पेनाइल कैंसर में देरी बन रही गंभीर खतरा, भोपाल एम्स की रिपोर्ट ने जताई चिंता, कई मामलों में हटाने पड़ रहे प्राइवेट पार्ट

एम्स भोपाल के डॉक्टरों ने पेनाइल कैंसर पर की गई स्टडी को स्पेन की अंतरराष्ट्रीय मेडिकल कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया, जिसमें समय पर इलाज न मिलने से 93% मरीजों को जननांग हटवाने की नौबत आने की बात सामने आई।

Abhishek Singh
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पेनाइल कैंसर में देरी बन रही गंभीर खतरा, भोपाल एम्स की रिपोर्ट ने जताई चिंता, कई मामलों में हटाने पड़ रहे प्राइवेट पार्ट

राजधानी भोपाल स्थित एम्स के डॉक्टरों द्वारा एक और महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय शोध सामने आया है। इस बार पेनाइल कैंसर पर की गई स्टडी को स्पेन में आयोजित वैश्विक मेडिकल कॉन्फ्रेंस में प्रस्तुत किया गया। रिसर्च में यह पाया गया कि पुरुषों द्वारा जननांग से जुड़ी समस्याओं को लंबे समय तक अनदेखा करने से उन्हें गंभीर परिणाम भुगतने पड़ते हैं। एम्स की रिपोर्ट बताती है कि पेनाइल कैंसर के 93% मरीजों को समय पर इलाज नहीं मिलने के कारण जननांग को सर्जरी के माध्यम से हटाना पड़ा। विशेषज्ञों का कहना है कि अगर प्राइवेट पार्ट पर गांठ, मस्सा या पेशाब में खून जैसे लक्षण दिखाई दें, तो यह पेनाइल कैंसर का संकेत हो सकता है। चिंता की बात यह है कि आज भी इस बीमारी को लेकर जागरूकता बेहद सीमित है।

16 मरीजों के लिए जीवनरक्षक

एम्स भोपाल के यूरोलॉजी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. केतन मेहरा ने बताया कि पेनाइल कैंसर से जूझ रहे मरीजों का इलाज ‘ट्रिपल एक्शन प्लान’ के तहत किया गया, जिसमें सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी को एक साथ मिलाकर अपनाया गया। इस उन्नत उपचार पद्धति से 16 मरीजों का सफलतापूर्वक जीवन रक्षा संभव हो सकी। विशेषज्ञों के अनुसार इस बीमारी से बचाव के लिए निजी अंगों की सफाई अत्यंत आवश्यक है। साथ ही यौन संक्रमण, खासकर एचपीवी वायरस से होने वाले मस्से, इस कैंसर के खतरे को बढ़ा सकते हैं।

देर से इलाज, बढ़ता खतरा

एम्स भोपाल के डॉ. केतन मेहरा और उनकी टीम ने पेनाइल और वृषण कैंसर पर एक महत्वपूर्ण शोध किया है। इस रिसर्च के आधार पर डॉ. मेहरा को हाल ही में स्पेन में आयोजित अंतरराष्ट्रीय मेडिकल कॉन्फ्रेंस में भारत का प्रतिनिधित्व करने का अवसर मिला। उन्होंने सम्मेलन में इन जटिल कैंसर मामलों और उनके उन्नत उपचार तरीकों को वैश्विक चिकित्सा समुदाय के समक्ष प्रस्तुत किया। अध्ययन में शामिल 16 पुरुषों में से 15 को पेनाइल कैंसर के कारण सर्जरी करानी पड़ी, जिसमें संक्रमित अंग और आसपास के प्रभावित हिस्से को हटाना अनिवार्य हो गया।

अध्ययन में यह सामने आया कि अधिकांश पुरुष झिझक या भय की वजह से अपनी बीमारी को छुपाते हैं। वे तब तक इलाज नहीं कराते जब तक समस्या पेट तक न पहुंच जाए या दर्द असहनीय न हो जाए। इस देरी के कारण अक्सर स्थिति इतनी गंभीर हो जाती है कि सर्जरी ही एकमात्र विकल्प बचता है। रिसर्च के दौरान भी कई मरीजों के संक्रमित अंग को शल्य क्रिया द्वारा निकालना पड़ा। उनकी जान बचाने के लिए डॉक्टरों ने ‘ट्रिपल एक्शन प्लान’ यानी सर्जरी, कीमोथेरेपी और रेडियोथेरेपी का समन्वित रूप से उपयोग किया।

लक्षण जो नहीं करने चाहिए नजरअंदाज

  • प्राइवेट पार्ट में अधिक खुजली और जलन होना
  • प्राइवेट पार्ट पर गांठ या मस्सा
  • प्राइवेट पार्ट पर या आस-पास सफेद या लाल रंग के छाले
  • टेस्टिस के आकार में बदलाव
  • दर्द रहना
  • प्राइवेट पार्ट पर गांठ या मस्सा

हर महीने सामने आ रहे एक से दो जटिल और गंभीर केस

डॉ. केतन मेहरा के अनुसार, पेनाइल कैंसर के मामले भारत में यूरोप और पश्चिमी देशों की तुलना में अधिक देखे जा रहे हैं। अकेले एम्स भोपाल में हर महीने इस बीमारी के एक से दो मरीज सामने आ रहे हैं। अनुमान के मुताबिक, शहरी क्षेत्रों में प्रति एक लाख पुरुषों में से 1-2 जबकि ग्रामीण इलाकों में यह संख्या बढ़कर 3 तक पहुंच जाती है। जागरूकता की कमी और सीमित अस्पतालों में सर्जरी की सुविधा के कारण मरीज समय पर उचित इलाज नहीं पा पाते, जिससे बीमारी गंभीर हो जाती है। हालांकि, एम्स भोपाल में इस रोग के इलाज की समुचित व्यवस्था उपलब्ध है।