उत्तराखंड की ऊंची पहाड़ियों में स्थित रुद्रनाथ मंदिर पंच केदारों में से एक प्रमुख तीर्थ स्थल है। इस मंदिर का महत्व शिव भक्तों के बीच विशेष रूप से है, जैसा कि केदारनाथ धाम का है।
रुद्रनाथ का मंदिर ना केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह महाभारत से जुड़ी एक प्रमुख पौराणिक कथा से भी संबंधित है। यहां आने वाले श्रद्धालु महाभारत युद्ध के बाद पांडवों द्वारा किए गए प्रायश्चित के प्रतीक के रूप में इस स्थान की पवित्रता को अनुभव करते हैं।

रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड
रुद्रनाथ मंदिर उत्तराखंड के चमोली जिले में स्थित है और समुद्र तल से लगभग 3,600 मीटर (11,800 फीट) की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर घने जंगलों, रोडोडेंड्रोन के पेड़ों और अल्पाइन घास के मैदानों के बीच बसा हुआ है। यह पंच केदारों में चौथे केदार के रूप में माना जाता है और यहां भगवान शिव की पूजा की जाती है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार, पांडवों ने महाभारत काल में अपने भाइयों के पाप से मुक्ति पाने के लिए इस मंदिर का निर्माण करवाया था।
रुद्रनाथ मंदिर का पौराणिक महत्व
रुद्रनाथ मंदिर का निर्माण पांडवों ने महाभारत युद्ध के बाद किया था। इस मंदिर में भगवान शिव के मुख की पूजा की जाती है, जिसे बैल के रूप में प्रकट होने की मान्यता है। मंदिर के बाहरी हिस्से में पांडवों, उनकी माता कुंती और द्रौपदी की मूर्तियों के साथ-साथ वन देवताओं और देवी-देवताओं की भी पूजा की जाती है। इस मंदिर में यक्ष देवी का एक अलग मंदिर भी है, जिसे स्थानीय लोग जाख देवी के नाम से जानते हैं।
पंच केदार यात्रा
पंच केदार यात्रा का विशेष महत्व है और रुद्रनाथ मंदिर इस यात्रा का हिस्सा है। पंच केदारों में सबसे पहले केदारनाथ आता है, जहां पांडवों ने भगवान शिव के शरीर के दर्शन किए थे। इसके बाद, मध्य महेश्वर, तुंगनाथ और रुद्रनाथ का स्थान आता है। रुद्रनाथ में शिव का मुख दिखाई देता है, जबकि कल्पेश्वर में शिव की जटाएं रखी गई हैं। पंच केदारों में से तीन मंदिर उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में स्थित हैं, जबकि रुद्रनाथ और कल्पेश्वर चमोली जिले में स्थित हैं।
तीर्थयात्रियों के लिए दर्शन की अनुमति
18 मई को रुद्रनाथ मंदिर के द्वार श्रद्धालुओं के दर्शन हेतु खोल दिए गए हैं। इस पवित्र स्थल पर प्रतिदिन केवल 140 भक्तों को ही दर्शन की अनुमति दी जाती है। यह व्यवस्था इसलिए की गई है ताकि मंदिर की धार्मिक गरिमा बनी रहे और तीर्थयात्री यहां आकर एक शांतिपूर्ण और आध्यात्मिक अनुभव प्राप्त कर सकें।