फीस न मिलने से बंद होंगे निजी स्कूल, दस लाख परिवारों पर आ सकता है आर्थिक संकट

Mohit
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इंदौर : पालकों की, फीस नहीं भरने की जिद्द के चलते प्रदेश के गैर – वित्तीय सहायता प्राप्त निजी स्कूलों पर बंद होने का खतरा मंडरा रहा है। यदि ऐसा होता है तो स्कूलों पर निर्भर दस लाख परिवारों पर आर्थिक संकट आ सकता है।

प्रदेश सरकार ने पालकों को स्कूलों की लॉक डाउन अवधि की फीस जमा करने के बारे में स्पष्टीकरण दे दिया है यानि उन्हें फीस माफी जैसी कोई छूट नहीं दी गई है।

सभी एसोसिएशन के सदस्य स्कूलों द्वारा अभिभावकों से निरंतर सिर्फ ट्यूशन फीस ही जमा करने का अनुरोध किया जा रहा है लेकिन 20 फीसदी पालकों द्वारा ही फीस दिए जाने के कारण स्कूलों की आर्थिक स्थिति बिगड़ चुकी है। ऑनलाइन पढ़ाई करवाना काफी चुनौतीपूर्ण है, फिर भी शिक्षक पूरे मनोयोग से यह काम कर रहे हैं। 90 फीसदी बच्चे ऑनलाइन कक्षाएं अटेंड भी कर रहे हैं। एसोसिएशन के सभी सदस्य स्कूलों द्वारा अभी तक फीस भुगतान न किए जाने के बावजूद किसी भी विद्यार्थी को ऑनलाइन शिक्षण कार्यक्रम से वंचित नहीं किया गया है। उधर बोर्ड के नियमानुसार परीक्षाओं में शामिल होने के लिए भी 75% ऑनलाइन कक्षाओं में उपस्थिति अनिवार्य है, जिसके चलते 10 प्रतिशत बच्चों का भविष्य अभी भी अन्धकार में है।

सभी सदस्य विद्यालयों से विचार – विमर्श करने के पश्चात एसोसिएशन ने कुछ कदम उठाने का निर्णय लिया है। इंदौर स्कूल्स अलायंस के सौरभ सेंगर व संजय पाव के अनुसार जो अभिभावक नौकरी पेशा हैं और सक्षम हैं वे भी फीस देने में आनाकानी कर रहे हैं। कुछ अभिभावक ऐसे भी हैं जो स्वेच्छा से फीस जमाकर रहे हैं। हालांकि उनकी संख्या काफी कम है। चिंता अब इस बात की है कि पालकों ने फीस का भुगतान नहीं किया तो आर्थिक समस्याओं के चलते विद्यालय स्वतः बंद हो जावेंगे, और इनसे जुड़े करीब 10 लाख परिवार बेरोजगारी का दंश झेलने को मजबूर होंगे। विदित हो कि पूरे प्रदेश में लगभग 10 लाख परिवार प्राइवेट शिक्षा के क्षेत्र से जुड़े हैं जिनके भरण पोषण का दायित्व इन स्कूलों पर ही है। इसके साथ ही स्कूलों के कई अन्य अनिवार्य व्यय हैं जैसे कि भवन का रखरखाव, बिजली- टेलीफोन – इन्टरनेट, बीमा, कर, बैंक की किस्तें, बसों का रोड टैक्स – फिटनेस, संबद्धता, आईटी अधोसंरचना, स्मार्ट क्लास अनुबंध इत्यादि। हम स्पष्ट करना चाहते हैं कि वेतन का भुगतान करने के लिए अकेले ट्यूशन फीस पर्याप्त नहीं है। किंतु मामला चूंकि अदालत में है, अतः सरकार के आदेशों का पालन करते हुए सभी सदस्य विद्यालय अभी मात्र ट्यूशन फीस के लिए अनुरोध कर रहे हैं।

एसोसिएशन द्वारा अखबारों में जाहिर सूचना के माध्यम से भी सभी पालकों से 31 अगस्त 2020 के पहले फीस जमाकर ने का अनुरोध किया गया है किंतु उसका भी कुछ ज्यादा प्रभाव नहीं पड़ा है। अतः एसोसिएशन के सभी सदस्यों द्वारा सर्वसम्मति से यह निर्णय लिया गया है कि-
1. सभी पालक जिन्होंने अभी तक शिक्षण शुल्क का भुगतान नहीं किया है वे शुल्क का भुगतान 31 अगस्त तक बिना विलंब शुल्क के अनिवार्य रूप से कर दें।
2. 31 अगस्त तक भी भुगतान ना होने की स्थिति में आर्थिक समस्याओं के चलते विद्यालय स्वतः बंद हो जावेंगे एवं दूसरा कोई रास्ता नहीं बचेगा।

एसोसिएशन ने स्पष्ट किया है कि संकट का यह समय सभी के लिए एक दूसरे के साथ खड़े होने का है और उनके सभी सदस्य विद्यालय विगत 5 माह से अपने पालकों के साथ दृढ़ता से खड़े हैं, किंतु पालकों को भी स्कूल के स्टाफ और शिक्षकों के बारे में सोचना आवश्यक है।

यदि कोई अभिभावक आर्थिक समस्याओं से ग्रस्त है तो वह समुचित दस्तावेजों के साथ अपने बच्चे के स्कूल में संपर्क करें और सदस्य स्कूल उन्हें यथासंभव छूट एवं किश्तों में फीस भुगतान करने की सुविधा देने के लिए तैयार हैं। सरकार ने साफ कर दिया है कि कोरोना के चलते शिक्षण संस्थान भले ही बंद रहे हों लेकिन मौजूदा शिक्षण सत्र को शून्य वर्ष घोषित नहीं किया जाएगा। इसके साथ ही सरकारी प्राथमिकता बोर्ड परीक्षाएं समय पर कराने की होगी।

इस महामारी के बाद हमारे देश में दो तरह के बच्चे होंगे। एक, वे बच्चे जो गंभीरता के साथ नियमित रूप से अध्ययन कर सके क्योंकि उनके माता-पिता ने स्कूलों के साथ संवेदनशीलता से व्यवहार किया और दूसरे, वे बच्चे जो इसलिए अच्छी तरह से अध्ययन नहीं कर सके क्योंकि उनके माता-पिता कुछ अवसरवादी तत्वों द्वारा भ्रमित होकर स्कूल के प्रति असंवेदनशील हो गये। क्या यह ठीक है कि कुछ बच्चे अपने माता-पिता के भ्रम के कारण शिक्षा से वंचित हो रहे हैं।