Constitution Day 2024 : भारत के संविधान के 75 साल पूरे होने के अवसर पर मंगलवार को पुरानी संसद भवन के सेंट्रल हॉल में एक विशेष और ऐतिहासिक कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस समारोह में राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, और लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला समेत कई महत्वपूर्ण नेता शामिल हुए। यह दिन भारतीय लोकतंत्र के लिए एक ऐतिहासिक मील का पत्थर था, जब संविधान की अहमियत और इसकी यात्रा को सम्मानित किया गया।
इस कार्यक्रम का एक महत्वपूर्ण पहलू यह था कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल गांधी पहली बार एक मंच पर एक साथ बैठे। इसके अलावा, कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खड़गे, भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा, संसदीय कार्य मंत्री किरेन रिजिजू और राज्यसभा के डिप्टी स्पीकर हरिवंश भी इस ऐतिहासिक मौके पर मौजूद थे। यह एक असाधारण दृश्य था, जहां विभिन्न राजनीतिक दलों के नेता संविधान की महत्ता पर एक साथ विचार कर रहे थे।
‘हमारा संविधान-हमारा स्वाभिमान’ – आयोजन की थीम
इस आयोजन की मुख्य थीम “हमारा संविधान-हमारा स्वाभिमान” रखी गई थी, जो भारतीय संविधान की गरिमा और महत्व को दर्शाती है। संविधान के 75 वर्षों को सम्मानित करते हुए, सरकार ने एक विशेष सिक्का और डाक टिकट जारी किया। इसके साथ ही, भारतीय संविधान के निर्माण पर आधारित दो किताबों का विमोचन भी किया गया, जिनमें “भारतीय संविधान का निर्माण: एक झलक” और “भारतीय संविधान का निर्माण और इसकी गौरवशाली यात्रा” शामिल हैं।
संविधान की प्रतियां और फिल्म का विमोचन
कार्यक्रम के दौरान, भारतीय संविधान की संस्कृत और मैथिली में भी विशेष प्रतियां जारी की गईं। यह कदम संविधान को देश के विभिन्न हिस्सों में अधिक सुलभ बनाने के लिए था। इसके अलावा, संविधान के निर्माण और इसके ऐतिहासिक महत्व पर आधारित एक शॉर्ट फिल्म भी दिखाई गई, जिससे उपस्थित सभी लोग संविधान की यात्रा और उसकी मूल विचारधारा से परिचित हो सके।
26 नवंबर 1949: संविधान का पारित होना
भारतीय संविधान 26 नवंबर 1949 को संविधान सभा द्वारा पारित किया गया था, हालांकि इसे 26 जनवरी 1950 को लागू किया गया। इस दिन को “गणतंत्र दिवस” के रूप में मनाया जाता है, और अगले वर्ष, 26 जनवरी को भारतीय संविधान के लागू होने की 75वीं वर्षगांठ मनाई जाएगी। यह दिन भारतीय लोकतंत्र की शुरुआत और उसके निरंतर विकास का प्रतीक है।
राष्ट्रपति का संबोधन
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने इस अवसर पर अपने संबोधन में संविधान सभा के योगदान को याद किया और उनके द्वारा किए गए ऐतिहासिक कार्य की सराहना की। उन्होंने कहा,
“75 साल पहले संविधान सदन के इस सेंट्रल हॉल में, आज ही के दिन, संविधान सभा ने संविधान निर्माण का बड़ा कार्य किया था। संविधान हमारे देश का सबसे पवित्र ग्रंथ है और हम आज उस ऐतिहासिक दिन के साक्षी हैं।” उन्होंने संविधान सभा के सभी सदस्य, विशेष रूप से 15 महिला सदस्यों का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि यह अवसर उनके योगदान को भी याद करने का है। इसके अलावा, उन्होंने बीएन राव जैसे अफसरों का भी उल्लेख किया, जिन्होंने संविधान निर्माण की प्रक्रिया में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।
राष्ट्रपति मुर्मू ने अपने संबोधन में यह भी कहा कि पिछले कुछ वर्षों में सरकार ने पिछड़े वर्गों के लिए कई महत्वपूर्ण कदम उठाए हैं। उन्होंने उल्लेख किया, “पिछड़े वर्गों को पक्का घर मिल रहा है, खाद्य सुरक्षा प्रदान की जा रही है, और भारत में विश्व स्तर का इन्फ्रास्ट्रक्चर तैयार किया जा रहा है।” उन्होंने इन प्रयासों के लिए सरकार की सराहना की और कहा कि यह संविधान के मूल्यों के अनुरूप है, जो हर वर्ग के विकास को सुनिश्चित करता है।
यह दिन सिर्फ भारतीय संविधान के महत्व को याद करने का ही नहीं, बल्कि उसे लागू करने के लिए किए गए प्रयासों की सराहना करने का भी था। 19 नवंबर 2015 को सामाजिक न्याय और अधिकारिता मंत्रालय द्वारा जारी एक अधिसूचना के तहत, 26 नवंबर को हर साल संविधान दिवस के रूप में मनाने की शुरुआत की गई। यह दिन संविधान के निर्माण और उसकी महान यात्रा को समझने और उसे आगे बढ़ाने का एक अवसर है।