देवी अहिल्या विश्वविद्यालय (DAVV) के प्रतिष्ठित इंस्टीट्यूट ऑफ इंजीनियरिंग एंड टेक्नोलॉजी (IET) में हुए रैगिंग मामले में एंटी-रैगिंग कमेटी ने अपनी जांच रिपोर्ट प्रस्तुत कर दी है। रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं, जिसमें बताया गया है कि सीनियर छात्रों ने फर्स्ट ईयर के विद्यार्थियों पर नेपाल के प्रसिद्ध जेन-जी प्रोटेस्ट की तरह विश्वविद्यालय में आंदोलन शुरू करने का दबाव बनाया। DAVV के कुलपति प्रोफेसर राकेश सिंघई ने कहा कि रिपोर्ट में सामने आए तथ्यों के आधार पर अब दोषी छात्रों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।
सबूत मिटाने की साजिश
रिपोर्ट के अनुसार, सीनियर छात्र अमन पटेल के निर्देश पर फर्स्ट ईयर के छात्र विवेक शर्मा ने अन्य छात्रों के मोबाइल से व्हाट्सएप संदेश हटवाए ताकि डिजिटल सबूत मिटाए जा सकें। इसके अलावा, छात्रों पर कम से कम दो ट्विटर अकाउंट और एक फर्जी जीमेल अकाउंट बनाने का दबाव भी डाला गया। इन सभी अवैध गतिविधियों के लिए “सीनियर इंट्रोडक्शन” नामक व्हाट्सएप ग्रुप का इस्तेमाल किया गया, जिसे फर्स्ट ईयर के छात्र उमंग अग्रवाल ने बनाया था।
नए छात्रों पर फर्जी ईमेल और ट्विटर अकाउंट बनाने का दबाव
जांच में यह खुलासा हुआ है कि सीनियर छात्रों ने नए विद्यार्थियों को डर और धमकी देकर फर्जी ईमेल और ट्विटर अकाउंट बनाने के लिए बाध्य किया। छात्रों को सीनियर्स के संदेश रीट्वीट करने और विशेष हैशटैग वायरल करने का भी निर्देश दिया गया। जब कुछ विद्यार्थियों ने इसका विरोध किया, तो उन्हें ‘बैच आउट’ यानी कॉलेज से निष्कासित करने की धमकी दी गई।
IET छात्र शिवसागर रेस्टोरेंट में हुए एकत्रित
जांच कमेटी ने पाया कि IET के छात्र शिवसागर रेस्टोरेंट में एकत्रित हुए थे, जहाँ सीनियर्स ने हॉस्टल नियमों का हवाला देकर जूनियर्स पर दबाव डाला। इस बैठक में मुख्य आरोपी अमन पटेल के साथ आदर्श मकवाना, आदित्य शर्मा, सुनील अहिरवार, नमन पांडे, यशश्वी मिश्रा और धवल चौधरी समेत कई अन्य छात्र मौजूद थे। रिपोर्ट में यह भी सामने आया कि अमन पटेल ने हॉस्टल के सीसीटीवी कैमरे तोड़ने की योजना भी बनाई थी। इस साजिश में उसका छोटा भाई अनुज पटेल भी शामिल था, जो अवैध रूप से हॉस्टल में रहकर अपने भाई के लिए जासूसी और सूचना इकट्ठा करने का काम कर रहा था।