संविधान पर चर्चा में अमित शाह का कांग्रेस पर तीखा हमला, सुनाया इंदिरा और किशोर कुमार का दिलचस्प किस्सा

Abhishek singh
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केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने राज्यसभा में संविधान पर चर्चा के दौरान गांधी परिवार पर तीखा हमला बोला। उन्होंने कांग्रेस पर नागरिक अधिकारों की हत्या के लिए संविधान में संशोधन करने का आरोप लगाया। अमित शाह ने कहा कि कांग्रेस ने रातों-रात श्रीलंका को द्वीप दे दिया, और यह मामला संसद में कभी नहीं आया। उन्होंने यह भी कहा कि यह आज भी हमारा भूभाग है, लेकिन अब हमारे पास नहीं है। उन्होंने कांग्रेस पर आरोप लगाते हुए कहा कि उन्होंने पार्टी को तो अपनी पारिवारिक संपत्ति मान लिया, अब संविधान को भी अपने परिवार की जागीर समझ लिया है। अमित शाह ने कहा कि संविधान के साथ ऐसा अन्याय दुनिया के किसी शासक ने नहीं किया होगा।

इमरजेंसी के दौरान जेल भेजे गए लोगों का जिक्र

अमित शाह ने आपातकाल पर कांग्रेस को आड़े हाथों लिया और कहा कि इस दौरान कई लोगों को बिना किसी कारण के जेल में डाला गया था, जिनमें से कई लोग आज भी कांग्रेस के साथ बैठे हैं। उन्होंने सवाल उठाया कि क्या देश पर कोई आक्रमण हुआ था या कोई बड़ी आपदा आई थी? उन्होंने बताया कि इलाहाबाद हाईकोर्ट ने केवल उनके निर्वाचन को अयोग्य ठहराया था, जिसके कारण ऐसी कार्रवाई की गई। अमित शाह ने यह भी कहा कि नीरज डे केवल “यस सर” कहने के कारण 11 साल तक देश के अटॉर्नी जनरल रहे।

उन्होंने अपनी युवावस्था के अनुभव को साझा करते हुए बताया कि वह बिनाका गीतमाला सुनते थे, जो रेडियो पर प्रसारित होती थी, और अचानक एक दिन वह बंद हो गई। जब उन्होंने इसका कारण पूछा, तो उनके पड़ोसी चाचा ने बताया कि इंदिरा गांधी और किशोर कुमार के बीच विवाद के कारण गीतमाला में किशोर कुमार की आवाज नहीं सुनाई देगी। बाद में लता मंगेशकर की आवाज में फिर से रिकॉर्डिंग की गई और यह कार्यक्रम जारी हुआ। अमित शाह ने कहा कि यह सब आपातकाल के दौरान हुआ, जब लाखों लोग बिना किसी अपराध के जेल में डाले गए थे।

इंडिया गठबंधन पर कटाक्ष

अमित शाह ने आगे कहा कि संविधान दिवस को मनाने पर कुछ लोग सवाल उठाते हैं, लेकिन जितनी बार हम इसे याद करेंगे, संविधान पर हमारी आस्था उतनी ही मजबूत होगी। उन्होंने संसद में दुष्यंत कुमार की इमरजेंसी पर लिखी पंक्तियों का उद्धरण दिया। अमित शाह ने बताया कि जब संविधान का निर्माण हो रहा था, तो हर आर्टिकल पर गहन चर्चा हो रही थी। उन्होंने कहा कि हम आजाद हो गए थे, लेकिन देश को नया बनाने की प्रक्रिया अभी पूरी नहीं हुई थी। उन्होंने यह भी बताया कि दुनिया में सबसे प्राचीन सभ्यताएं हमारे देश से ही निकली हैं। संविधान को बनाने का उद्देश्य था कि भविष्य के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज तैयार किया जाए।

अमित शाह ने यह भी बताया कि जब अंग्रेजों ने देश को “इंडिया” के नाम से पुकारा, तो वे “भारत” को समझते ही नहीं थे। आज़ादी के बाद इस विषय पर चर्चा हुई, और सेठ गोविंद दास ने “भारत” नाम का समर्थन किया, जबकि जवाहरलाल नेहरू ने कहा था कि अब हमें भविष्य की ओर देखना चाहिए, न कि अतीत की ओर। इसी कारण “इंडिया” और “भारत” दोनों नाम बने रहे। अमित शाह ने यह भी जोड़ा कि इंडिया के नजरिए से देखेंगे तो भारत को समझना मुश्किल होगा, और शायद यही वजह है कि आज़ादी के बाद उनके गठबंधन का नाम भी “इंडिया” रखा गया।