वैज्ञानिकों की रिसर्च अनुसार आयुर्वेद एक्यूप्रेशर थेरेपी मनुष्य के लिए जीवन दान है,यह थेरेपी भारत की प्राचीन चिकित्सा पद्धति पर निर्धारित है इस थेरेपी का निर्माण भारत में बुद्ध काल में किया गया था,जिसमें मानव जीवन के शरीर की ऊर्जा को हाथ एवं पैर की रेखाओं से जोड़कर में पूरे शरीर में एक्यूप्रेशर मसाज कर शरीर की चिकित्सा की जाती थी।
भारत में यह मसाज एक तकनीक द्वारा सिखाई जाती थी जिसका नाम कारण आयुर्वेद एक्यूप्रेशर थेरेपी के नाम से हुआ।
एक्यूप्रेशर शरीर के विभिन्न हिस्सों के महत्वपूर्ण बिंदुओं पर दबाव डालकर रोग के निदान करने की विधि है।
एक्युप्रेशर काउंसिल नेचुआजलालपुर के संस्थापक डॉ प्रकाश बरनवाल का कहना है कि मानव शरीर पैर से लेकर सिर तक आपस में जुड़ा है तथा हजारों नसें, रक्त धमनियों, मांसपेशियां, स्नायु और हड्डियों के साथ आँख नाक कान हृदय फेेेेफडे दाॅॅॅत नाडी आदि आपस में मिलकर मानव शरीर के स्वचालित मशीन को बखूबी चलाती हैं। अत: किसी एक बिंदु पर दबाव डालने से उससे जुड़ा पूरा भाग प्रभावित होता है।
भारत में एक्युप्रेशर को बढानेे में अगमहा भदंत ज्ञानेश्व्र्र्, डॉ अतर सिंह, डॉ प्रकाश बरनवाल,डॉ धीरेन गाला,डॉ देवेन्द्र वोरा,डॉ एमपी खेमका,डॉ सबॅदेव प्रसाद गुप्त,प्रबुद्ध सोसाइटी एंव एक्युप्रेशर परिषद् का योगदान हैै । एक्युपेशर भारतीय परम्परागत पद्धति है ।
वैज्ञानिकों की रिसर्च अनुसार शरीर में एक हजार ऐसे बिंदु चिन्हित किए गए हैं, जिन्हें एक्यूप्वाइंट कहा जाता है। जिस जगह दबाव डालने से दर्द हो उस जगह दबने से सम्बन्धित बिंदुओं कि बीमारी दुर होती है।
जब यह पद्धति चीन के हाथ लगी तो उन्होंने इसे चाईनीज एक्यूप्रेशर का नाम दे दिया, और चाईनीज मसाज किट बनाकर देश की आर्थिक स्थिति को मज़बूद बनाने के लिए,इसके किट का व्यापार शुरू कर दिया,बाद में इस पद्धति को डॉ सर पार्क जे वू ने कोरियन नाम दिया सूजोक जिसमें हाथ पाँव की बिन्दुओं पे नीडल से एक्यूपंक्चर दे के जिम्मी से प्रेशर दिया जाता है जिसे हम आज सूजोक आयुर्वेदिक एक्यूप्रेशरभी कहतें हैं।
बाद में डॉ बरनवाल इसे इंडियन एक्यूप्रेशर एवं बरनवाल एक्यूप्रेशर का नाम भी दिया पर विश्व में आज भी तीन पद्धतियों पर कार्य चल रहा है,और विश्व में कई एक्यूप्रेशर थेरेपिस्ट आज दवाई मुक्त अभियान पे अपनी अपनी संस्थाओं के माध्य्म से कार्य कर रहें हैं।
यहाँ समझने वाली एक बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह है,चीन ने स्वयं सहायता समूह के माध्यम से अपने सभी भाई बंधुओं को इस थेरेपी के लाभ बताके मसाज सिखाई और कलर थेरेपी का इस्तेमाल करके ऐसी ज्वैलरी, एवं खिलोने बनाये जिससे वह देश का पैसा देश में और इम्पोर्ट एक्सपोर्ट कर के विश्व का पैसा भी देश में करने की पद्धति पे कार्य करने लगे।
जिसका फायदा पूरे विश्व ने उठाया और भारत की प्राचीनता से आयुर्वेद दवाईयों का ज्ञान लेके भारत में नेटवर्किंग के माध्यम से आयुर्वेदिक दवाईयों को अंग्रेजी नाम देके भारत के लोगों को गुलाम बनाने लगा और पिछले कुछ सालों के आँकड़े यह बताते हैं,की भारत धर्म एवं पंच तत्व की लड़ाई में ही घूमता रह गया और विदेशी भारत की बहुमूल्य चीज़ों का लाभ उठाते जा रहें हैं।
