हरियाली तीज के व्रत में भूलकर भी न करें ये काम, वरना नहीं मिलेगा व्रत का संपूर्ण फल

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By Swati BisenPublished On: July 26, 2025
Hariyali Teej 2025

हरियाली तीज का पर्व विशेष रूप से सुहागिन महिलाओं के लिए अत्यंत पावन और महत्वपूर्ण होता है। यह पर्व माता पार्वती और भगवान शिव के पुनर्मिलन का प्रतीक माना जाता है। इस दिन महिलाएं अपने पति की लंबी उम्र और सुखमय वैवाहिक जीवन की कामना करते हुए पूरे श्रद्धा-भाव से व्रत करती हैं। यह व्रत निर्जला होता है, यानी बिना अन्न-जल ग्रहण किए पूरे दिन उपवास रखा जाता है।

हरियाली तीज 2025 की तिथि और मुहूर्त

पंचांग के अनुसार, साल 2025 में सावन मास की शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि 26 जुलाई को रात 10:41 बजे आरंभ होगी और अगले दिन यानी 27 जुलाई की रात 10:41 बजे समाप्त होगी। इस बार हरियाली तीज का व्रत 26 जुलाई, शनिवार को रखा जाएगा।

व्रत के दौरान भूलकर भी न करें ये कार्य

हर व्रत की अपनी एक मर्यादा और विधि होती है, जिनका पालन करना जरूरी होता है। हरियाली तीज के दिन भी कुछ कार्य ऐसे हैं, जिन्हें न करना ही बेहतर माना गया है। आइए विस्तार से जानते हैं कि किन बातों का विशेष ध्यान रखना चाहिए –

व्रत के दौरान जल या फल न लें

हरियाली तीज का उपवास निर्जला रखा जाता है। इसका अर्थ है कि दिनभर न तो जल ग्रहण किया जाता है और न ही फल खाए जाते हैं। यदि स्वास्थ्य संबंधी कोई समस्या हो तो अपनी क्षमता अनुसार व्रत करें, लेकिन बिना कारण जल या फल लेना व्रत की पूर्णता को प्रभावित कर सकता है।

गुस्से और नकारात्मक विचारों से बचें

इस दिन मन को शांत और शुद्ध रखना बेहद आवश्यक होता है। क्रोध, ईर्ष्या, द्वेष या किसी की बुराई करना व्रत की तपस्या को निष्फल कर सकता है।

तामसिक आहार और व्यवहार से दूरी बनाए रखें

हरियाली तीज के दिन सात्विकता बनाए रखना जरूरी होता है। मांसाहार, मद्यपान या किसी भी प्रकार की तामसिक वस्तु का सेवन वर्जित माना गया है। साथ ही नकारात्मक व्यवहार जैसे कलह, अपशब्द आदि से दूर रहना चाहिए।

कथा और पूजा करना न भूलें

व्रत तभी पूर्ण माना जाता है जब पूजा-विधि और हरियाली तीज व्रत कथा सुनी या पढ़ी जाती है। कथा के बिना व्रत अधूरा रहता है। अतः पूजा के समय कथा वाचन या श्रवण अवश्य करें।

सुहाग का संपूर्ण श्रृंगार करें

हरियाली तीज के दिन सौभाग्यवती स्त्रियों को सोलह श्रृंगार करना आवश्यक होता है। इस दिन संपूर्ण श्रृंगार न करना अशुभ माना जाता है। विशेषकर लाल, गुलाबी या हरे रंग के परिधान पहनने का महत्व होता है।

काले रंग के वस्त्र न पहनें

इस शुभ पर्व पर काले रंग को अशुभ माना गया है। इसलिए इस दिन हल्के और शुभ रंग जैसे हरा, पीला, गुलाबी आदि पहनने की परंपरा है। ये रंग सौभाग्य और प्रकृति की हरियाली का प्रतीक माने जाते हैं।

समय से पहले व्रत का पारण न करें

हर व्रत की एक निश्चित विधि और समय होता है। यदि पारण (व्रत खोलना) समय से पहले कर लिया जाए तो व्रत अधूरा रह जाता है और उसका पूर्ण फल नहीं मिलता। इसलिए पूजा-पाठ और कथा के बाद ही पारण करें और नियम का पालन करें।


Disclaimer : यहां दी गई सारी जानकारी केवल सामान्य सूचना पर आधारित है। किसी भी सूचना के सत्य और सटीक होने का दावा Ghamasan.com नहीं करता।