पाँच साल की पीड़ा, अब बस शांति की चाह, इंदौर की शिक्षिका ने मांगी इच्छा मृत्यु, संपत्ति और अंगों का भी किया दान

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By Abhishek SinghPublished On: July 26, 2025

इंदौर की एक सरकारी शिक्षिका, चंद्रकांता जेठानी, जो पिछले पांच वर्षों से लकवाग्रस्त हैं, ने राष्ट्रपति को पत्र लिखकर इच्छा मृत्यु की अनुमति मांगी है। वर्ष 2020 में हुई एक गलत सर्जरी के बाद से वे पूरी तरह बिस्तर पर हैं। पत्र में उन्होंने लिखा है कि शारीरिक कष्ट और असहनीय पीड़ा ने उनकी ज़िंदगी को बोझ बना दिया है, और अब वे आगे जीने की इच्छुक नहीं हैं।

चंद्रकांता ने बताया कि वे जूनी इंदौर स्थित एक सरकारी स्कूल में शिक्षिका के पद पर कार्यरत हैं और रोजाना व्हीलचेयर की मदद से स्कूल पहुंचती हैं। वे आठ घंटे तक बच्चों को पढ़ाती हैं। उन्होंने कहा, “मैं बच्चों को शिक्षा देती हूं, इसलिए आत्महत्या जैसा कदम नहीं उठा सकती।”

छह छात्रों के नाम की संपत्ति

अपने पत्र में चंद्रकांता जेठानी ने यह भी अनुरोध किया है कि उनकी मृत्यु के बाद उनके अंग एमजीएम मेडिकल कॉलेज को दान कर दिए जाएं। इसके साथ ही उन्होंने अपनी संपत्ति स्कूल के छह छात्रों के नाम की है। उनकी चिट्ठी मिलने के बाद दिल्ली के अधिकारियों ने जिला प्रशासन से मामले की विस्तृत जानकारी मांगी है। अब सामाजिक न्याय विभाग की टीम चंद्रकांता की काउंसलिंग करेगी।

इलाज के दुष्प्रभाव से टूटा कंधा, शरीर हुआ लकवाग्रस्त

चंद्रकांता जेठानी ने बताया कि पांच साल पहले तक वे पूरी तरह स्वस्थ थीं, लेकिन फिर उन्हें ओस्टियोजेनेसिस इंपरफेक्टा नामक बीमारी ने अपनी चपेट में ले लिया। इलाज के दौरान दवाओं के दुष्प्रभाव से उनके शरीर में खिंचाव शुरू हो गया और एक कंधा टूट गया। धीरे-धीरे उनके शरीर का निचला हिस्सा भी लकवाग्रस्त हो गया। वे लगातार गंभीर शारीरिक पीड़ा से गुजर रही हैं, बावजूद इसके उन्हें स्कूल जाकर बच्चों को पढ़ाने में मानसिक संतोष मिलता है।

घरों के काम भी बोझ बने, जीवन की लड़ाई जारी

इस कारण वे रोज आटोरिक्शा से जबरन काॅलोनी के सरकारी स्कूल में जाती है और व्हीलचेयर पर बैठकर बच्चों को पढ़ाती है। परिवार में कोई नहीं होने के कारण घर के कामों में भी परेशानी आती है, लेकिन कभी आत्महत्या का विचार मन में नहीं आया, लेकिन वह अब जीना नहीं चाहती है। इस कारण इच्छामृत्यु चाहती है।