Vishwakarma Jayanti 2025: इस बार भी विश्वकर्मा जयंती 2025 उत्साह और श्रद्धा के साथ मनाई जाएगी। इस वर्ष यह पावन उत्सव 17 सितंबर, बुधवार के दिन मनाया जाएगा। यह पावन दिन विशेष रूप से उन लोगों के लिए मंगलकारी माना जाता है, जिनका कार्यक्षेत्र औजारों, मशीनों, निर्माण कार्यों या तकनीकी क्षेत्र से संबंधित है। शास्त्रों में भगवान विश्वकर्मा को “देव शिल्पी” कहा गया है।
मान्यता है कि उन्होंने ही सोने की लंका, द्वारका नगरी और कई दिव्य अस्त्र-शस्त्रों का निर्माण किया था। इसलिए यह दिन श्रम, कौशल और तकनीकी प्रतिभा को सम्मान देने का अवसर माना जाता है।
औजारों और मशीनों की पूजा क्यों?
इस दिन परंपरा है कि लोग अपने औजारों और मशीनों की पूजा करते हैं। इसका कारण सिर्फ धार्मिक आस्था नहीं, बल्कि व्यावहारिक सोच भी है। औजार सिर्फ लोहे या धातु के टुकड़े नहीं होते, बल्कि यही इंसान की मेहनत, आजीविका और कर्म का सहारा माने जाते हैं। विश्वास है कि विश्वकर्मा जयंती पर इनकी पूजा करने से काम में आने वाली रुकावटें समाप्त होती हैं और सफलता के नए रास्ते खुलते हैं।
कार्यस्थल पर पूजा का महत्व
विश्वकर्मा जयंती पर फैक्ट्रियों, दुकानों, दफ्तरों और वर्कशॉप्स में विशेष पूजा-अर्चना और सफाई की जाती है। इस अवसर पर कर्मचारियों में एकजुटता बढ़ती है, कार्यस्थल पर सकारात्मक ऊर्जा का प्रवाह होता है और कारोबार में उन्नति होती है। कई जगहों पर इस दिन अवकाश देकर कर्मचारियों को कार्यस्थल की साफ-सफाई और उपकरणों के पूजन का अवसर दिया जाता है।
भगवान विश्वकर्मा की कृपा से मिलने वाले लाभ
- कार्य में निरंतर सफलता और उन्नति मिलती है।
- मशीनों और औजारों से जुड़ी दुर्घटनाओं से सुरक्षा रहती है।
- व्यापार और रोजगार में तेजी से वृद्धि होती है।
- घर और कार्यस्थल पर सुख-शांति बनी रहती है।
2025 की विश्वकर्मा जयंती क्यों है खास?
इस साल विश्वकर्मा जयंती बुधवार को पड़ रही है। ज्योतिष शास्त्र के अनुसार बुधवार का दिन बुध ग्रह का होता है, जो बुद्धि, कौशल और व्यापार का कारक है। यही कारण है कि इस बार की विश्वकर्मा जयंती और भी शुभ फलदायी मानी जा रही है।
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