सनातन धर्म में एकादशी का व्रत सबसे पुण्यदायी और प्रभावशाली माना जाता है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से जीवन की हर समस्या दूर होती है और जातक को सुख, शांति और समृद्धि की प्राप्ति होती है। साल में कुल 24 एकादशी आती हैं, लेकिन अधिक मास होने पर यह संख्या 26 तक पहुँच जाती है। प्रत्येक माह शुक्ल पक्ष और कृष्ण पक्ष की एकादशी पर व्रत रखा जाता है। धार्मिक मान्यता है कि इस व्रत से पापों का नाश होता है और मृत्यु के बाद मोक्ष की प्राप्ति होती है।
इंदिरा एकादशी का विशेष महत्व
आने वाली इंदिरा एकादशी विशेष महत्व रखती है क्योंकि इस दिन भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी की पूजा करने के साथ-साथ पितरों की तृप्ति के लिए तर्पण और पिंडदान भी किया जाता है। ऐसा माना जाता है कि इस व्रत से पितरों को मोक्ष की प्राप्ति होती है और साधक पर भगवान विष्णु की विशेष कृपा बरसती है।
शुभ मुहूर्त
पंचांग के अनुसार, इंदिरा एकादशी की तिथि 16 सितंबर की रात 12:21 बजे शुरू होकर 17 सितंबर की रात 11:39 बजे समाप्त होगी। इस तरह व्रत और पूजा का शुभ दिन 17 सितंबर रहेगा।
पूजा विधि
इस दिन प्रातःकाल स्नान के बाद पीले वस्त्र धारण कर भगवान विष्णु की पूजा करनी चाहिए। व्रतधारी पूरे दिन उपवास रखकर शाम को आरती और भजन करते हैं। साथ ही पितरों की आत्मा की शांति के लिए जल अर्पण, तर्पण और पिंडदान करना अत्यंत शुभ माना गया है।
व्रत पारण
इंदिरा एकादशी का व्रत 18 सितंबर को पारण किया जाएगा। पारण का शुभ समय प्रातः 6:07 बजे से 8:34 बजे तक रहेगा। इस विधि से व्रत करने पर जीवन के कष्ट दूर होते हैं और आत्मा को शांति व मोक्ष का मार्ग मिलता है।
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