। मंत्रालय के एक अन्य अधिकारी के अनुसार, देश भर में बैरियर-फ्री इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग को लागू करने के लिए ऑटोमैटिक नंबर प्लेट रिकॉग्निशन सिस्टम (एएनपीआर) इस वर्ष के अंत तक कार्यान्वित कर दिया जाएगा।

यह पहल सबसे पहले भारी वाहनों और खतरनाक सामग्री ढोने वाले ट्रकों से शुरू की जाएगी। पूरे नेटवर्क की मैपिंग पूरी हो चुकी है, और नई तकनीकों जैसे सेंसर और कैमरे विभिन्न क्षेत्रों में लगाए जा रहे हैं। फास्टैग और एएनपीआर मिलकर आगामी टोल प्रणाली की आवश्यकताओं को पूरा करेंगे।

बैरियर-फ्री इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग, एक नई पहल

नई टोल नीति बैरियर-फ्री इलेक्ट्रॉनिक टोलिंग को प्रोत्साहित करने वाली है। सूत्रों के मुताबिक, इस संबंध में किए गए तीन पायलट प्रोजेक्टों से सकारात्मक परिणाम प्राप्त हुए हैं, और अब सटीकता का स्तर लगभग 98 प्रतिशत तक पहुँच चुका है। साथ ही, बैंकों के साथ इस चिंता का समाधान भी किया गया है कि अगर कोई वाहन बिना टोल अदा किए सड़क नेटवर्क से निकल जाता है, तो उस पर टोल की वसूली कैसे होगी। इसके लिए बैंकों को अतिरिक्त अधिकार दिए जाएंगे, जिससे वे फास्टैग सहित अन्य भुगतान विधियों में न्यूनतम बैलेंस की शर्त लागू कर सकेंगे और अधिक पेनाल्टी भी लगा सकेंगे।

अब टोल प्लाजा पर कार को नहीं करना होगा आगे-पीछे

  • लोगों की एक आम शिकायत है कि टोल गेट के पास पहुँचते ही स्कैनर ठीक से काम नहीं करते, जिससे उन्हें अपनी गाड़ी को आगे-पीछे करना पड़ता है। यह समस्या उन टोल प्लाजाओं में भी देखने को मिल रही है, जिनका संचालन ग्लोबल एजेंसियों द्वारा किया जाता है। उनका मानना है कि यह समस्या स्थानीय तकनीकी मुद्दों के कारण होती है। यदि फास्टैग सही तरीके से नहीं लगा होता या वह अवैध होता है, तो सेंसर को री-सेट करने में समय लग सकता है।
  • सरकार ने पिछले साल “एक वाहन, एक फास्टैग” नीति लागू की थी, जिसके तहत एक करोड़ फास्टैग रद्द किए गए थे। हालांकि, अभी भी उतने ही फास्टैग अवैध या अक्रिय हो चुके हैं, जिन्हें या तो वाहनों से हटा नहीं गया है या वे वाहन से जुड़े हुए हैं। अधिकारियों ने टोल ऑपरेटरों से ऐसे वाहनों की पहचान करने और उन्हें चिह्नित करने की दिशा में कार्रवाई करने को कहा है।
  • केंद्र सरकार राज्यों से संपर्क कर रही है ताकि वे इस प्रणाली में शामिल हों और सभी प्रकार की सड़कों को कवर किया जा सके। अवैध या अक्रिय फास्टैग की समस्या, जो टोल प्लाजा पर भीड़भाड़ और यात्रियों को होने वाली असुविधाओं का कारण बन रही है, को सुलझाने के लिए सरकार ने हाल ही में हाईवे प्रबंधन अधिकारियों से दो बार बैठक की। इन बैठकों में एजेंसियों, कंसेसनियरों और परियोजना निदेशकों से विचार-विमर्श किया गया।