MP Tourism : मध्यप्रदेश सरकार के पर्यटन विभाग ने राज्य की ऐतिहासिक विरासत को नया जीवन देने और पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए एक खास पहल की है। हेरिटेज होटल कॉन्सेप्ट की शुरुआत भोपाल की ऐतिहासिक इमारत ‘सदर मंजिल’ से हुई थी, और अब यह योजना प्रदेश के अन्य जिलों में भी तेजी से आकार ले रही है। योजना के तहत प्रदेश के 25 प्रमुख किलों की पहचान की गई है, जिन्हें हेरिटेज होटल के रूप में विकसित किया जाएगा।
इस महत्वाकांक्षी योजना का क्रियान्वयन पब्लिक प्राइवेट पार्टनरशिप (PPP) मॉडल के तहत किया जाएगा। पहले चरण में 11 किलों को विकसित करने का लक्ष्य तय किया गया है। इन स्थलों को 90 वर्षों की लीज़ पर निजी कंपनियों को दिया जाएगा, जो इन्हें हेरिटेज होटल में बदलने के लिए निवेश करेंगी। जल्द ही इन साइट्स की बोली प्रक्रिया शुरू की जाएगी।

राजस्थान बना उदाहरण, अब मध्यप्रदेश में बारी
राजस्थान में किलों को हेरिटेज होटल में बदलने की योजना को जबरदस्त सफलता मिली है। इससे वहां के पर्यटन उद्योग को बड़ी मजबूती मिली है और पर्यटकों की संख्या में भारी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। मध्यप्रदेश सरकार अब उसी मॉडल को अपनाकर राज्य के ऐतिहासिक स्थलों को पर्यटन के केंद्र के रूप में विकसित करने की दिशा में आगे बढ़ रही है।
मूल स्वरूप रहेगा बरकरार
पर्यटन विभाग की योजना यह सुनिश्चित करती है कि इन धरोहर स्थलों का मूल स्वरूप नष्ट न हो। इनकी मरम्मत और जीर्णोद्धार में विशेष ध्यान रखा जाएगा कि ऐतिहासिक कलाकृतियों और स्थापत्य को उसी रूप में बहाल किया जाए। यदि किसी किले की पेंटिंग धुंधली हो गई है, तो उसे मूल रूप में लाने का प्रयास किया जाएगा। योजना का उद्देश्य सिर्फ पर्यटन नहीं, बल्कि इतिहास और संस्कृति को जीवंत बनाए रखना भी है।
“पर्यटन विभाग की इस पहल से ना सिर्फ हमारी विरासत सहेजी जाएगी, बल्कि लोगों को रियासतकालीन जीवनशैली का अनुभव भी मिलेगा।”
— बिदिशा मुखर्जी, अपर प्रबंध संचालक, टूरिज्म बोर्ड
ये ऐतिहासिक स्थल बनेंगे हेरिटेज होटल
पहले चरण में जिन किलों और महलों को हेरिटेज होटल में बदलने की योजना बनाई गई है, उनमें शामिल हैं:
- रॉयल होटल, जबलपुर
- माधवगढ़ किला, सतना
- महेंद्र भवन, पन्ना
- क्योटी फोर्ट, रीवा
- राजगढ़ पैलेस, छतरपुर
- लुनेरा सराय, धार
- गोविंदगढ़ फोर्ट, रीवा
- ताजमहल पैलेस, भोपाल
- श्योपुर फोर्ट, श्योपुर
अभी रजिस्ट्री का इंतजार कर रहे हैं ये किले
हालांकि कुछ किले ऐसे भी हैं जिनकी अभी तक कानूनी प्रक्रिया पूरी नहीं हुई है। इनमें प्रमुख हैं:
- राजा रानी महल, अशोकनगर
- सिंहपुर महल, अशोकनगर
इनकी रजिस्ट्री पूरी होते ही इन्हें भी योजना में शामिल किया जाएगा।