इंदौर शहर को शर्मसार करने वाली सामने आई नगर निगम की अमानवीय घटना की देश भर में निंदा हो रही है। अब इसको लेकर कोरोना काल में गरीबो के लिए भगवान बनकर उबरे सोनू सूद ने भी ट्वीट किया। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से एक वीडियो शेयर करके अपनी बात रखी। सोनू सूद ने अपने जारी वीडियो के माध्यम से कहा कि हम सब मिलकर इन लोगों के लिए रहने-खाने और इनका ध्यान रखने का प्रबंध करें। उन्होंने आगे कहा कि ऐसे असहाय बुजुर्गो के लिए हम सब को मिलकर एक छत का निर्वाण करना होगा। मैं इनका हक दिलाने की कोशिश करूंगा।
यह कहा सोनू सूद ने
सोनू सूद ने वीडियो की शुरूकर करते हुए बोले कि “मैं अपने इंदौरवासी भाई बहनों से गुजारिश करूंगा कि कल मैंने एक न्यूज देखी, जिसमें बुजुर्गों को शहर से बाहर रखने का प्रयत्न किया गया। मैं सबसे यही कहूंगा कि मैं और आप मिलकर इन्हें एक छत देने की कोशिश करें। मैं इनको हक दिलाने के साथ ही इनके सिर पर एक छत देना चाहता हूं। उनके खाने-पीने, उनके ध्यान रखने का प्रबंध करने की कोशिश करना चाहता हूं। यह आपके साथ कि बिना मुश्किल है। मैं कोशिश करूंगा कि इन्हें इनका हक मिले, सिर पर छत मिले। जितने बच्चे अपने मां-बाप को अकेले छोड़ देते हैं, उनके लिए एक सीख होनी चाहिए कि आप आपने माता-पिता को प्यार दें, उनका ध्यान रखें। हम मिलकर ऐसा उदाहरण प्रस्तुत करें कि ये हमारे बड़े-बुजुर्ग कभी भी अकेला महसूस नहीं करें। मैं आपके साथ हूं। हम देश के लिए एक एक्जाम्पल सेट करें।”
![Indore News: बुजुर्गों के सहायता के लिए आगे आए सोनू सूद, कहा- एक छत के नीचे रखूँगा पूरा ध्यान](https://ghamasan.com/wp-content/uploads/2021/01/sonu-sood.jpg)
ऐसा है पूरा घटनाक्रम
चश्मदीद दुकान संचालक राजेश जोशी से प्राप्त जानकारी के अनुसार, बीते दिन दोपहर दो से ढाई बजे के बीच इंदौर नगर निगम की गाडी आई थी, जिस कुछ बुजुर्ग बुजुर्ग लोग बैठे थे। कुछ बुजुर्ग बेहद कमजोर थे वो उतर नहीं पा रहे थे। तो निगम के लोग उन्हें टांगाटोली कर उतार रहे थे।
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उस वक्त मैंने वीडियो बनते हुए पूछा की इन्हे यहाँ क्यों उतर रहे हो। तो उनका जवाब था की यह सरकार का आदेश है,यह इंदौर शहर में में गंदगी फैला रहे हैं। फिर हमने वापस आते हुए देखे तो निगम के लोग इन्हे यहीं छोड़ कर जा रहे थे। इसके बाद हमने उनकी गाडी रुकवाई और सभी को गाड़ी में फिर से बिठवाया।
राजेश जोशी ने बताया कि जिन्हें गाड़ी से उतारा गया था, उनकी हालत बहुत ही बुरी थी। वे ठीक से चल भी नहीं पा रहे थे। इसमें 10-12 बुजुर्ग थे। इसमें दो महिलाएं भी थीं। सड़क पर उनके कपड़े पड़े हुए थे।