Gandhi Jayanti 2023: भारत का ऐसा अनोखा एकमात्र मंदिर, जहां ईश्वर के रूप में पूजे जाते हैं महात्मा गांधी

Simran Vaidya
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Gandhi Jayanti 2023: आज गांधी जयंती के उपलक्ष्य पर हम आपको बताएंगे भारत का ऐसा अनोखा एकमात्र मंदिर जहां महात्मा गांधी को ईश्वर की तरह पूजा जाता हैं, एवं उनकी विशेष पूजा अर्चना की जाती हैं। दरअसल आज पूरे देशभर में गांधी जी को पूजने का एक प्रमुख कारण यह भी हैं कि उन्होंने बिना लाठी उठाए अंग्रेजो की कैद से हमें मुक्त करवाया था। उनका हथियार उनकी संयमता धैर्यशीलता और सत्यवादी स्वभाव था। जिसके प्रभाव से सभी लोग गांधी जी से बेहद ज्यादा प्रभावित हुए और उनकी जयंती को बड़े ही उत्साह और आदर के साथ जश्न मनाया जाएगा।

इसी के साथ `स्वतंत्रता के लिए फाइट में महात्मा गांधी ने जो महत्वपूर्ण किरदार निभाया था। इसे लोग युगों युगों तक याद रखेंगे। साथ ही साथ बापू और कई वीर सेनानियों के पुरजोर प्रयासों के चलते ही भारत देश को फिरंगियों के चक्रव्यूह से फ्रीडम प्राप्त हुई थी। इंडिया के राष्ट्रपिता माने जाने वाले महात्मा गांधी स्वतंत्रता अभियान के सबसे बड़े संचालक थे। फ्रीडम फाइटर कहे जाने वाले गांधी जी ने कभी भी किसी शस्त्र का प्रयोग नहीं किया हैं। उन्होंने अपने दो प्रिय शस्त्रों सत्य अहिंसा के चलते ही देश को स्वतंत्रता दिलाई। साथ ही युगों युगों के लिए अमर हो गए। इनकी पूजा करके इन्हें पूजते और सम्मान देते हैं।

आज भी सैकड़ों की तादाद में लोग महात्मा गांधी जी को अपना रोल मॉडल अपना आइडल अपना आदर्श और गौरव मानते हैं। मगर एक ऐसा अनोखा और अद्भुत स्थान है जहां बापू को ईश्वर की तरह पूजा जाता है, बिल्कुल नियम कायदे के साथ देवालय में गांधी जी की प्रतिमा स्थापित की गई है। चलिए फिर गांधी जयंती पर जानें उनके इस अद्भुत और अनोखे मंदिर की विशेषता।

यहां ईश्वर तुल्य होती हैं बापू की पूजा (Gandhi Ji Temple)

स्वतंत्रता संग्राम के प्रमुख अनुयायी बापू जी का ये अनोखा और एकमात्र मंदिर मंगलुरु के श्री ब्रह्म बैदरकला इलाके के गरोडी में स्थापित है। महात्मा गांधी के परम भक्त इस अलौकिक मंदिर में तीन पहर सवेरे छह बजे, दोपहर 12 बजे और सायंकाल 7:30 बजे उनकी विशेष पूजा अर्चना करते हैं। इसके साथ ही गांधी जी की मूर्ति के समक्ष नियमित एक दीपक प्रज्वलित किया जाता है।

इस अनोखे मंदिर में होती हैं बापू की विशेष पूजा

वर्ष 1948 में यहां गांधी जी की मिट्टी से निर्मित एक प्रतिमा स्थापित की गई थी। इसके पश्चात वर्ष 2006 में संगमरमर की मूर्ति की स्थापना की गई। महात्मा गांधी के परम भक्त और अनुयायी इस देवस्थल पर आते हैं और उनके द्वारा बताए गए मार्ग (सत्य और अहिंसा) पर चलने का संकल्प और प्रतिज्ञा लेते हैं। गांधी जयंती के दिन इस अलौकिक मंदिर में एक विशेष पूजा का गठन किया जाता है, जिसमें बापू को प्रसाद के रूप फ्रूट्स, मिठाई मेवे के अअतिरिक्त लावा ब्लैक कॉफी प्रदान की जाती है। बाद में इसे अनुयायियों में वितरित कर दिया जाता हैं।

बापू करते थे मंत्र का जप

वहीं ऐसी हिन्दू मान्यता है कि गांधी जी जब वर्धा में निवास करने लगे थे तब एक जापानी बौद्ध साधु विनती के पूर्व अपने कुछ मंत्र का उच्चारण करते थे। बापू ने उनकी याद में बौद्ध मंत्र अपनी विनती में सम्मिलित कर लिया था, जिसका जप वह नियमित करते थे।

हरि:ॐ
ईशावास्यम इदम् सर्वम्।
यत् किं च जगत्यां जगत
तेन त्यक्तेन् भुंजीथा
मा गृध: कस्यास्विद् धनम्।।