मध्य प्रदेश के दमोह जिले में हाल ही में एक गंभीर मामला सामने आया था, जहां फर्जी डॉक्टरों ने अस्पताल में ऑपरेशन कर मरीजों की जान से खिलवाड़ किया। इस घटना ने स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन के लिए कई सवाल खड़े कर दिए हैं, और यह मुद्दा अब राज्य सरकार के लिए प्राथमिकता बन गया है।
दमोह के मिशन हॉस्पिटल में हुई इस घटना को लेकर मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने कहा कि प्रदेश में किसी भी तरह के गलत या गैरकानूनी काम को सहन नहीं किया जाएगा और इस प्रकार की घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाए जाएंगे। उन्होंने स्वास्थ्य विभाग को निर्देश दिए हैं कि राज्य भर में किसी भी जगह पर इस तरह की घटनाओं की पुनरावृत्ति नहीं होनी चाहिए।

दोषियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी
मुख्यमंत्री ने स्पष्ट रूप से कहा कि फर्जी डॉक्टरों को किसी भी हालत में बख्शा नहीं जाएगा। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए हैं कि यदि प्रदेश के किसी भी जिले में फर्जी डॉक्टर पाए जाते हैं, तो उनके खिलाफ कड़ी कार्रवाई की जाए। यह कदम यह सुनिश्चित करने के लिए उठाया गया है कि मरीजों की सुरक्षा सुनिश्चित की जाए और गलत डॉक्टरों के द्वारा मरीजों की जान से खिलवाड़ को रोका जाए।
सीएमएचओ द्वारा दर्ज की गई FIR
दमोह की घटना के बाद जिले के मुख्य चिकित्सा अधिकारी (सीएमएचओ) ने इस मामले में कार्रवाई करते हुए फर्जी डॉक्टरों के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई है। इसके बाद से स्वास्थ्य विभाग के उच्च अधिकारी भी सवालों के घेरे में हैं। राज्य सरकार ने इस मामले में पूरी जांच का आदेश दिया है और किसी भी दोषी को बख्शने की बात नहीं की जा रही है।
स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता
दमोह की घटना ने राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार की आवश्यकता को और भी महत्वपूर्ण बना दिया है। फर्जी डॉक्टरों की गतिविधियों पर कड़ी नजर रखने और ऐसे मामलों की पुनरावृत्ति रोकने के लिए राज्य सरकार ने स्वास्थ्य विभाग को और अधिक चौकस रहने का निर्देश दिया है।