मध्य प्रदेश में कृषि, पशुपालन और सहकारिता के क्षेत्रों में विशाल संभावनाएं मौजूद हैं। आज हुए अनुबंध के बाद, राज्य के 83 प्रतिशत गांवों में सहकारिता की पहुंच बढ़ेगी, हालांकि इसका पूर्ण उपयोग करने के लिए और अधिक प्रयास किए जाने की आवश्यकता है। कई सालों से देश में सहकारी आंदोलन में ठंडे पड़े थे, जिसका मुख्य कारण कानूनों में कोई बदलाव न होना था। अब, सहकारी समितियों के माध्यम से 300 विभिन्न प्रकार के कार्य, जैसे पेट्रोल पंप, दवाइयों की दुकान, रेल टिकट बुकिंग और फैक्ट्रियों का संचालन, किए जाएंगे।
यह बात केंद्रीय सहकारिता और गृह मंत्री अमित शाह ने रविवार को रवींद्र भवन में आयोजित राज्य स्तरीय सहकारिता सम्मेलन में कहीं, जिसमें उन्होंने मुख्य अतिथि के रूप में संबोधित किया। कार्यक्रम की अध्यक्षता मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने की, और इस अवसर पर राष्ट्रीय डेयरी विकास बोर्ड और मध्य प्रदेश डेयरी फेडरेशन के बीच एक एमओयू पर भी हस्ताक्षर हुए।

पैक्स के डिजिटल परिवर्तन में मध्य प्रदेश बना देश में नंबर 1
केंद्रीय मंत्री अमित शाह ने अपने संबोधन में बताया कि मध्य प्रदेश पहला राज्य है जिसने प्राथमिक कृषि साख समितियों (पैक्स) का पूर्ण रूप से कंप्यूटराइजेशन किया है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में पैक्स 30 से अधिक विभिन्न गतिविधियों में शामिल हैं, जिससे उनकी आमदनी में काफी वृद्धि हुई है। शाह ने यह भी बताया कि सहकारिता मंत्रालय के गठन के बाद, देशभर में सहकारी आंदोलन को एक नई दिशा मिली है। उन्होंने देश में तीन नई सहकारी समितियों की स्थापना की जानकारी दी—एक्सपोर्ट को-ऑपरेटिव, ऑर्गेनिक को-ऑपरेटिव और सीड को-ऑपरेटिव, जिनका लाभ सीधे किसानों तक पहुंचेगा। इसके साथ ही, इन सहकारी गतिविधियों से होने वाली आय अब सीधे किसानों के खाते में जाएगी, व्यापारियों के नहीं।
अब ढाई एकड़ के किसान को मिलेगा बीज तैयार करने का अधिकार
शाह ने बताया कि केंद्र सरकार ने बीज सहकारिता के तहत ढाई एकड़ वाले किसानों को भी मान्यता दी है। मध्यप्रदेश में प्रतिवर्ष 5.5 करोड़ लीटर दूध उत्पादन क्षमता है, लेकिन यहां केवल 17 प्रतिशत गांवों में दूध संग्रहण की व्यवस्था है। उन्होंने कहा कि आज के समझौते के बाद प्रदेश के 83 प्रतिशत गांवों तक सहकारिता की पहुंच बढ़ेगी। पहले साल में इस लक्ष्य को 50 प्रतिशत तक पहुंचाना जरूरी होगा। देश में शहरी क्षेत्र में दूध की मांग प्रतिदिन 1.2 करोड़ लीटर है। एनबीडीडी के साथ मिलकर पहले साल में कम से कम 50 प्रतिशत गांवों तक दूध डेयरी की सेवाएं पहुंचाई जानी चाहिए। शाह ने इसे अभी टू-लेन मार्ग से तुलना करते हुए कहा कि इसे अब 6 लेन में तब्दील करना होगा।
सहकारिता मंत्रालय की शुरुआत
अमित शाह ने कहा कि देश के विभिन्न राज्यों में सहकारी आंदोलन की स्थिति अलग-अलग थी। इसे और अधिक समृद्ध बनाने के लिए तथा बदलती परिस्थितियों के अनुसार कानूनों में आवश्यक परिवर्तन नहीं किए गए थे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आजादी के 75 वर्षों के बाद पहली बार सहकारिता मंत्रालय का गठन किया, और इसके पहले मंत्री के रूप में हमने पिछले साढ़े तीन वर्षों में इस क्षेत्र में बड़े परिवर्तन किए। केंद्रीय सहकारिता एवं गृह मंत्री अमित शाह ने बताया कि मंत्रालय ने पहला कदम कृषि समितियों के लिए आदर्श नियमों का निर्माण किया। आज पूरे देश ने इस मॉडल बायलॉज को स्वीकार कर लिया है। पहले जो छोटे-मोटे वित्तीय कार्य करने वाली पैक्स थीं, अब वे 20 से अधिक सेवाएं प्रदान कर रही हैं। पैक्स के माध्यम से रेलवे टिकट, जन्म और मृत्यु प्रमाण पत्र समेत 300 से अधिक सेवाएं उपलब्ध कराई जा रही हैं।