विदेश अध्ययन योजना 2025-26 में फर्जीवाड़े के आरोप में मयूर कछावा व दलाल द्वारका नायक के खिलाफ उच्च स्तरीय शिकायत दर्ज

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By Abhishek SinghPublished On: August 20, 2025

मध्यप्रदेश में पिछड़ा वर्ग विदेश अध्ययन योजना, जोकि सामाजिक न्याय एवं समान अवसर उपलब्ध कराने के लिए आरंभ की गई थी, अब भ्रष्टाचार और फर्जीवाड़े का अड्डा बनती जा रही है। इस योजना के अंतर्गत अपात्र एवं गैर-ओबीसी वर्ग के व्यक्तियों को अपराधी तत्वों और भ्रष्ट अधिकारियों की मिलीभगत से फर्जी दस्तावेज़ों के आधार पर लाभ पहुँचाया जा रहा है।

इसी कड़ी में मयूर कछावा, निवासी जिला उज्जैन का मामला एक गंभीर आपराधिक षड्यंत्र के रूप में सामने आया है।

1. मयूर कछावा का वास्तविक सामाजिक दर्जा

मयूर कछावा मूल रूप से राजस्थान के राजपूत (कछवाहा राजपूत) वंश से संबंधित हैं।

कछवाहा राजपूत सूर्यवंशी क्षत्रिय माने जाते हैं और ऐतिहासिक रूप से शासक वर्ग से जुड़े रहे हैं।

इनका उद्गम राजस्थान के आमेर (जयपुर) राज्य से है, जहाँ कछवाहा वंश का राजवंश सदियों तक शासन करता रहा।

अतः यह तथ्य निर्विवाद है कि मयूर कछावा ओबीसी वर्ग के पात्र नहीं हैं।

2. फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाने का षड्यंत्र

आरोप है कि मयूर कछावा ने द्वारका प्रसाद नायक नामक दलाल से संपर्क कर फर्जी जाति प्रमाण पत्र बनवाया।

इस कार्य के लिए द्वारका प्रसाद नायक द्वारा कलेक्टर ऑफिस उज्जैन रिश्वत दी गई।

इसके अतिरिक्त, विदेश अध्ययन योजना का लाभ पाने के लिए अवैध रूप से रिश्वत का सौदा कर अपात्र होते हुए भी फर्जी कागजात प्रस्तुत किए गए।

यह न केवल योजनागत भ्रष्टाचार है, बल्कि भारतीय दंड संहिता की धारा 420, 468, 471 एवं 120B के अंतर्गत दंडनीय अपराध है।

3. आर्थिक अनियमितताएँ एवं कार्टेल की मिलीभगत

यह मामला सिर्फ एक छात्र तक सीमित नहीं है, बल्कि यह एक संगठित कार्टेल गैंग का हिस्सा है।

यह कार्टेल मध्यप्रदेश की पिछड़ा वर्ग विदेश अध्ययन योजना को अपने लिए “कमाई का साधन” बना चुका है।

जिन पात्र, गरीब एवं वास्तविक ओबीसी छात्रों को लाभ मिलना चाहिए था, उनके हिस्से की छात्रवृत्ति फर्जी जाति प्रमाण पत्र धारकों को दी जा रही है।

यह सीधा-सीधा गरीबों के अधिकारों की डकैती है।

4. पुलिस एवं विभागीय लापरवाही

बार-बार शिकायतों एवं सबूत प्रस्तुत किए जाने के बावजूद, विभाग और पुलिस प्रशासन द्वारा कोई ठोस कार्यवाही नहीं की गई।

यह प्रशासनिक लापरवाही केवल मयूर कछावा जैसे अपात्र व्यक्तियों के हौसले बढ़ाती है।

विभागीय अधिकारियों की मिलीभगत से ही यह फर्जीवाड़ा संभव हो पाया है।

5. मांग एवं अपील

मयूर कछावा द्वारा प्रस्तुत जाति प्रमाण पत्र की राज्य स्तरीय छानबीन समिति से जांच कराई जाए।

फर्जी प्रमाण पत्र पाए जाने पर, उसका आवेदन तत्काल निरस्त किया जाए।

मयूर कछावा एवं द्वारका नायक के खिलाफ एफआईआर दर्ज कर कठोर दंडात्मक कार्यवाही की जाए।

इस प्रकार के सभी संदिग्ध आवेदकों की समीक्षा एवं पुनः जांच की जाए।

योजना को भ्रष्टाचार मुक्त बनाने हेतु ऑनलाइन सत्यापन एवं तृतीय पक्ष जांच प्रणाली लागू की जाए।

6. जनता के सामने खुलासा

यह प्रेस नोट समाज और मीडिया के माध्यम से सरकार और प्रशासन का ध्यान इस गंभीर मुद्दे की ओर आकर्षित करने के लिए जारी किया जा रहा है। यदि समय पर कार्रवाई नहीं की जाती है, तो यह मामला –

माननीय मुख्यमंत्री,

माननीय उच्च न्यायालय,

एवं भारत सरकार के संबंधित मंत्रालयों

के समक्ष उठाया जाएगा।

ओबीसी महासभा की मांग –

मयूर कछावा का मामला केवल एक व्यक्ति की धोखाधड़ी नहीं, बल्कि मध्यप्रदेश की पूरी विदेश अध्ययन योजना की पारदर्शिता पर प्रश्नचिह्न है। अपात्र व्यक्तियों को लाभ पहुँचाकर पात्र गरीब छात्रों के अधिकार छीनना एक सामाजिक अन्याय और आपराधिक कृत्य है।

इसलिए समाज, मीडिया और सभी जिम्मेदार संस्थाओं से अपेक्षा है कि इस मामले को गंभीरता से लें और तत्काल कठोर कार्यवाही सुनिश्चित करें।