बिहार के आम उत्पादकों के लिए अच्छी खबर है। अब आम की खेती से किसानों को और अधिक आमदनी होगी। राज्य सरकार ने फलों की गुणवत्ता सुधारने के लिए “बैगिंग” तकनीक पर अनुदान देने की घोषणा की है।
इसके तहत किसानों को प्रति हेक्टेयर ₹25,000 की सब्सिडी दी जाएगी ताकि वे फ्रूट कवर बैग के जरिए अपने फलों की सुरक्षा कर सकें और उन्हें अंतरराष्ट्रीय मानकों के अनुसार तैयार कर सकें।

क्या है बैगिंग तकनीक और क्यों है यह जरूरी?
बैगिंग एक आधुनिक कृषि तकनीक है, जिसमें फलों को विशेष कवर (बैग) से ढका जाता है। इसका उद्देश्य फलों को कीटों, रोगों, धब्बों और पक्षियों से बचाना है। इससे फल न सिर्फ सुरक्षित रहते हैं, बल्कि उनकी बाहरी सुंदरता और गुणवत्ता भी बनी रहती है। यही कारण है कि ऐसे फलों की बाजार में ज्यादा मांग होती है और किसानों को बेहतर कीमत मिलती है।
बैगिंग से आम पर फ्रूट फ्लाई, थ्रिप्स, और अन्य कीटों का प्रभाव नहीं होता। साथ ही बारिश, धूल और तेज़ धूप से भी फल सुरक्षित रहते हैं। किसान अखबार, ब्राउन पेपर, पॉलिथीन या खास बैगिंग पेपर से यह प्रक्रिया कर सकते हैं।
विदेशी बाजारों में भी खुलेगा रास्ता
बैगिंग तकनीक से उगाए गए आमों की गुणवत्ता अंतरराष्ट्रीय स्तर की होती है। इसलिए इन आमों की एक्सपोर्ट में डिमांड काफी ज्यादा रहती है। सरकार का यह प्रयास न केवल किसानों की आमदनी बढ़ाने का साधन है, बल्कि भारतीय आमों को ग्लोबल ब्रांड बनाने की दिशा में एक बड़ा कदम भी है।
कम लागत, अधिक मुनाफा
बैगिंग तकनीक अपनाने से किसानों की उत्पादन लागत घटेगी और नुकसान भी कम होगा, क्योंकि कम फलों में कीट लगने के कारण ज्यादा मात्रा में उपज बिकने योग्य होती है। सरकार की सब्सिडी इस तकनीक को हर किसान तक पहुंचाने का साधन बनेगी, जिससे छोटे और मझोले किसान भी इसे आसानी से अपना सकेंगे।
कैसे करें आवेदन?
बिहार सरकार के इस योजना के तहत किसान राष्ट्रीय एकीकृत बागवानी मिशन (MIDH) के माध्यम से बैगिंग के लिए अनुदान प्राप्त कर सकते हैं। आवेदन प्रक्रिया अब सरल और ऑनलाइन हो गई है। किसान 15 अप्रैल से https://horticulture.bihar.gov.in वेबसाइट पर जाकर आवेदन कर सकते हैं।
आवेदन प्रक्रिया के मुख्य बिंदु:
- किसान को वेबसाइट पर जाकर पंजीकरण कराना होगा।
- पंजीकरण के बाद उन्हें फ्रूट कवर बैग मुहैया कराए जाएंगे।
- किसान चाहें तो किसी भी प्राइवेट कंपनी से बैग खरीद सकते हैं और उस पर सब्सिडी प्राप्त कर सकते हैं।
- योजना के तहत प्रति हेक्टेयर ₹25,000 तक की सहायता राशि दी जाएगी।