“अनुष्ठान” के पहले “दीपक” का बुझना

Suruchi
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नितिनमोहन शर्मा

सनातन धर्म मे किसी बड़े अनुष्ठान के पहले दीपक का बुझ जाना शुभ संकेत नही माना जाता है। कुछ ऐसा ही प्रदेश भाजपा के साथ हुआ। पार्टी मिशन 2023 के चुनावी अनुष्ठान में जुटी ही थी कि पूर्व मंत्री दीपक जोशी ने अपना जनसंघ के जमाने वाला भाजपाई कुटुंब छोड़ दिया। जोशी अब अपने नाम के अनुरूप अब कांग्रेस के आंगन में जाकर रोशन होंगे। शुक्रवार को उन्होंने नम आंखों से उस पार्टी को छोड़ने का ऐलान किया, जिसे उनके पिता स्व कैलाश जोशी ने सिंचित, पुष्पित और पल्लवित किया। बिदाई की बेला में जोशी ने अपने पिता के साथ हुए उस अन्याय को भी याद किया जो उस वक्त सत्ता के सरमायेदारो ने किया था। जोशी का कहना था कि आज भी भाजपा के वे ही हाल है।

शनिवार को जोशी घर से ललाट पर तिलक छापे लगवाकर, कांधे पर ब्रह्म गौरव का प्रतीक शस्त्र फ़रसा लेकर भोपाल कुंच कर गए जहा वे कांग्रेस में शामिल होंगे। जाते जाते उन्होंने सीएम शिवराज को दो टूक कहा भी कि आप भले ही मुझे अपना छोटा भाई माने, में आपको अपना बड़ा भाई नही मानता। इस तल्खी भरे बयान से साफ हो जाता है कि दीपक जोशी सरकार और संगठन में काबिज नेताओ से किस कदर तक आहत हैं। फ़रसा कांधे पर टांग कर उन्होंने कई संकेत भी अपने पुराने दल को दे दिया जो मिशन 2023 में ब्राह्मण समाज को हर हाल में साधने की साधना कर रहा हैं ताकि 2018 जैसी कोई “माई का लाल” वाली नोबत न आए।

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उधर दूसरी तरफ पार्टी के राष्ट्रीय महासचिव कैलाश विजयवर्गीय ने भी प्रदेश भाजपा के हाथ पांव फुला दिए। उन्होंने दो टूक कहा कि कांग्रेस में दम नही जो भाजपा को हरा दे। भाजपा को अगर कोई हराएगा तो वो स्वयं भाजपा ही हैं। अगर समय रहते हमने संगठन स्तर पर अपनी ख़ामियों को नही दुरुस्त किया तो इससे बचा नही जा सकता हैं। बेबाक बयानबाज़ी के लिए जाने जाते विजयवर्गीय की मुखरता ने पहले से ही सांसत में पड़ी शिवराज सरकार और प्रदेश संगठन को कटघरे में खड़ा कर दिया हैं।

दूसरी तरफ पार्टी के “नींव के पत्थरों” का ” कँगूरों” पर हमला निरन्तर चौथे दिन भी जारी रहा। पँ सत्यनारायण सत्तन और भंवरसिंह शेखावत ने एक साथ केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया और उनके समर्थक मंत्रियों, नेताओ के खिलाफ मोर्चा खोल दिया। सत्तन ने तो सिंधिया को स्वार्थी तक करार देते हुए कहा कि जरूरत सिंधिया को थी। वे कटोरा लेकर भाजपा के पास आये थे। हालांकि सत्तन ने अपनी समकालीन पार्टी नेता स्व राजमाता सिंधिया के प्रति आदरभाव प्रकट करते हुए उनका जनसंघ-भाजपा के प्रति योगदान को याद भी किया लेकिन ज्योतिरादित्य सिंधिया पर ये तंज करने से भी नही चुके कि सिंधिया ने वो ही किया जो उनकी खानदानी परम्परा हैं।

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शेखावत ने एक कदम आगे बढ़कर सिंधिया समर्थक मंत्रियों और नेताओं को निशाने पर रखते हुए कहा कि इन लोगो के आने से भाजपा का विचार परदे के पीछे चला गया और भारी भृष्टाचार सामने आ गया। शेखावत ने सिंधिया समर्थक मंत्री राज्यवर्धन दत्तीगांव पर जमीन, खदान, खेतो पर कब्जे से लेकर बदनावर क्षेत्र में सट्टा चलाने के आरोप तक ज़ड़ दिए। हालांकि दत्तीगांव ने हाथों हाथ पलटवार करते हुए शेखावत को कानूनी नोटिस के लिए तैयार रहने का आगाह भी कर दिया है। शेखावत ने पहली बार स्पष्ट भी किया कि मेरी लड़ाई टिकट लेने देने की नही, भाजपा को बचाने की हैं और कार्यकर्ताओं की मन की भावनाओ को उजागर करने की है जिसे अगर समय रहते नही समझा और संभाला गया तो बरसो की मेहनत पर पानी फिरने में देर नही लगेगी।

” सत्तन’ का ‘सत्तू’ के संग भोपाल कुंच आज

सत्तन गुरु और सीएम शिवराज सिंह चोहान की बहुप्रतीक्षित मुलाकात शनिवार को होंगी। सत्तन दोपहर 1 बजे बाद भौपाल कुंच करेंगे। पार्टी में व्याप्त अराजकता पर सत्तन के मुखर होते ही सीएम ने उन्हें फोन कर शांत करने की कोशिश की थी। इसी कड़ी में उन्हें अपने पास विस्तार से बात रखने के लिए भोपाल बुलाया था। सत्तन ने तब शनिवार को आने को कहा था। लिहाजा सत्तन को राजधानी ले जाने के लिए विधानसभा 1 के बड़े नेताओं में होड़ मच गई थी।

सत्तन के साथ ये बड़े नेता तो जाएंगे ही लेकिन गुरू अपनी निजी टीम के प्रिय अपनी ही नामराशि के सत्यनारायण शर्मा “सत्तू पहलवान” के वाहन में सवार होकर भोपाल जाएंगे। बदले समीकरण में अब पूर्व विधायक सुदर्शन गुप्ता अब सत्तनजी के साथ है। उधर पूर्व पार्षद मनोज मिश्रा भी गुरू के साथ है और वे सीएम हाउस के नजदीक भी हैं। मिश्रा और गुप्ता में अब तलवारे खींची हैं। लिहाजा गुरू का भोपाल कुंच और सीएम से मुलाकात दिलचस्प हो गई है कि अगर कविवर का क्रोध मुलाकात के बाद शांत हुआ तो श्रेय किसके खाते में जाएगा?