सुशासन, संवेदना और सुरक्षा : श्रमिक हित में छत्तीसगढ़ सरकार के दो वर्ष

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By Abhishek SinghPublished On: December 23, 2025

शासन केवल प्रशासनिक दक्षता का प्रतीक नहीं, बल्कि समाज के अंतिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने की संकल्पबद्ध प्रक्रिया है। मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के दूरदर्शी नेतृत्व और श्रम मंत्री लखनलाल देवांगन के मार्गदर्शन में छत्तीसगढ़ शासन का श्रम विभाग विगत दो वर्षों में इसी सुशासन की भावना को धरातल पर साकार करता हुआ दिखाई देता है। इस अवधि में श्रमिकों के अधिकारों की रक्षा, उनके जीवन को सुरक्षित और सम्मानजनक बनाने तथा उन्हें सामाजिक-आर्थिक रूप से सशक्त करने के लिए अनेक ऐतिहासिक और जनहितकारी कदम उठाए गए हैं।

विष्णु के सुशासन की स्पष्ट झलक श्रम विभाग द्वारा अपनाए गए डिजिटल नवाचारों में दिखाई देती है। प्रशासनिक पारदर्शिता और कार्यकुशलता बढ़ाने के उद्देश्य से समस्त नस्तियों का संधारण ई-ऑफिस प्रणाली के माध्यम से प्रारंभ किया गया है। विभागीय योजनाओं और सेवाओं को आमजन के लिए सरल, सुलभ और पारदर्शी बनाने हेतु एक आधुनिक, यूज़र-फ्रेंडली विभागीय वेबसाइट विकसित की गई है। श्रमिकों की सुविधा को केंद्र में रखते हुए तैयार किया गया ‘श्रमेव जयते’ मोबाइल ऐप श्रमिक पंजीयन, योजनाओं में आवेदन तथा श्रमिक पलायन की ऑनलाइन जानकारी दर्ज करने का प्रभावी माध्यम बनकर उभरा है, जो डिजिटल सुशासन की दिशा में एक उल्लेखनीय उपलब्धि है।

राज्य के नवगठित जिलों तक श्रम विभाग की प्रभावी पहुँच सुनिश्चित करने के लिए पाँच नवीन श्रम पदाधिकारी कार्यालयों की स्थापना हेतु 20 पदों का सृजन किया गया। इसके साथ ही वर्ष 2024-25 के दौरान श्रमायुक्त संगठन अंतर्गत श्रम पदाधिकारी, श्रम निरीक्षक एवं उप निरीक्षक के पदों पर कुल 32 नई नियुक्तियाँ की गईं। इन प्रयासों से न केवल विभागीय कार्यों में गति आई, बल्कि श्रमिकों को समयबद्ध और गुणवत्तापूर्ण सेवाएँ भी सुनिश्चित हुईं।

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में राज्य सरकार ने श्रम कानूनों में आवश्यक और संतुलित सुधार करते हुए ईज ऑफ डूइंग बिजनेस और श्रमिक हितों के मध्य सामंजस्य स्थापित किया है। छत्तीसगढ़ दुकान एवं स्थापना अधिनियम, 2017 के प्रभावी क्रियान्वयन से छोटे व्यापारियों को राहत मिली, वहीं नियत कालिक नियोजन कर्मकार की नई श्रेणी ने रोजगार के नए अवसरों के द्वार खोले।