लेखक – गिरीश मालवीय
जैसा कि कल आपको बताया ही था कि तमाम बैंकों के आला अधिकारी धोखाधड़ी के आरोप जेल की हवा खा रहे एसबीआई के पूर्व चेयरमैन प्रतीप चौधरी को बचाने के लिये सक्रिय हो जाएंगे, तो वही हुआ है कल एसबीआई के वर्तमान प्रमुख दिनेश खारा का बयान आया है वे कहते हैं “निश्चित रूप से प्रतीप चौधरी की गिरफ्तारी से जुड़ी यह हालिया घटना बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। मैं केवल इतना कहूंगा कि ऐसा लगता है कि गिरफ्तारी वारंट जारी करने से पहले व्यक्ति को सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।”
खारा साहब को शायद पता नही है कि जोधपुर की अदालत में यह केस 2015 से चल रहा है और प्रतीप चौधरी पहले दिन से आरोपी बनाए गए हैं, वह अपने वकील के माध्यम से अपनी सफाई कई बार माननीय कोर्ट के सामने रख चुके होंगे इसलिए यह कहना सरासर झूठ है कि उन्हें सुनवाई का अवसर नहीं दिया गया।” स्टेट बैंक ऑफ इंडिया (SBI) के पूर्व अध्यक्ष रजनीश कुमार तो खारा साहब से एक कदम आगे बढ़ गए हैं वे कह रहे हैं कि ‘यह फैसले की गलती लगती है। ARC को असेट्स की बिक्री के लिए RBI की तरफ से निर्धारित एक प्रक्रिया और नियम हैं। यहां भ्रष्टाचार कहां है?”
रजनीश जी को अपनी आँखों का इलाज कराने की जरूरत है प्रतीप चौधरी जी ने एसबीआई के प्रमुख के पद पर रहते हुए जिस ARC यानी एल्केमिस्ट एसेट रिकंस्ट्रक्शन कंपनी को बिना नीलामी के 24 करोड़ के लोन के बदले 150 करोड़ का होटल बाले बाले सौप दिया रिटायर होने के कुछ महीने बाद वह उसी कंपनी में डायरेक्टर बन गए ओर रजनीश जी पूछते हैं कि इसमे भ्रष्टाचार कहा है ?
सुप बोले तो बोले छलनी भी बोल रही है, यानी सरकारी बैंक के बड़े अधिकारी तो बयान दे ही रहे थे निजी बैंकों के सीईओ भी शुरू हो गए हैं प्रतीप चौधरी की गिरफ्तार किए जाने के एक दिन बाद कोटक महिंद्रा बैंक के बैंकर उदय कोटक ने एक अधिक कुशल आपराधिक न्याय प्रणाली का आह्वान किया है जो सही तरीके से लिए जाने वाले वाणिज्यिक/बैंकिंग फैसलों का संरक्षण करे. वह कल आईएलएंडएफएस के ऋण समाधान के तीन साल पूरे होने के मौके पर उसके बोर्ड के अध्यक्ष के रूप में मीडिया को संबोधित कर रहे थे।
इतना ही नहीं खबर आ रही है कि मोदी सरकार भी इन भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए बीच मे कूद पड़ी है मोदी सरकार ने ईमानदार बैंककर्मियों के संरक्षण के लिए ‘कर्मचारी जवाबदेही संरचना’ (स्टाफ अकाउंटेबिलिटी फ्रेमवर्क ) पेश की है जिसके तहत 50 करोड़ तक के ऋण संबंधित सही तरीके से लिए गए फैसलों के गलत होने पर अधिकारियों पर कार्रवाई नहीं की जाएगी. इस देश मे ईमानदार अधिकारी की मदद के लिए कोई खड़ा नही होगा लेकिन भ्रष्ट अधिकारियों को बचाने के लिए पूरा सिस्टम एकजुट हो जाएगा।