भोपाल के रवींद्र भवन में आज एक ऐतिहासिक क्षण देखने को मिला, जब केंद्रीय गृह एवं सहकारिता मंत्री अमित शाह ने राष्ट्रीय सहकारिता सम्मेलन में शिरकत करते हुए सहकारिता क्षेत्र को लेकर कई बड़े ऐलान किए। इस कार्यक्रम में मध्यप्रदेश दुग्ध संघ और नेशनल डेयरी डेवलपमेंट बोर्ड (NDDB) के बीच महत्वपूर्ण एमओयू पर हस्ताक्षर किए गए।
यही नहीं, मध्य प्रदेश के छह अलग-अलग दुग्ध संघों और NDDB के बीच भी छह अलग-अलग समझौते हुए, जो राज्य के डेयरी क्षेत्र में क्रांतिकारी बदलाव लाने की दिशा में एक बड़ा कदम है।

सहकारिता से जुड़ी बड़ी घोषणाएं
सम्मेलन को संबोधित करते हुए अमित शाह ने कहा, “अब देश में सहकारी समितियां पेट्रोल पंप चलाएंगी और रसोई गैस का वितरण भी करेंगी।” उन्होंने यह भी कहा कि मध्यप्रदेश में सहकारिता, कृषि और पशुपालन क्षेत्रों में असीम संभावनाएं हैं, जिनके दोहन के लिए व्यवस्थित प्रयासों की आवश्यकता है।
शाह ने कहा, “साढ़े तीन साल पहले देश में सहकारिता मंत्रालय का गठन ही नहीं था। जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यह मंत्रालय बनाकर मुझे जिम्मेदारी दी, तब जाकर हमने सहकारिता आंदोलन को व्यवस्थित रूप से दिशा दी। आज उसी का परिणाम है कि देशभर में मॉडल बायलॉज को सभी राज्यों ने अपनाया है, चाहे वे किसी भी राजनीतिक विचारधारा से हों।”
‘सांची’ का नाम और पहचान रहेगी बरकरार, NDDB करेगा संचालन
इस मौके पर पशुपालन एवं डेयरी विकास मंत्री लखन पटेल ने स्पष्ट किया कि NDDB के साथ हुए अनुबंध के बावजूद ‘सांची’ ब्रांड का नाम या उसका लोगो नहीं बदला जाएगा। केवल संचालन की जिम्मेदारी NDDB को दी गई है। इस सहयोग से मध्यप्रदेश में डेयरी उत्पादन क्षमता को वर्तमान 10 लाख लीटर प्रतिदिन से बढ़ाकर आने वाले 5 वर्षों में 20 लाख लीटर प्रतिदिन तक पहुंचाया जाएगा। इसके लिए 1447 करोड़ रुपए का बजट तय किया गया है।
मुख्यमंत्री ने कहा – किसानों की ज़िंदगी संवारने का मिशन
कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा, “हमारा लक्ष्य है कि किसानों की आय बढ़ाई जाए और उनकी जिंदगी को बेहतर बनाया जाए।” उन्होंने सांची ब्रांड की प्रामाणिकता और गुणवत्ता पर भरोसा जताया और कहा कि अब प्रदेश में दूध उत्पादक किसान सम्मानजनक जीवन जी पाएंगे।
डिजिटलीकरण में मप्र सबसे आगे
अमित शाह ने बताया कि मध्यप्रदेश ने देश में सहकारी समितियों के डिजिटलीकरण में पहला स्थान प्राप्त किया है। उन्होंने कहा, “सभी पैक्स समितियों का शत-प्रतिशत रजिस्ट्रेशन किया गया है, जो एक बड़ा बदलाव है।” शाह ने कहा कि अब अर्बन को-ऑपरेटिव बैंक, जिला सहकारी बैंक और ग्रामीण बैंकों का संचालन भी अधिक पारदर्शी और प्रभावी तरीके से किया जाएगा।
सहकारिता के जरिए बनेगा आत्मनिर्भर भारत
शाह ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि अब सहकारिता समितियां सिर्फ कृषि ऋण तक सीमित नहीं रहेंगी, बल्कि यह गैस डिस्ट्रीब्यूशन, पेट्रोल पंप संचालन, और उत्पादन क्षेत्रों में भी अहम भूमिका निभाएंगी। उन्होंने कहा कि सहकारिता के माध्यम से गांवों को सशक्त बनाकर ही हम आत्मनिर्भर भारत का सपना साकार कर सकते हैं।
इस सम्मेलन में सहकारिता मंत्री विश्वास सारंग, पशुपालन मंत्री लखन पटेल, NDDB के अधिकारी, मध्यप्रदेश सरकार के प्रतिनिधि, और बड़ी संख्या में सहकारी समितियों के प्रतिनिधि मौजूद रहे। इस सम्मेलन ने यह साफ संकेत दिया है कि सहकारिता अब सीमित दायरे से निकलकर देश की अर्थव्यवस्था के मुख्य अंग के रूप में उभर रही है।