
छत्तीसगढ़ भाजपा आज 25 जून 1975 को लगे आपातकाल को “संविधान हत्या दिवस” के रूप में मना रही है। पार्टी का उद्देश्य है कि उस दौर की सच्चाई को नई पीढ़ी तक पहुंचाया जाए। इसी सिलसिले में मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय ने कहा कि “25 जून 1975 को तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी द्वारा लगाए गए आपातकाल ने देश के संविधान और लोकतंत्र की आत्मा को आहत किया। यही कारण है कि भाजपा इस दिन को ‘काला दिवस’ के रूप में याद करती है। वह समय गैर-कांग्रेसी राजनीतिक दलों और नेताओं के लिए बेहद कष्टकारी था।”
पूर्व मंत्री अजय चंद्राकर ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि आपातकाल और 1984 का सिख विरोधी दंगा, कांग्रेस के इतिहास में ऐसे काले अध्याय हैं जिन्हें वह अपने गौरव के प्रतीक मानती है। उन्होंने आरोप लगाया कि कांग्रेस की सोच में लोकतंत्र का दमन, असहिष्णुता और विरोधियों को कुचलना गहराई से रचा-बसा है। चंद्राकर ने कहा कि इन तथ्यों से नई पीढ़ी को अवगत कराना आवश्यक है।

मानवाधिकार स्थगन पर उठे सवाल
अजय चंद्राकर ने सवाल उठाते हुए कहा कि आपातकाल के दौरान आखिर मानवाधिकारों को क्यों स्थगित किया गया। उन्होंने कहा कि कांग्रेस आज भले ही सत्ता में लौटने के लिए माफी मांगे, लेकिन उससे कोई खास फर्क नहीं पड़ेगा। भूपेश बघेल, डॉ. चरणदास महंत, दीपक बैज और टीएस सिंहदेव के बयानों पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि जब कांग्रेस पूरी तरह समाप्त होगी, तो यही चारों नेता उसके राजनीतिक अंत को कंधा देंगे। उन्होंने व्यंग्य में कहा कि संगति निभाने के लिए यही उचित प्रतीक होंगे।
कांग्रेस की कलह को लेकर चंद्राकर का तंज
कुरुद विधायक अजय चंद्राकर ने सचिन पायलट के “अंतर्कलह नजर नहीं आती” वाले बयान पर तीखा पलटवार किया। उन्होंने कहा, “अगर पार्टी में कोई अंतर्कलह नहीं है, तो नेता प्रतिपक्ष लाठी किस पर चलाएंगे? क्या वह हम पर लाठी चलाएंगे? किसके इशारे पर वे वहां पहुंचे थे? क्या नेता प्रतिपक्ष ऐसे ही उत्तेजित हो जाते हैं?” चंद्राकर ने तंज कसते हुए कहा कि अब कांग्रेस को अपनी कमजोरियों को ढकने के लिए कुछ न कुछ तो पहनना ही पड़ेगा।
कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे के छत्तीसगढ़ दौरे पर भी चंद्राकर ने टिप्पणी की। उन्होंने कहा, “खड़गे रायपुर आए, उनके नेतृत्व में अधिवेशन भी हुआ, लेकिन इसके बावजूद कांग्रेस को यहां हार का सामना करना पड़ा। उनका भाषण हुआ और भाजपा ने चुनाव जीत लिया।”