गुरुवार को देश में वामपंथी राजनीति को नए आयाम पर पहुंचाने वाला एक सितारा डूब गया। लेफ्ट की पॉलिटिक्स में करीब 5 दशक तक केंद्र में रहे सीपीएम नेता सीताराम येचुरी का निधन हो गया है।
गुरुवार को लंबी बीमारी के बाद वामपंथी राजनीतिक पार्टी सीपीएम के दिग्गज नेता सीताराम येचुरी का 72 वर्ष की उम्र में निधन हो गया। दिल्ली के एम्स अस्पताल में उन्होंने आखिरी सांस ली। रिपोर्ट्स के अनुसार वह निमोनिया जैसे चेस्ट इंफेक्शन से पीड़ित थे।
मद्रास के एक तेलुगु ब्राह्मण परिवार में 12 अगस्त 1952 को जन्मे सीताराम येचुरी की पॉलिटिक्स में एंट्री छात्र जीवन के दौरान ही हो गई थी। वह दिल्ली के जेएनयू में छात्र संघ का हिस्सा थे। उन्हें भी इंदिरा गांधी की ओर से लगाई गई इमरजेंसी के दौरान जेल में डाल दिया गया था। राष्ट्रीय राजनीति के अखाड़े में कदम उन्होंने इसी के बाद रखे। वामपंथी राजनीति की कमान 5 दशक तक सँभालने वाले सीताराम येचुरी ही वह नेता थे जो वाम दलों को गठबंधन की राजनीति में लेकर आए।
हैदराबाद से शुरुआती पढ़ाई करने के बाद उच्च शिक्षा के लिए येचुरी ने दिल्ली का रुख किया था।दिल्ली यूनिवर्सिटी से उन्होंने इकोनॉमिक्स में बीए ऑनर्स की डिग्री ली। साल 2015 में उन्हें सीपीएम का राष्ट्रीय महासचिव नियुक्त किया गया था। येचुरी को साल 2016 में राज्यसभा में सर्वश्रेष्ठ सांसद के पुरस्कार से भी नवाजा गया था।