पहली पांत में उथल-पुथल, दूसरी पांत में स्थिरता की कमी, जानें उत्तराखंड कांग्रेस पर राजनीतिक विशेषज्ञों की राय

प्रदेश में सत्ता वापसी की कोशिश कर रही कांग्रेस के पहले पांत के नेता कमजोर पड़ रहे हैं, जबकि दूसरी पंक्ति के नेता स्थिरता नहीं ला पा रहे हैं। चुनाव हार के बाद पार्टी में बेचैनी है, लेकिन दूसरी पंक्ति अभी तक सक्रिय नहीं हुई है।

Abhishek Singh
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प्रदेश में सत्ता पुनः प्राप्त करने के लिए संघर्ष कर रही कांग्रेस के पहले पांत के नेता अपनी कमजोर होती पकड़ को बनाए रखने में कठिनाई महसूस कर रहे हैं। वहीं, उनकी जगह लेने वाले दूसरे पांत के नेता भी स्थिर आधार बनाने में असमर्थ दिखाई दे रहे हैं। इस दुविधा के बीच पार्टी को 2027 के विधानसभा चुनाव का सामना करना है।

राजनीतिक विश्लेषकों के अनुसार, पार्टी के वरिष्ठ नेताओं की छाया के कारण दूसरी पंक्ति के नेताओं का उभार नहीं हो पा रहा है। सत्ता से दूर रहने के कारण दूसरी पंक्ति के नेताओं में पार्टी की महत्वपूर्ण जिम्मेदारियां संभालने में खास रुचि भी नजर नहीं आती। विधानसभा, लोकसभा और स्थानीय चुनावों में मिली हार के बाद कांग्रेस में सत्ता पुनः प्राप्ति को लेकर बेचैनी बढ़ी है, लेकिन पार्टी की दूसरी पंक्ति अभी तक सक्रिय नहीं हुई है।

विशेषज्ञों के अनुसार, आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस फिर से वही पुराने नेताओं को मैदान में उतारेगी, जिन्हें उनके राजनीतिक अनुभव के आधार पर प्रत्याशी बनाया जाएगा। पिछले आठ वर्षों से कांग्रेस प्रदेश में विपक्ष की भूमिका में है और इस दौरान पार्टी के अंदर से कोई प्रभावशाली या लोकप्रिय युवा नेता उभर कर सामने नहीं आया है। जो युवा चेहरे पार्टी ने प्रस्तुत किए हैं, वे भी पारिवारिक राजनीति की कांग्रेसी परंपरा से ही संबंध रखते हैं।

पार्टी में नज़र नहीं आता ऊर्जा का संचार

विशेषज्ञों का मानना है कि कांग्रेस के अंदर कई नेताओं ने परिवारवाद के इस ताने-बाने को तोड़कर संगठन के मंच पर अपनी पहचान बनाने की कोशिश की, लेकिन वे सफल नहीं हो सके। सत्ता से बाहर आठ साल के लंबे दौर ने कांग्रेस की नर्सरी मानी जाने वाली एनएसयूआई और युवा कांग्रेस जैसे संगठन कमजोर कर दिए हैं। अब इन संगठनों में वह जोश, उत्साह और सक्रियता नहीं दिखाई देती जो दस साल पहले थी। राजनीतिक समीक्षक कहते हैं कि जब तक कांग्रेस अपनी संगठनात्मक मजबूती नहीं हासिल करती, तब तक उसके चुनावी संघर्ष जारी रहेंगे।

कांग्रेस में नेताओं की कमी कतई नहीं है। यह एक ऐसी पार्टी है जहाँ बड़े नेता हो या साधारण कार्यकर्ता, सभी को समान सम्मान और महत्व दिया जाता है। भाजपा सरकार भी कई ऐसे नेताओं पर निर्भर है जो पहले कांग्रेस में थे। भाजपा दबाव और डराने-धमकाने के ज़रिए कांग्रेस के नेताओं को तोड़कर अपनी पार्टी में शामिल करती है। लेकिन कांग्रेस के पास कई प्रभावशाली और मजबूत नेता मौजूद हैं।- सूर्यकांत धस्माना, प्रदेश कांग्रेस उपाध्यक्ष संगठन