इस गुप्त नवरात्रि इन 10 मंत्रों के जाप से पूर्ण करें अपनी मनोकामनाएं, ये है महत्त्व

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By Ayushi JainPublished On: June 24, 2020
gupt navratri

गुप्त नवरात्रि का आरंभ सोमवार से हो चुका हैं। वहीं इसकी खास बात है कि गुप्त नवरात्रि वृद्धि योग में शुरू हो रही है। आपको बता दे, अश्विन मास और चैत्र मास में नौ दिनों तक मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है। वहीं माघ और आषाढ़ मास में भी देवी के दस महाविद्याओं की आराधना की जाती है। इन दस महाविधाओं में काली, तारा देवी, त्रिपुर-सुंदरी, भुवनेश्वरी, छिन्नमस्ता, त्रिपुरी भैरवी, मां धूमावती, मां बगलामुखी, मातंगी व कमला शामिल है। ये नवरात्रि 22 जून से शुरू होकर 29 तक समाप्त हो जाएगी। आज हम आपको इस गुप्त नवरात्रि में अपनी हर मनोकामना पूर्ण करने के लिए कुछ मन्त्र बताने जा रहे है।

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आपको बता दे, ये गुप्त नवरात्रि तांत्रिक क्रियायें और शक्ति साधना के लिए काफी ज्यादा खास होती है। ज्योतिषों का मनना है कि इस गुप्त नवरात्रि में विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं, शक्ति साधना, महाकाल आदि से जुड़े लोगों के लिए विशेष महत्व रखती है। लेकिन इस में नौ दिन व्रत रखने वाले साधकों को काले कपड़े नहीं पहनने चाहिए। साथ ही ऐसी मान्यता है कि गुप्त नवरात्रि में 10 महाविद्या के पूजन से साधक की सभी मनोकामना पूर्ण होती है। तो चलिए जानते हैं उन 10 मंत्रो के बारे में –

आदिशक्ति काली- ॐ क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं दक्षिण का‍लिके क्रीं क्रीं क्रीं ह्रीं ह्रीं हूं हूं स्वाहा। इस मंत्र से विद्या, लक्ष्‍मी, राज्य, अष्टसिद्धि, वशीकरण, प्रतियोगिता विजय, युद्ध-चुनाव आदि में विजय मोक्ष तक प्राप्त होता है।

तारा-महाविद्या- ॐ ऐं ओं क्रीं क्रीं हूं फट्श। त्रुओं का नाश, ज्ञान तथा जीवन के हर क्षेत्र में सफलता के लिए इनकी साधना की जाती है।

षोडशी महाविद्या- श्री ह्रीं क्लीं ऐं सौ: ॐ ह्रीं क्रीं कए इल ह्रीं सकल ह्रीं सौ: ऐं क्लीं ह्रीं श्रीं नम: इनके भैरव पंचवक्त्र शिव हैं तथा हर क्षेत्र में सफलता हेतु इनकी साधना की जाती है।

भुवनेश्वरी- मंत्र- ‘ॐ ह्रीं श्रीं क्लीं ऐं सौ: भुवनेश्वर्ये नम: या ह्रीं.’ इसका उपयोग वशीकरण, सम्मोहन, धर्म-अर्थ-काम-मोक्ष देती हैं। पूजन सामग्री रक्त वर्ण की होनी चाहिए।

माता छिन्नमस्ता- मंत्र ‘श्री ह्रीं क्लीं ऐं वज्र वैरायनीये हूं हूं फट् स्वाहा। ये संतान प्राप्ति, दरिद्रता निवारण, काव्य शक्ति लेखन आदि तथा कुंडलिनी जागरण के लिए भजी जाती हैं।

त्रिपुर भैरवी- ये मंत्र ऐश्वर्य प्राप्ति, रोग-शांति, त्रैलोक्य विजय व आर्थिक उन्नति की बाधाएं दूर करने के लिए पूजी जाती हैं। मंत्र ‘ह स: हसकरी हसे।

धूमावती- ये मंत्र कर्ज से मुक्ति, दरिद्रता दूर करने, जमीन-जायदाद के झगड़े निपटाने, उधारी वसूलने के लिए पूजी जाती हैं। मंत्र ‘धूं धूं धूमावती ठ: ठ:

श्री बगलामुखी- रोग-दोष, शत्रु शांति, वाद-विवाद, कोर्ट-कचहरी में विजय, युद्ध-चुनाव विजय, वशीकरण, स्तम्भन तथा धन प्राप्ति के लिए अचूक साधना मानी जाती है। मंत्र- ‘ॐ ह्लीं बगलामुखी सर्वदुष्टानां वाचं मुखं पदं स्तम्भय, जिव्हा कीलय, बुद्धिं विनाश्य ह्लीं ॐ स्वाहा।

मातंगी- शीघ्र विवाह, गृहस्थ जीवन सुखी बनाने, वशीकरण, गीत-संगीत में सिद्धि प्राप्त करने के लिए पूजी जाती हैं। मंत्र- श्री ह्रीं क्लीं हूं मातंग्यै फट् स्वाहा।

कमला- व्यापार-व्यवसाय में वृद्धि, धन-संपत्ति प्राप्त करने के लिए पूजी जाती हैं। मंत्र- ‘ॐ श्रीं ह्रीं श्रीं कमले कमलालये प्रसीद-प्रसीद श्रीं ह्रीं श्रीं महालक्ष्म्यै नम:,