यहाँ देखने वाली एक और बहुत ही महत्वपूर्ण बात यह है भारत जिस तरह भूमि विकास की ओर अपने कदम बढ़ा रहा है,उसी प्रकार विदेश भारत की कला का उपयोग कर शिक्षा की ओर कदम बढ़ा रहें हैं ताकि वह भारत पर एक बार फिर कब्ज़ा कर सकें,आप ख़ुद ही देख सकते हैं,भारत के पड़े लिखे वर्ग को जब भारत में कोई उपलब्धि नहीं मिलती,वह विदेशी कंपनियों का नौकर बन सह परिवार विदेश चला जाता है,यहाँ समझने की बात ये है की ,संसार लोगों से चलता है,अगर कोई भी व्यक्ति इस ज्ञान को प्राप्त कर ले,की इंसान की सबसे बड़ी कमज़ोरी क्या है,तो वह उस इंसान को अपना गुलाम बना सकता है।
और किसी से यह छुपा नहीं है आज पूरा विश्व भारत की अज्ञानता का फायदा उठा रहा,यहाँ भारत धर्म की लड़ाई लड़ रहा है वहाँ विश्व तमाशा देख भारत वासियों की मजबूरियों का फायदा उठा रहा है
भारत देश के लोगों की सबसे बड़ी कमज़ोरी है उसके समाज में लोगों की अज्ञानताऐं और कुछ भी नया न सीखने की कमी,आप पिछले कई सालों के आंकड़े उठाकर देख लीजिए भारत का शिक्षित वर्ग विदेश में सेटल हो चुका है,और वह अपनी कमाई से विदेश में घर बनाने के बजाए सेविंग कर एसेट बनाने में जुटा रहता है,ख़ुद एक कमरे के मकान में लो मेन्टेनेन्स या हम कह सकते हैं,कम खर्च करके गोल्ड या भारत में भूमि खरीद अपने और अपने बच्चों के भविष्य को सुरक्षित करने में जुटा है वहीं भारत का नागरिक शहर डेवलोपमेन्ट देख घर में आराम दायक चीज़ो पर निर्भर होकर अपने शरीर की क्रियाओं को खत्म कर बीमारियों और रोगों को गले लगाता जा रहा है।
वैज्ञानिकों ने रिसर्च के माध्यम से यह भी बता दिया है कि अगर भारत देश 1% गरीब अगर हस्त एवं स्वस्थ कलाओं पर विकसित हो गया तो वह 100% भारत को विकसित एवं शिक्षित बनाने की ताकत रखता है।
और इसी पद्धति का उपयोग करके हमारे माननीय मुख्यमंत्री जी ने आत्मनिर्भर एवं वोकल टू लोकल आयुवेदिक एवं आयुष योजनाओं पर भी कार्य किया।
मगर बड़ी समस्या यह हुई कि स्वयं सहायता समूह में लोन देने के बावजूद भी देश का विकास नहीं हो पाया क्यूंकि लोगों के पास शिक्षा की कमी है और अज्ञानता की नादानी में लोग,लोन का पैसा घर में इस्तेमाल होने वाली आराम दायक वस्तुओं में लगा रहें हैं,फिर किश्तें चुकाने के लिए,चोरी,मार पीठ,लड़ाइयाँ एवं लोन की तलाश में गली गली भटक रहे हैं,और आपस में ही लड़ रहे हैं।
जिसे देखते हुए आपकी मुस्कान जन जागृति समिति ने अपनी गृह शिक्षा योजना के माध्यम से 2000 महिलाओं को हस्त शिल्प में शिक्षित कर 126 प्रोडक्ट्स का निर्माण किया और करीब 100 महिलाओं को अपनी सँस्था में ईको फ्रेंडली पेन,मेडिकल लिफ़ाफ़े,रबर बैंड,रुई बत्ती, राखी,सेल्फ़ डिफेंस स्प्रे आदि काम देके रोज़गार के कई साधन खोले।
कोविड -19 वैक्सीन कैम्प्स में भी सँस्था ने सँस्था सदस्यों को फुट मसाज सिखाकर कैम्प्स लगाये और अब जनता को सोशल मीडिया के माध्यम से आयुवेदिक एक्यूप्रेशर सीड थेरेपी देने का प्रयास कर रहीं है
