सोमवार (20/09/21) को 16 दिन का श्राद्ध पक्ष आरम्भ हुआ और संध्या ढलते-ढलते प्रयागराज (इलाहाबाद) स्थित सुप्रसिद्ध ‘बाघम्बरी बड़े हनुमान मंदिर’ के महंत नरेन्द्र गिरी महाराज की आकस्मिक मौत का दिल दहला देने वाला समाचार प्राप्त हुआ. वास्तव में ये एक घोर आश्चर्यजनक और अविश्वसनीय सूचना थी, सभी के लिए! वे ‘श्री पंचायती अखाड़ा निरंजनी, हरिद्वार’ के प्रमुख कर्ता-धर्ता होने के साथ अखिल भारतीय अखाड़ा परिषद् के अध्यक्ष भी थे.
अधिकृत जानकारी के अनुसार नरेन्द्र गिरी जी ने मंदिर स्थित अपने आश्रम के एक कक्ष में पंखे से लटककर अपनी ईह-लीला समाप्त कर डाली! इतना भयानक कदम उठाने से पहले उन्होंने कथित रूप से 7 पन्ने का एक ‘सुसाइड नोट’ भी छोड़ा है, जिसमें आत्महत्या करने के पीछे कई कारण गिनाए गए हैं. प्रमुख रूप से आनंद गिरी का नाम उसमें उल्लेखित होना बताया जाता है. आनंद गिरी लेटे ‘हनुमान मंदिर, प्रयागराज’ के महंत हैं और मृतक के परम शिष्य रहे हैं. मगर आनंद गिरी का इतिहास विवादों से घिरा रहा है: उन पर सिडनी (ऑस्ट्रेलिया) में दो युवतियों ने कथित रूप से यौन शोषण का आरोप लगाया था और इसी वर्ष मई में उन्होंने मृतात्मा पर कई संजीदा आरोप जड़ दिए थे!
गौरतलब है कि निरंजनी अखाड़े के एक और युवा महंत आशीष गिरी ने 16 नवम्बर 2019 को प्रयागराज स्थित आश्रम में अपनी पिस्तौल से तथाकथित रूप से गोली चलाकर ख़ुदकुशी कर ली थी. हालांकि आनंद गिरी ने आरोप लगाया था कि वो एक हत्या थी और उसमें नरेन्द्र गिरी का हाथ था! स्वनामधन्य ‘राष्ट्र संत’ भय्यू महाराज के कथित आत्महत्या काण्ड का भी यहां उल्लेख करना जरूरी है क्योंकि वे इंदौर स्थित अपने आश्रम में 12 जून 2018 में संदिग्ध परिस्थिति में मृत पाए गए थे. तब कहा गया था कि पारिवारिक संपत्ति विवाद के चलते उन्होंने अपनी सर्विस रिवाल्वर से खुद को गोली मार ली!
दो-तीन वर्षों में एक-के-बाद-एक हुए इन घटनाक्रमों का रहस्य क्या है, ये तो ऊपरवाले जानें या जो दर्दनाक तरीके से काल-कवलित हुए उनकी आत्माएं या जो मूलत: इन वारदातों के पीछे शामिल हैं, वे जानें! बहरहाल, इतना तो निश्चित है कि चर्चित साधु-संतों के बीच बढ़ती आत्महत्या की प्रवृत्ति एक सभ्य समाज के लिए घातक संकेत है! नरेन्द्र गिरी तो स्वयं एक नागा सन्यासी थे और साधुता का जीवन चुनने के समय उन्होंने खुदका तर्पण भी कर दिया था! ऐसे में आखिर उन्होंने अचानक मौत को गले क्यों लगाया?