Indore News: इंदौर में बिल्लियों के हमले में तेजी से इजाफा हो रहा हैं। हुकुमचंद पॉलीक्लिनिक (लाल अस्पताल) में पिछले महीने बिल्लियों के द्वारा 150 मामले रिपोर्ट किए गए हैं, जो इस बात का संकेत देते हैं कि बिल्लियों के हमलों में तेजी से बढ़ोतरी हुई हैं और यह एक गंभीर विषय हैं।
‘रोजाना इतने केस…’
प्रतिदिन पांच लोगों को बिल्लियों के हमले का सामना करना पड़ रहा है। इन हमलों के पीछे घरेलू और आवारा दोनों प्रकार की बिल्लियाँ शामिल हैं। पालतू पशु दुकानदारों के मुताबिक, पालतू बिल्लियाँ इस बात का दोषी नहीं हैं, जबकि वन्यजीव विशेषज्ञ इसे नकारते हैं और कहते हैं कि सभी बिल्लियाँ शिकारी प्राणियों की तरह होती हैं।
‘हमले का मुख्य कारण बिल्ली की फुर्तीली प्रकृति’
बिल्लियाँ अक्सर बांहों, छाती, गर्दन, और चेहरे पर हमला करती हैं। इसका मुख्य कारण बिल्लियों की फुर्तीली प्रकृति का होना हैं। वे हाथ से कूदकर छाती, गर्दन या चेहरे पर काट लेते हैं या पंजों से हमला करके भाग जाते हैं।
‘बिल्ली पालने का शौक’
इंदौर के एक समुदाय में यह माना जाता है कि बिल्लियाँ कुत्तों से अधिक शुभ होती हैं। वहाँ कुछ लोग इस विश्वास में हैं कि घर में बिल्ली पालने से वित्तीय दिक्कत नहीं होती। कुछ व्यवसायी अपने घरों और गोदामों में बिल्लियाँ रखते हैं क्योंकि यह उनके लिए चूहों के खिलाफ एक प्रभावी संरक्षण है।
‘इंदौर में ज्यादातर पीड़ित इस क्षेत्र से…’
खजराना, सदर बाजार, चंदन नगर, नंदन नगर, आजाद नगर, मूसाखेड़ी, भागीरथपुरा, गौरी नगर, पालदा द्वारकापुरी क्षेत्र में बहुत से लोगों को बिल्लियों के हमले का सामना करना पड़ा है। कई इलाकों में लोगों ने बिल्लियों को अपने घरों में पाला है, लेकिन कुछ इलाकों में आवारा बिल्लियों की समस्या अधिक है।
बंदरों के काटने की 54 घटनाएं
मई में हुकुमचंद पॉलीक्लिनिक में बंदरों के काटने पर 54 लोगों का इलाज किया गया। डॉक्टरों के मुताबिक ये मरीज ओंकारेश्वर, महेश्वर, चोरल, तिंछाफॉल, सीतलामा फॉल आदि पिकनिक स्पॉट पर गए थे। वहां उसे बंदरों ने काट लिया। इनमें से कुछ मरीज इसी इलाके के हैं।