कथित बांग्लादेशी नागरिकों की इंदौर के सराफा बाजार और सदर बाजार में मौजूदगी पर बीजेपी और कांग्रेस द्वारा जांच की मांग की गई है। इसके अलावा युनुस मोहम्मद से नोबल शांति पुरस्कार वापस लिए जाने की अपील विधायक रमेश मेंदोला ने अपील की है।
बांग्लादेशी नागरिक जो इंदौर में रहकर काम कर रहे हैं अब भाजपा की पूर्व मंत्री भी उनके ख़िलाफ़ सक्रिय हो गई हैं। प्रशासन से पूर्व मंत्री और वर्तमान विधायक उषा ठाकुर ने इंदौर के सराफा बाजार और सदर बाजार में काम करने वाले बांग्लादेशियों की जांच करने की मांग की है और उन्हें जल्द से जल्द यहाँ से हटाने की मांग की है। हाल ही में इंदौर में रह रहे बांग्लादेशी नागरिकों की जांच के लिए कांग्रेस ने भी मांग की थी। सराफा एसोसिएशन को कांग्रेस नेताओं द्वारा पत्र लिखकर जांच कराने का निर्देश दिया है। साथ ही अनैतिक तरीके से रह रहे किसी भी व्यक्ति पर कानूनी कार्यवाई करने की मांग भी की गई है।
आधार और समग्र आईडी जांच अनिवार्य
पूर्व मंत्री और महू विधायक उषा ठाकुर ने कहा कि वह जिला प्रशासन को पत्र लिखकर यह मांग करेंगी कि इंदौर में काम कर रहे सभी बांग्लादेशी मजदूरों और व्यापारियों की पहचान और उनके दस्तावेजों की जांच की जाए। उन्होंने आधार कार्ड और समग्र आईडी की जांच को अनिवार्य बताया। उनका कहना है कि यदि कोई बांग्लादेशी नागरिक इंदौर में रह रहा है, तो उसे तुरंत वापस भेजा जाना चाहिए।
गौरतलब है कि सराफा बाजार में 15,000 से अधिक बंगाली कारीगर सोने के गहनों के निर्माण में लगे हुए हैं। ये कारीगर आसपास के किराए के मकानों में रहते हैं और बाजार के छोटे-छोटे कमरों में काम करते हैं। इनमें से कुछ के बांग्लादेश से आने की संभावना है, लेकिन उनकी सही संख्या को लेकर कोई ठोस जानकारी उपलब्ध नहीं है।
नोबल पुरस्कार समिति को विधायक रमेश मेंदोला का पत्र
बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार और उत्पीड़न के खिलाफ इंदौर-2 के विधायक रमेश मेंदोला ने भी आवाज उठाई है। नोबल पुरस्कार समिति से उन्होंने आग्रह किया है कि बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रमुख युनुस मोहम्मद से नोबल शांति पुरस्कार वापस लिया जाए। रमेश मेंदोला ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए कहा कि बांग्लादेश में हिंदुओं के नरसंहार के विरोध में इंदौर से उठी यह मांग अब वैश्विक स्वर बनती जा रही है। उनका कहना है कि युनुस मोहम्मद, जिन्हें 2006 में नोबल शांति पुरस्कार से सम्मानित किया गया था, अपने देश में हिंदुओं पर हुए उत्पीड़न और नरसंहार के लिए जिम्मेदार हैं। ऐसे व्यक्ति को शांति पुरस्कार रखने का कोई अधिकार नहीं है।
सराफा बाजार एसोसिएशन ने विवाद पर रखी अपनी राय
सराफा बाजार एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल रांका ने स्पष्ट किया कि उन्हें कांग्रेस की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक पत्र नहीं मिला है। उन्होंने कहा कि बांग्लादेशी नागरिकों की पहचान और जांच करना पुलिस का दायित्व है, न कि किसी राजनीतिक दल का। अगर कोई व्यक्ति देश-विरोधी गतिविधियों में लिप्त पाया जाता है, तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जानी चाहिए। अनिल रांका ने यह भी बताया कि सराफा बाजार में काम करने वाले कारीगरों का कोई रिकॉर्ड एसोसिएशन के पास उपलब्ध नहीं है।