चंद्रशेखर शर्मा(Chandrashekhar Sharma)
हाल ही में सोशल मीडिया(Social Media) पर कुछ फोटोज देखने में आए। ये भारत-पाकिस्तान मैच खत्म होने के बाद खिलाड़ियों के आपस में मिलते हुए फोटोज हैं। एक फ़ोटो में रिजवान बहुत आनंदित भाव से कप्तान विराट के गले लगा हुआ है और विराट के चेहरे पर भी चिर परिचित नैसर्गिक यानी बनावट रहित, हंसी है। बेशक वो फोटो, यदि वो कोई तकनीकी धूर्तता नहीं है तो, किसी सूरत बुरा नहीं है। बल्कि बहुत अच्छा है !
सवाल ये है कि फोटो सर्कुलेट क्यों है ? सबसे पहले तो ये जान लीजिए कि भारत-पाक टीम के बीच सैंकड़ों मैच हो चुके हैं, लेकिन इसके पहले कभी ऐसे दृश्य नहीं देखे गए ! फिर ये बहुत खास मैच या हार-जीत थी। आखिर विश्व कप में भारत-पाक को क्रमशः पहली हार और पहली जीत हिस्से में आई थी। सो सवाल का पहला जवाब ये है कि यह विराट का एक विशेष जेस्चर था कि हार को स्वीकारने का एक तरीका यह भी है। दूसरा जवाब ये है कि यह एक यादगार मौका भी था। खासकर पाकिस्तान के लिए ज्यादा। तीसरा जवाब यह है कि यह एक तरह की आम पेशेवर पहल थी। चौथा जवाब यह है कि चूंकि ऐसे दृश्य पहले नहीं देखे गये लिहाजा इससे दोनों दुश्मन पड़ोसी मुल्कों के लिए इसमें एक प्रेरक संदेश भी छुपा है।
पांचवां जवाब, जो अपन को सबसे ज्यादा जंचता है, यह है कि ये फोटो विशुध्द रूप से खेल भावना का बेहतर प्रदर्शन भर है। न उससे ज्यादा और न उससे कम। जो भी हो, फोटो वाकई अच्छा है। इसके सर्कुलेट होने के पर्याप्त कारण हैं। शर्त बस यह है कि वो अपनी किसी राजनीतिक अथवा व्यक्तिगत खुन्नस के चलते न जारी किए गए हों। नीयत और स्वार्थ मिलकर आजकल कुछ भी रच सकते हैं और आपको ठग सकते हैं। भगवान करे ऐसी किसी खोटी नीयत का कोई सवाल ही न हो और उस चित्र से दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच भी वैसे ही विशुध्द भाईचारे का पैगाम बुलंद करने का वो प्रेरक प्रसंग हो !
बहरहाल एक मैच में यह हुआ कि भारत में वो वनडे मैच था। तब ये हुआ था कि इंग्लैंड के मशहूर ऑलराउंडर एंड्रयू फ्लिंटॉफ ने मैच जीतते ही अपनी जर्सी उतारी थी और उसे हवा में लहराते हुए अधनंगे बदन मैदान में बेतहाशा दौड़ लगाई थी। इसके बाद एक मैच में इंग्लैंड में क्रिकेट के मक्का कहे जाने वाले लॉर्ड्स में कप्तान सौरव गांगुली ने बालकनी में अपनी जर्सी उतारकर और अधनंगे बदन हवा में लहराई थी। उसका फोटो क्या, पूरा वीडियो दुनिया कई-कई बार देख चुकी है।
सो क्या आप बतौर कप्तान विराट कोहली से सौरव गांगुली जैसे टसल भाव की उम्मीद रख सकते हैं ? सौरव गांगुली भारतीय क्रिकेट के वो कप्तान रहे हैं, जिन्होंने टीम के खिलाड़ियों में जीदारी से लड़ना और हार से या किसी से भी नहीं डरने का मंत्र फूंकने के बाद टीम में वो टसल भाव भी पैदा किया था। उसी ने वीरेंद्र सहवाग जैसा अनमोल ओपनर देश को दिया था। यों बतौर कप्तान विराट का रिकॉर्ड कप्तान सौरव से बहुत बेहतर निकलेगा। अलबत्ता वो टीम में उस टसल भाव को लगभग दफन कर चुके हैं।
मैंने पहले भी लिखा है कि विराट कोहली अक्सर यह बात कहते हैं कि मेरा फोकस हमारे (टीम के) खेल को लगातार बेहतर करने पर रहता है। सुनने में यह बात बहुत अच्छी भी लगती है, लेकिन टीम के कप्तान का काम खिलाड़ियों के खेल को बेहतर करने का नहीं होता, बल्कि उनसे बेहतर खेल निकलवाने का होता है। खिलाड़ियों के खेल को निखारने के लिए तो टीम में तमाम कोच और दीगर कोचिंग संस्थान सहित ढेरों संसाधन होते ही हैं। कप्तान का उसमें क्या काम ? दरअसल योग्यता से आप एक मुकाम तो हासिल कर लेते हैं, लेकिन उससे आगे जाने के लिए एक तरह का टसल भाव होना जरूरी है। टसल का मतलब एक संकल्प भी होता है। टसल आप किसी दूसरे के साथ भी धार सकते हो और खुद के साथ भी।
एक बार ये हुआ कि एक कंगारू चाइनामैन स्पिनर ने महान सचिन को आउट कर दिया। वो इतना खुश हुआ कि अपनी टोपी लेकर सचिन के पास गया और उस पर उनके ऑटोग्राफ मांगे। सचिन ने दिए और साथ में लिखा, “आईन्दा ऐसा मौका तुम्हें कभी नहीं मिलेगा !” कहते हैं महान सचिन को फिर वो स्पिनर कभी दोबारा आउट नहीं कर सका। टसल भाव का यह भी एक नमूना है। विराट मैदान में कितने ही आक्रामक करतब दिखा दें, लेकिन कप्तान बतौर वो टसल भाव से बिलकुल कोरे हैं। जिस मैच में टीम की इज्जत या मान भी जुड़ा हो तो वहां तो पूरी टीम का टसल से खेलना और भी जरूरी है। बेशक विराट जितने बड़े बल्लेबाज हैं उतने ही खेल के मर्मज्ञ भी हैं। अलबत्ता उनकी कप्तानी में टसल भाव का यह एक खोट तो बराबर है। उम्मीद है अगला कप्तान हार को अलग ढंग से लेने वाला होगा !