स्मार्ट सिटी इंदौर का कलंक बन गया है खाद्य तथा औषधि विभाग

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अर्जुन राठौर

इंदौर स्मार्ट सिटी बन रहा है लेकिन स्मार्ट सिटी के लिए इंदौर का खाद्य तथा औषधि विभाग लगातार कलंक बनता जा रहा है जागरूक व्यापारियों का आरोप है कि यह विभाग पूरी तरह से रिश्वतखोरी का अड्डा बन गया है और यहां के इंस्पेक्टर तथा अधिकारी दिनभर खाद्य संस्थानों से वसूली करने में लगे रहते हैं इसका सबसे बड़ा उदाहरण यह है कि विभाग द्वारा वसूली तथा सांठगांठ के कारण पूरे शहर को मिलावटखोरों के हवाले कर दिया गया है।

खाद्य वस्तुओं में लगातार मिलावट बढ़ती चली जा रही है लेकिन इस विभाग की कोई सक्रियता नजर नहीं आती हालात इतने बदतर हैं कि सराफा जैसी जगह में सड़कों के किनारे खुले बर्तनों में मिठाइयां बेची जाती है और यहीं पर दिनभर हजारों वाहन गुजरते हैं इन वाहनों से निकलने वाली धूल लगातार खाद्य पदार्थों में गिरती रहती है और इन्हें खाने के बाद लोग बीमार हो जाते हैं लेकिन खाद्य और औषधि विभाग के अधिकारी सिर्फ वसूली करते हैं और जनता के प्रति अपनी जवाबदारी से मुंह मोड़ लेते हैं।

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सरकार द्वारा मिलने वाला वेतन तो उनका अधिकार है लेकिन रिश्वतखोरी के माध्यम से लाखों रुपए वसूले जाते हैं
जानकार बताते हैं कि घी तेल से लेकर तमाम खाद्य पदार्थों में बड़े पैमाने पर मिलावट की जा रही है यहां तक की नमकीन भी कंट्रोल पर बिकने वाले चावल से बनाया जा रहा है लेकिन इस विभाग के कर्मचारी मिलावटखोरों के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं करते।

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हालत यह है कि इंदौर शहर में ही एक तरफ ₹160 किलो नमकीन बिकता है तो दूसरी तरफ ₹300 किलो तक आखिर भावों में इतना अंतर कैसे आ जाता है? सस्ता बेचने वाले कौन से तेल का उपयोग कर रहे हैं और बेसन की जगह क्या मिला रहे हैं इस बात की भी जांच खाद्य तथा औषधि विभाग नहीं करता इस तरह की तमाम दुकानों से इनकी वसूली चलती रहती है और इस तरह से स्मार्ट सिटी इंदौर के लोगों को लगातार बीमारियों की ओर धकेला जा रहा है।