बिहार में उलटफेर के बाद नीतीश कुमार ने एनडीए के साथ सरकार बना ली है। नए गठबंधन के विश्वास मत करवाना आवश्यक हो गया है । जहां एनडीए गुट बहुमत के आकड़े को पार कर चुका है । वहीं आरजेडी विश्वास मत के समय दांव लगाने को तैयार है। इससे पहले तेजस्वी यादव ने चेतवनी भी दिए थे।
आपको बता दें 243 सदस्यीय विधानसभा में बहुमत के लिए 122 सदस्यों का समर्थन चाहिए। नीतीश सरकार को एनडीए के 127 के अलावा एक निर्दलीय का समर्थन प्राप्त है। उधर महागठबंधन के पांच दलों-राजद, कांग्रेस, भाकपा माले, भाकपा और माकपा के विधायकों की संख्या 114 है। और इंडिया गुट भी बहुमत से सिर्फ 8 कदम दूर है।
बता दें उम्मीद लोकसभा चुनाव के टिकट पर टिकी है। दोनों गठबंधन के डेढ़ दर्जन से अधिक विधायक लोकसभा चुनाव लड़ना चाहते हैं। ऐसे विधायकों को यह प्रस्ताव दिया जा रहा है, कि वह एक हाथ से विधानसभा की सदस्यता छोड़ें, दूसरे हाथ से लोस चुनाव का टिकट पकड़ लें। यह हो जाए तो सदन का आकार छोटा हो जाएगा।
सबसे ज्यादा नजरें ओवैसी की पार्टी के एआइएमआइएम इकलौते विधायक पर टिकी है, कि वह विश्वास मत में किस तरफ वोट देंगे। अगर यह वोट इंडिया गठबंधन को मिलता है तो विपक्षी सदस्यों की संख्या 115 हो जाएगी। महागठबंधन का आंकलन है कि एनडीए के 15 विधायक अगर मन बदलते हैं तो नीतीश सरकार को परास्त करना संभव हो जाएगा।
यह चर्चा इन दिनों थोड़ी तेज हो गई है। 19 सदस्यीय कांग्रेस विधायक दल में विभाजन के लिए 14 का एकसाथ अलग होना जरूरी है। अब तक यही बताया जा रहा है कि 14 की संख्या में कुछ कमी है।कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रेमचंद्र मिश्रा इस प्रयास को शरारत कह रहे हैं। उनके अनुसार पार्टी के विधायक एकजुट हैं। विश्वास प्रस्ताव के विरूद्ध मतदान करेंगे।