सँस्था सचिव का मानना है जब विदेश में एक्यूप्रेशर थेरेपिस्ट लाखों में कमा सकता है तो भारत का बेरोज़गार क्यू नहीं बॉडी मसाज का कौशल सीख मनुष्य ख़ुदको, अपने बच्चों को और समाज को सभी को विकसित एवं सम्मन कर सकता है,क्यूंकि मसाज मनुष्य जीवन शैली का एक हिस्सा है,जिससे इंसान को नियमित रूप से कार्य मिल सकता है और वह आत्मनिर्भर होकर समाज सेवा कर रोज़ पैसा भी कमा सकता है,बस उन्हें एक चीज़ अपनानी पड़ेगी वह है कर्म करने की आदत क्योंकि जीत के लिए सोच से ज़्यादा कर्म ज़रूरी है।
एक्यूप्रेशर थेरेपी मनुष्य को यह भी सिखाती है कि हमें मानव जीवन से प्रेम और सदाचार का व्यवहार रखना चहिये क्योंकि हमारे शरीर को खड़ा होने के लिए बिन्दुओं के सहारे की ज़रूरत होती है,उसी तरह मनुष्य को अपनी समस्याओं से लड़ने के लिए एक दूसरे के साथ कि,तो अगर हर बस्ती में 10 लोगों का ऐसा स्वयं सहायता समूह बनाया जाए जो चिकित्सा एवं समस्याओं के लिए एक दूसरे के साथ खड़े रहें तो हर बस्ती में ऊर्जा उत्पन्न की जा सकती है
इस मसाज से लोगों की त्वचा तो निखरती ही है,साथ में थकान भी दूर होती है,चीन में इस मसाज का प्रयोग करने से लोगों की मानसिक ऊर्जा,कार्य करने की क्षमता एवं आयु भी बड़ी,आज चीन के लोगों की औसद आयु 90+ है तो भारत की औसद आयु 60 जानते हैं क्यूं ?
क्यूंकि आज मनुष्य कम्प्यूटर और डिजिटल इंस्ट्रूमेंट पे कार्य कर रहा है,जिससे मानव जीवन के मस्तिष्क पर गहरा प्रभाव पड़ रहा है और कंप्यूटर और मोबाइल की रौशनी मनुष्य के शरीर में मेलेटन नामक स्लीप हार्मोन को डीएक्टिवेट कर कोर्टिसोल नामक स्ट्रेस हार्मोन को एक्टिव कर देता है
जिससे शरीर में स्ट्रेस और लाइफ स्टाइल बीमारियाँ निवेश कर शरीर को अंदर ही अंदर खोखला बनाया जा रहा है,और बिना किसी सिम्पटम्स के शरीर अचानक से अपनी ऊर्जा शक्ति खोने की वजह से बिस्तर पकड़ लेता है।
ऐसे में आयुर्वेदिक एक्यूप्रेशरमसाज एवं सीड थेरेपी के इस्तेमाल से मानव शरीर में वापस जान आ जाती है जिसका उल्लेख बुक ऑफ़ मसाज में lucinda lidell ने एक कोट के माध्यम से किया है Remember Life may take out of you,but massage can but it back
जिसका मतलब यह है कि आज अगर मानव जीवन स्वस्थ जीवन चाहता है तो उसे अपने शरीर को ऊर्जा देनी पड़ेगी।
भारत आज एक बहुत ही गंभीर स्थिति से गुज़र रहा है जिसे देखते हुए आपकी मुस्कान जन जागृति समिति एवं कौशल विकास आयुर्वेदिक केंद्र ने युवाओं और बेरोजगारों के लिये अपनी सँस्था में शिक्षित एवं सुरक्षित भारत अभियान शुरू किया है जिसमें सँस्था मात्र 1200 रुपये में तीन माह का बेसिक एक्यूप्रेशर थेरेपी कोर्स एवं 2500 रुपए में एडवांस एक्यूप्रेशर थेरेपी कोर्स सिखा रहीं है जिसके पूर्व वह एक्टिव स्टूडेंट्स को अपनी सँस्था एवं आयुवेदिक केंद्र में थेरेपिस्ट,मार्केटिंग,एवं ट्रेनर का रोज़गार भी प्राप्त कर वाएँगी
सँस्था सचिव शालिनी रमानी स्वयं सहायता समूह के माध्यम से यह कोर्स ऑनलाइन एवं ऑफलाइन दोनों तरह से करवाया जाएगा ताकि अधिक से अधिक लोगों तक इसका लाभ पहुँच सके।
कोर्स करने के लिए संपर्क करें आपकी मुस्कान जन जागृति समिति आप सँस्था के यू ट्यूब चैनल पे इस कोर्स की जानकारी एवं वीडियो भी देख सकतें हैं।
शिक्षित होगा भारत तभी तो विकसित होगा भारत।