Eid-Ul-Adha 2021 Date: जानें कब मनाई जाएगी ईद-उल-अज़हा, ये है कुर्बानी देने का महत्व

Share on:

ईद-उल-अज़हा का त्‍योहार इस साल 21 जुलाई को मनाया जाएगा। इस्लामिक कैलेंडर के अनुसार, हर साल ईद-उल-अज़हा 12वें महीने की 10 तारीख को मनाई जाती है। ऐसे में इस्लाम मजहब में इस माह की बहुत अहमियत है। कहा जाता है कि इसी महीने में हज यात्रा भी की जाती है। आपको बता दे, ईद-उल-फित्र की तरह ईद-उल-अज़हा पर भी लोग सुबह जल्‍दी उठ कर नहा धोकर साफ कपड़े पहनते हैं।

साथ ही मस्जिदों में जाकर नमाज़ अदा करते हैं। वहीं इस दौरान मुल्‍क और लोगों की सलामती की दुआ मांगते हैं। जैसा की आप सभी जानते है इस खास मौके पर लोग गिले-शिकवे भुला कर एक-दूसरे के घर जाते हैं और ईद की मुबारकबाद देते हैं। इसके अलावा ईद पर कुर्बानी देने की खास परंपरा है। आज हम आपको इस परंपरा के बारे में बताने जा रहे हैं। तो चलिए जानते है ईद पर कुर्बानी का महत्व –

जानें क्यों की जाती है कुर्बानी –

आपको बता दे, इस्लाम मजहब में कुर्बानी को बहुत अहमियत हासिल है। इसी वजह से ईद-उल-अज़हा के मुबारक मौके पर मुसलमान अपने रब को राजी और खुश करने के लिए कुर्बानी देते हैं। वहीं मान्यता है कि एक बार अल्लाह ने हज़रत इब्राहिम की आज़माइश के तहत उनसे अपनी राह में उनकी सबसे प्रिय चीज कुर्बान करने का हुक्म दिया है। ये इसलिए क्‍योंकि उनके लिए सबसे प्‍यारे उनके बेटे ही थे तो यह बात हज़रत इब्राहिम ने अपने बेटे को भी बताई।

ऐसे में इस तरह उनके बेटे अल्‍लाह की राह में कुर्बान होने को राज़ी हो गए फिर ही उन्‍होंने अपने बेटे की गर्दन पर छुरी रखी, तो अल्लाह के हुक्‍म से उनके बेटे की जगह भेड़ जिबह हो गया। बता दे, इससे पता चलता है कि हज़रत इब्राहिम ने अपने बेटे की मुहब्‍बत से भी बढ़ कर अपने रब की मुहब्‍बत को अहमियत दी। तब से ही अल्लाह की राह में कुर्बानी करने का सिलसिला चला आ रहा है।

कुर्बानी के भी है कुछ नियम –

इसके अलावा ईद उल अज़हा के इस खास त्‍योहार पर बकरा, भेड़ और ऊंट की कुर्बानी दी जाती है। बता दे, कुर्बानी ऐसे पशु की दी जा सकती है जो शारीरिक तौर पर पूरी तरह ठीक हो। साथ ही कुर्बानी के बारे में भी इस्‍लाम में कुछ नियम बनाए गए हैं। इसका मतलब है कि कुर्बानी सिर्फ हलाल कमाई के रुपयों से ही की जा सकती है। बता दे, ऐसे रुपयों से जो जायज तरीके से कमाए गए हों और जो रुपया बेईमानी का या किसी का दिल दुखा कर, किसी के साथ अन्‍याय करके न कमाया गया हो। साथ ही कुर्बानी के गोश्त के तीन हिस्से होते हैं, जिसमें अपने घर के अलावा अपने रिश्‍तेदारों और गरीबों को कुर्बानी का गोश्‍त बांटा जाता है।