ओडिशा से लेकर झारखंड तक नौ राज्यों ने IAS कैडर नियमों में बदलाव का किया विरोध

Akanksha
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IAS officer

नई दिल्ली। ओडिशा, पश्चिम बंगाल, केरल, तमिलनाडु और झारखंड समेत नौ गैर-भारतीय जनता पार्टी (BJP) शासित राज्य IAS अधिकारियों ने केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर केंद्र के प्रस्ताव का विरोध किया है। साथ ही उन्होंने कहा कि यह देश के संघीय ढांचे के खिलाफ है। बता दें कि अधिकारियों ने बीते दिन बुधवार को यह जानकारी दी। दूसरी ओर केंद्र सरकार ने प्रस्ताव का बचाव करते हुए कहा है कि राज्य प्रतिनियुक्ति के लिए पर्याप्त संख्या में भारतीय प्रशासनिक सेवा (IAS) के अधिकारियों को नहीं मुक्त कर रहे हैं, जिससे केंद्र में प्रशासनिक कामकाज प्रभावित हो रहा है।

साथ ही कार्मिक और प्रशिक्षण विभाग (DOPT) के सूत्रों ने कहा कि केंद्र में संयुक्त सचिव स्तर तक आईएएस अधिकारियों का प्रतिनिधित्व घट रहा है, क्योंकि अधिकतर राज्य केंद्रीय प्रतिनियुक्ति रिजर्व (CDR) के अपने दायित्वों को पूरा नहीं कर रहे हैं। केंद्र में सेवा के लिए उनके द्वारा प्रायोजित अधिकारियों की संख्या बहुत कम है। वहीं दूसरी ओर विरोध करने वाले राज्यों की सूची में ओडिशा भी शामिल है।

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ओडिशा (Odisha) ने कहा कि यह कदम एक बार लागू होने के बाद राज्यों के प्रशासन को प्रभावित करेगा और विभिन्न विकास परियोजनाओं के कार्यान्वयन पर प्रभाव डालेगा। इसके अलावा महाराष्ट्र, केरल, तमिलनाडु, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, छत्तीसगढ़, झारखंड और राजस्थान ने भी संशोधनों के खिलाफ आवाज उठाई है। झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने प्रस्तावित संशोधनों को कठोर और एकतरफा कार्रवाई को बढ़ावा देने वाला बताते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से प्रस्ताव अमल न करने के लिए कहा है।

वहीं पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी (CM Mamata Banergee) ने इस कदम के खिलाफ सबसे पहले आवाज उठाई थी। सीएम बनर्जी ने पीएम मोदी (PM Narendra Modi) से प्रस्ताव वापस लेने का आग्रह किया था। दरअसल यह अधिकारियों के बीच डर की भावना पैदा करेगा और उनके प्रदर्शन को प्रभावित करेगा। इसके अलावा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन ने भी प्रधानमंत्री से इस कदम को छोड़ने का आग्रह किया। उन्होंने कहा है कि यह देश की संघीय नीति और राज्यों की स्वायत्तता की जड़ पर हमला है।

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राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत (CM Ashok Gehlot) ने कहा कि प्रस्तावित बदलाव केंद्र और राज्य सरकारों के लिए निर्धारित संवैधानिक अधिकार क्षेत्र का उल्लंघन करेंगे और अधिकारियों द्वारा बेखौफ तथा ईमानदारी से काम करने की भावना को कम करेंगे। छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने कहा कि प्रस्तावित संशोधन सहयोगात्मक संघवाद की भावना के खिलाफ हैं और यदि इसे लागू किया जाता है तो राज्यों की प्रशासनिक व्यवस्था चरमरा सकती है।

महाराष्ट्र कैडर के आईएएस अधिकारी, सूचना एवं प्रसारण सचिव अपूर्व चंद्रा ने कहा था कि केंद्र और राज्य दोनों सरकारों के साथ काम करने से अधिकारियों का नजरिया व्यापक होता है। अधिकारियों की कमी का हवाला देते हुए डीओपीटी राज्यों को पत्र लिखकर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति पर अधिकारियों की मांग कर रहा है। उन्होंने आगे कहा कि डीओपीटी ने पिछले साल जून में सभी राज्य सरकारों को उप-सचिव, निदेशक और संयुक्त सचिव के स्तर पर केंद्रीय प्रतिनियुक्ति के लिए अधिक अधिकारियों को नामित करने को कहा था।