डिजिटल युग में जैसे-जैसे पेमेंट सिस्टम में बदलाव आया है, वैसे-वैसे इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की निगरानी भी तेज हो गई है। अब चाहे आप ऑनलाइन पेमेंट करें या कैश से कोई बड़ा लेन-देन, हर गतिविधि पर नजर रखी जा रही है। आज के समय में इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की निगरानी अत्याधुनिक तकनीकों और डेटा रिपोर्टिंग सिस्टम के जरिए होती है।
ऐसे में किसी भी बड़े कैश ट्रांजेक्शन से पहले यह जरूर सुनिश्चित करें कि आपके पास उसका पूरा हिसाब और सोर्स मौजूद हो। अनावश्यक नोटिस या जुर्माने से बचने के लिए नियमों का पालन करें और कैश की बजाय डिजिटल ट्रांजेक्शन को प्राथमिकता दें।

अगर आप यह सोचते हैं कि जब तक आप खुद इनकम टैक्स विभाग को नहीं बताएंगे, तब तक उन्हें पता नहीं चलेगा, तो आप भारी मुगालते में हैं। यहां हम आपको 5 ऐसे कैश ट्रांजेक्शन के बारे में बता रहे हैं जो इनकम टैक्स के रडार पर रहते हैं, और जिनकी वजह से आपको नोटिस भी मिल सकता है।
सेविंग अकाउंट में 10 लाख से ज्यादा जमा करना
यदि आप एक वित्तीय वर्ष में अपने बचत खाते में 10 लाख रुपये या उससे अधिक की नकद राशि जमा करते हैं, तो बैंक यह जानकारी स्वतः ही इनकम टैक्स विभाग को भेज सकता है।
इसके बाद विभाग आपसे उस पैसे का स्रोत पूछ सकता है। अगर आप संतोषजनक जवाब नहीं दे पाए, तो आपके खिलाफ जुर्माना भी लगाया जा सकता है। ध्यान रहे, नोटिस मिलना टैक्स चोरी का प्रमाण नहीं होता, लेकिन पूछताछ की प्रक्रिया जरूर शुरू हो सकती है।
एफडी में भारी रकम जमा करना
अगर आप किसी बैंक या वित्तीय संस्था में 10 लाख रुपये से अधिक की राशि फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) के रूप में निवेश करते हैं, तो भी यह इनकम टैक्स की नजर में आ सकता है।
ऐसे मामलों में भी आपको अपनी आय का स्रोत स्पष्ट करना होगा, वरना विभाग की ओर से नोटिस आ सकता है।
शेयर और म्यूचुअल फंड में भारी निवेश
अगर आपने किसी भी वित्तीय वर्ष में 10 लाख रुपये से अधिक का निवेश शेयर बाजार या म्यूचुअल फंड में किया है, तो इसकी जानकारी भी टैक्स डिपार्टमेंट को मिल जाती है।
भले ही आपने इसे खुद न बताया हो, लेकिन इन प्लेटफॉर्म्स की रिपोर्टिंग के जरिए यह डेटा विभाग तक पहुंच जाता है।
संभावना है कि आपको नोटिस भेजा जाए और आय का स्रोत पूछा जाए।
क्रेडिट कार्ड का बिल कैश में भरना
अगर आप हर महीने अपने क्रेडिट कार्ड का बिल एक लाख रुपये से अधिक कैश में जमा कर रहे हैं, तो यह भी इनकम टैक्स विभाग की नजर में आ सकता है।
ऐसे लेन-देन फाइनेंशियल ट्रांजेक्शन रिपोर्ट (FTR) में दर्ज होते हैं और बैंक यह जानकारी विभाग को देता है। इससे बचने के लिए डिजिटल या बैंकिंग माध्यमों से भुगतान करना बेहतर होता है।
प्रॉपर्टी खरीद में बड़ी कैश पेमेंट
यदि आप 30 लाख रुपये या उससे अधिक मूल्य की प्रॉपर्टी खरीदते हैं और उसमें नकद लेन-देन शामिल होता है, तो यह टैक्स डिपार्टमेंट के लिए अलर्ट सिग्नल हो सकता है।
कुछ मामलों में यह सीमा 20 लाख या 50 लाख रुपये तक भी हो सकती है। ऐसे मामलों में आपको अपनी इनकम का स्पष्ट स्रोत बताना जरूरी होता है, वरना परेशानी हो सकती है।