हाईकोर्ट के आदेश पर उत्तराखंड पंचायत चुनाव पर लगी ब्रेक, आयोग ने जारी किए निर्देश

उत्तराखंड में हाईकोर्ट द्वारा पंचायत चुनाव प्रक्रिया पर रोक लगाने के बाद राज्य निर्वाचन आयोग ने नामांकन सहित सभी चुनावी कार्यवाहियों को स्थगित कर दिया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि जब तक कोर्ट से स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक आचार संहिता लागू रखने का कोई औचित्य नहीं है, इसलिए उसे हटा दिया गया है।

Abhishek Singh
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राज्य निर्वाचन आयोग ने कोर्ट के अग्रिम आदेश तक राज्य में होने वाले पंचायत चुनावों के नामांकन और आगे की कार्यवाही को स्थगित कर दिया है, जिसके आदेश जारी कर दिए गए हैं।

उत्तराखंड पंचायत चुनावों पर हाईकोर्ट की रोक के चलते राज्य निर्वाचन आयोग ने पंचायत चुनाव की सभी कार्यवाही के साथ लागू की गई आदर्श आचार संहिता को हटा दिया है। आयोग का कहना है कि जब तक चुनाव प्रक्रिया को लेकर स्थिति स्पष्ट नहीं होती, तब तक आचार संहिता बनाए रखने का कोई औचित्य नहीं है।

बता दें कि राज्य निर्वाचन आयोग ने 14 जून को त्रिस्तरीय पंचायत उपचुनावों की अधिसूचना जारी की थी, जिसके साथ ही हरिद्वार जनपद को छोड़कर बाक़ी राज्य के 13 जनपदों में आचार संहिता लागू कर दी गई थी। इस अधिसूचना को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, जिसमें आरक्षण व्यवस्था सहित चुनाव प्रक्रिया पर सवाल उठाए गए। इसके बाद 19 जून को हाईकोर्ट ने चुनाव प्रक्रिया पर स्थगन (स्टे)आदेश दे दिया। अब कल 25 जून को मामले में अगली सुनवाई होनी है। इसी बीच राज्य चुनाव आयोग ने यह स्पष्ट किया कि जब चुनाव ही नहीं हो रहे हैं, तो आचार संहिता का बने रहना प्रशासनिक और विकास कार्यों में बाधा बन सकता है, इसलिए इसे समाप्त किया जा रहा है।

पंचायत चुनावों की नामांकन प्रक्रिया अग्रिम आदेशों तक स्थगित

गौरतलब है कि राज्य निर्वाचन आयोग ने अपनी अधिसूचना के तहत 12 जिलों (हरिद्वार को छोड़कर) में ग्राम पंचायत सदस्य, प्रधान, क्षेत्र पंचायत सदस्य और जिला पंचायत सदस्य के चुनाव कार्यक्रम की घोषणा की थी। इसके तहत 25 जून से 28 जून तक नामांकन प्रक्रिया होनी थी। लेकिन उच्च न्यायालय के आदेश के चलते अब नामांकन और आगे की सभी चुनावी प्रक्रियाएं तब तक स्थगित रहेंगी, जब तक अदालत की ओर से इस पर कोई नया आदेश नहीं आ जाता।

राज्य निर्वाचन आयोग ने स्पष्ट किया है कि आरक्षण और पदों के आवंटन की स्थिति स्पष्ट न होने की वजह से नामांकन समेत अन्य प्रक्रिया शुरू करना संभव नहीं है। आयोग ने सभी संबंधित अधिकारियों और निर्वाचन से जुड़े कार्मिकों को इस संबंध में अवगत करा दिया है।