571 करोड़ का घोटाला, सत्येंद्र जैन पर गिरी ACB की गाज, आखिर क्या है CCTV फ्रॉड केस ?

दिल्ली सरकार की एसीबी ने 571 करोड़ रुपये की सीसीटीवी परियोजना में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ मामला दर्ज किया।

Abhishek Singh
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दिल्ली सरकार की भ्रष्टाचार निरोधक शाखा (ACB) ने 571 करोड़ रुपये की सीसीटीवी परियोजना में वित्तीय अनियमितताओं के आरोप में पूर्व पीडब्ल्यूडी मंत्री सत्येंद्र जैन के खिलाफ केस दर्ज किया है।

बीईएल अधिकारी की भूमिका की विस्तृत जांच

मनमोहन पांडेय की शिकायत पर सक्षम प्राधिकरण की मंजूरी मिलने के बाद एसीबी ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम और आपराधिक साजिश की धाराओं के तहत मामला दर्ज किया है।

उपराज्यपाल वीके सक्सेना ने भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम की धारा 17ए के तहत मामले को केंद्रीय गृह मंत्रालय भेजने के सतर्कता निदेशालय के प्रस्ताव को स्वीकृति दी थी, ताकि एसीबी को सत्येंद्र जैन के खिलाफ मामला दर्ज कर जांच शुरू करने की अनुमति मिल सके।

सत्येंद्र जैन के खिलाफ क्या हैं आरोप?

दिल्ली के 70 विधानसभा क्षेत्रों में 1.4 लाख सीसीटीवी कैमरे लगाने की योजना थी। हालांकि, परियोजना में देरी के चलते भारत इलेक्ट्रॉनिक्स लिमिटेड (बीईएल) पर 16 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया गया था, जिसे सत्येंद्र जैन ने कथित रूप से 7 करोड़ रुपये की रिश्वत लेकर मनमाने तरीके से माफ कर दिया।

आपको बता दें की मई 2022 में भी प्रवर्तन निदेशालय ने सत्येंद्र जैन को मनी लॉन्ड्रिंग मामले में गिरफ्तार किया था। वर्तमान में वह जमानत पर हैं। फरवरी 2023 में उन्होंने मंत्री पद से इस्तीफा दिया था।

सीसीटीवी कैमरों के ऑर्डर का पूरा विवरण

बीईएल को बार-बार 1.4 लाख अतिरिक्त सीसीटीवी कैमरे लगाने के आदेश दिए जा रहे थे। यह रिश्वत, जिसकी राशि सात करोड़ रुपये थी, उन ठेकेदारों के माध्यम से दी गई, जिन्हें इन कैमरों की आपूर्ति का ठेका मिला था।

ऐसी कई अन्य शिकायतें भी सामने आई हैं, जिनमें आरोप लगाया गया है कि सीसीटीवी स्थापना परियोजना को बेहद लापरवाह तरीके से अंजाम दिया गया। पीडब्ल्यूडी के प्रोजेक्ट को अपने नियंत्रण में लेने के दौरान कई सीसीटीवी कैमरे पहले से ही खराब थे। रिश्वत की रकम विभिन्न ठेकेदारों के जरिए दी गई, जिसके बाद उन्हें मिले ऑर्डर की मात्रा भी बढ़ा दी गई।

मधुर वर्मा के अनुसार, पीडब्ल्यूडी और बीईएल से घोटाले से जुड़े दस्तावेज जुटाए जा रहे हैं और उनकी जांच की जा रही है। पूरे षड्यंत्र का खुलासा करने के लिए तत्कालीन पीडब्ल्यूडी मंत्री और बीईएल अधिकारियों की भूमिका की जांच शुरू कर दी गई है।

कैसे हुआ घोटाले का पर्दाफाश?

इस परियोजना के नोडल अधिकारी सत्येंद्र जैन थे। शिकायत प्राप्त होने के बाद एसीबी ने सबसे पहले बीईएल के अधिकारी जितेंद्र कुमार से पूछताछ की। 23 अगस्त 2019 को प्रकाशित एक मीडिया रिपोर्ट में यह सामने आया कि उस समय की दिल्ली सरकार ने सीसीटीवी कैमरों की स्थापना में देरी के कारण बीईएल और उसके ठेकेदारों पर 16 करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। इसी रिपोर्ट के सामने आने के बाद यह मामला सार्वजनिक हुआ।