साल 2024 में APSEZ ने रिकॉर्ड 420 MMT कार्गो को संभाला है। आंकड़े बताते हैं कि कैसे भारत का सबसे बड़ा निजी बंदरगाह ऑपरेटर उद्योग में क्रांति ला रहा है और ऑपरेशन एक्सीलेंस में नए कीर्तिमान स्थापित कर रहा है। भारत में सबसे बड़े बंदरगाह ऑपरेटर बनने की दिशा में APSEZ को देश के तटों पर रणनीतिक संपत्तियों के अधिग्रहण किया गया है। इसके अलावा, डेवलपमेंट और इनोवेशन के तहत सुविधाओं से लैस क्षमता वाले दूसरे बंदरगाहों की पहचान हो रही है। APSEZ डोमेस्टिक कार्गो वॉल्यूम में 21% की वृद्धि हुई, जबकि साल 2014 से भारत के कार्गो वॉल्यूम में 7.5% की वृद्धि हुई।
ओडिशा के भद्रक में धामरा बंदरगाह ड्राई कार्गो शिपमेंट के लिए एक स्ट्रैटेजिक सेंटर बन चुका है। ये बंदरगाह समुद्र में कुछ सबसे बड़े जहाजों को संभालने में सक्षम है। दस साल पहले, यहां लगभग 14 एमएमटी कार्गो संभालता था। अब इसकी क्षमता तीन गुना वृद्धि के साथ 42 एमएमटी से ज्यादा हो गई है।
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वहीं, आंध्र प्रदेश के नेल्लोर जिले में कृष्णापटनम पोर्ट एक मल्टी आइटम फीचर बंदरगाह है। यह देश के दक्षिणी क्षेत्र की जरूरतों को पूरा करता है जिसमें बिजली, सीमेंट और स्टील उद्योग शामिल हैं। पिछले तीन सालों में, बंदरगाह की कार्गो प्रबंधन क्षमता 17% बढ़ गई है। इनके अधिग्रहण के बाद, APSEZ ने धामरा और कृष्णापट्टनम में मौजूदा सुविधाओं में बड़े बदलाव किए गए, मजबूत सिस्टम को लागू कर कमियों को दूर किया। कार्गो हैंडलिंग और स्टोरेज में सुधार कर पोर्ट ऑपरेशन से लेकर लॉजिस्टिक्स ऑपरेशन को व्यवस्थित किया और कार्गो की नॉन-स्टॉप आवाजाही सुनिश्चित की गई।
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APSEZ का डीप ड्राफ्ट पोर्ट बड़े जहाजों को संभाल सकता है और ओडिशा, झारखंड और पश्चिम बंगाल में उद्योगों की जरूरतों को पूरा काफी मदद कर सकती है। 2014 में, इसने लगभग 14.3 एमएमटी (मिलियन मीट्रिक टन) कार्गो को संभाला। मार्च 2024 में, इसने 42.8 एमएमटी को संभाला, जो 3 गुना वृद्धि दर्शाता है। धामरा में 5 एमएमटी क्षमता का एलएनजी टर्मिनल भी है जो असम, बिहार, ओडिशा, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल की जरुरतों को पूरा करता है।
पुडुचेरी में कराईकल पोर्ट बिजली प्लांट और सीमेंट कारखानों के आसपास है। चूंकि इसे 2023 में APSEZ द्वारा अधिग्रहण किया गया था, इसलिए इसमें कार्गो वॉल्यूम में बदलाव देखा गया है। साल 2023 में, इसने लगभग 10 एमएमटी कार्गो संभाला और 2024 में यह संख्या 13 एमएमटी तक पहुंच गई।