Indore में निकली भव्य 108 रथों की यात्रा, सोने, चांदी और काष्ठ से बने रथ हुए शामिल, उमड़ा जैन सैलाब

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By Srashti BisenPublished On: November 15, 2024
Indore

Indore : इंदौर में शुक्रवार को सिद्ध चक्र महामंडल विधान के समापन अवसर पर एक भव्य रथयात्रा (रथावर्तन) का आयोजन किया गया। यह यात्रा विशेष रूप से सुर्खियों में रही, क्योंकि इसमें देशभर से 108 रथ शामिल हुए, जो अपनी भव्यता और धार्मिक महत्ता के लिए प्रसिद्ध थे। यात्रा का आयोजन विजय नगर बिजनेस पार्क आईडीए ग्राउंड से प्रारंभ हुआ और विभिन्न प्रमुख मार्गों से होते हुए कार्यक्रम स्थल तक पहुंची। इस अवसर पर गिनीज वर्ल्ड रिकॉर्ड की टीम भी यात्रा में शामिल हुई और इस ऐतिहासिक आयोजन की निगरानी की।


रथों की विविधता और धार्मिक महिमा

इस रथयात्रा में देश के विभिन्न हिस्सों से आए रथों की महिमा अलग-अलग थी। बिहार, गुजरात, उत्तर प्रदेश समेत अन्य राज्यों से कुल 108 रथ इंदौर पहुंचे थे। इनमें से दो रथ सोने के, दो रजत के और 35 से ज्यादा रथ सोने-रजत, अन्य धातुओं और बेशकीमती लकड़ियों से बने थे। इस आयोजन में ये रथ न केवल अपने धार्मिक महत्व के लिए बल्कि अपनी शिल्पकला और भव्यता के लिए भी चर्चा का विषय बने। विशेष रूप से यह एक ऐतिहासिक अवसर था, जब देशभर के इन अद्वितीय रथों को एक साथ इंदौर में लाया गया।

मुनि प्रमाण सागर जी का नेतृत्व

रथयात्रा के सबसे पीछे मुनि प्रमाण सागर जी महाराज ने पदयात्रा करते हुए अपने शिष्यों और सेवादारों के साथ रथ यात्रा में भाग लिया। उनके साथ बड़ी संख्या में श्रद्धालु भी थे और उनके दर्शन के लिए भारी भीड़ उमड़ी। मुनि श्री प्रमाण सागर जी का यह नेतृत्व रथयात्रा को धार्मिक दृष्टि से और भी महत्वपूर्ण बना रहा था।

यात्रा मार्ग और स्वागत

रथयात्रा विजय नगर बिजनेस पार्क आईडीए ग्राउंड से शुरू होकर एलआईजी चौराहा, पाटनीपुरा चौराहा, भमोरी चौराहा और रसोमा चौराहे होते हुए पुनः दोपहर 12 बजे तक अपने कार्यक्रम स्थल पर पहुंची। इस मार्ग पर विभिन्न स्थानों पर यात्रा का स्वागत किया गया और श्रद्धालुओं ने रथों का पूजन कर यात्रा में भाग लिया। यात्रा के दौरान लोगों ने पारंपरिक भेष-भूषा में देशभक्ति के रंग भी दिखाए और कुछ स्थानों पर आदिवासी नृत्य का आयोजन भी किया गया। यात्रा में एक हजार से अधिक लोग शामिल हुए, जो पूरी यात्रा में श्रद्धा और उत्साह से झूमते हुए आगे बढ़े।

108 रथों का धार्मिक महत्व

इस रथ यात्रा का आयोजन विशेष रूप से मुनि श्री प्रमाण सागर जी के आशीर्वाद से हुआ था, जो पहले मालवा की धरती पर हो रहा था। धर्म प्रभावना समिति के प्रचार प्रमुख राहुल जैन ने बताया कि इस रथ यात्रा में शामिल कुछ रथ ऐसे भी हैं, जो कहीं और नहीं मिलते, केवल भारत में ही पाए जाते हैं। इन रथों की धार्मिक महिमा और महत्व को लेकर समिति के सदस्य भी उत्साहित थे। महोत्सव के अध्यक्ष नवीन गोधा ने बताया कि यह रथ यात्रा कुल 4 से 4.5 किमी की लंबाई में थी और सभी रथ अपनी विशिष्टता के कारण यात्रियों और श्रद्धालुओं के आकर्षण का केंद्र बने हुए थे।

रथयात्रा का आयोजन और सामूहिक धर्म कार्य

यह आयोजन पहली बार गुरु प्रमाण सागर जी के मार्गदर्शन में हुआ, जब दिगम्बर जैन समाज के प्रसिद्ध रथ एकत्रित हुए थे। धर्म प्रभावना समिति के उपाध्यक्ष प्रदीप कुमार जैन ने बताया कि यह आयोजन समाज के लिए एक ऐतिहासिक अवसर था, जिसमें विभिन्न राज्यों के रथ इंदौर में एकत्र हुए थे। रथ यात्रा न केवल धार्मिक दृष्टिकोण से महत्वपूर्ण थी, बल्कि यह एक सामूहिक धर्म कार्य का हिस्सा भी थी, जो समाज की एकता और धार्मिक विश्वास को प्रकट करता है।